दीये बना समृद्धि का प्रकाश फैला रहीं यह महिला, जानिए सफलता की कहानी
उत्तराखंड के रुड़की शहर से 11 किमी दूर बसे इमलीखेड़ा गांव में की एक महिला ने समूह बनाकर अपने छोटे से एक प्रयास को यह मुकाम देने में सफलता पाई है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 03 Nov 2018 08:41 PM (IST)
रुड़की, [दीपक मिश्रा]: इस दिवाली इमलीखेड़ा गांव में बने दीये न केवल गांव के जरूरतमंद परिवारों बल्कि दूसरे कई घरों की समृद्धि का प्रतीक बनेंगे। उत्तराखंड के रुड़की शहर से 11 किमी दूर बसे इस गांव की एक महिला ने समूह बनाकर अपने छोटे से एक प्रयास को यह मुकाम देने में सफलता पाई है।
यह साधना की साधना का ही प्रतिफल है कि वे स्वयं के साथ ही दूसरों के घरों में भी समृद्धि के दीप जला रही हैं। यह उनकी मेहनत और लगन का नतीजा है कि औद्योगिक इकाइयों से उनके समूह को बेहतर काम मिलने लगा है। इस दिवाली पांच लाख का ऑर्डर मिला है। समूह की महिलाएं सुंदर फैंसी दीपक बनाने में जुटी हुई हैं। यह ऑर्डर लगभग पूरा हो चुका है और अब पैकिंग का काम चल रहा है।
साधना के समूह में गांव की 20 अन्य महिलाओं व युवतियां भी भागीदारी करती हैं। साधना के तीन बेटे हैं। तीनों स्कूल जाते हैं। पति सिलाई का काम करते हैं। लिहाजा, परिवार की गुजर जैसे-तैसे चल पाती थी। दो साल पहले स्वरोजगार का विचार किया और राह तलाशने में जुट गईं। पल्लू में पैसा न होना एक बड़ी बाधा थी। सो इस समस्या के निदान के लिए जिला उद्योग केंद्र हरिद्वार की उपमहाप्रबंधक अंजनी रावत नेगी से मिलीं। अंजनी ने सलाह दी कि वह महिलाओं का समूह बनाकर काम कर सकती हैं। इसके लिए जिला उद्योग केंद्र उन्हें ऋण व अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराएगा। यह सलाह साधना को भा गई। कुम्हार परिवार से होने के कारण उन्होंने समूह के साथ फैंसी दीपक बनाने का काम शुरू किया।
बकौल साधना, यह दीपक जब मैंने उपमहाप्रबंधक मैडम को दिखाए तो उन्होंने मेरी बहुत प्रशंसा की। साथ ही इन्हें खरीदने के लिए कुछ कंपनियों से भी बात की। इसका नतीजा यह रहा कि पिछली दिवाली में मुझे दो हजार फैंसी दीपक बनाने का ऑर्डर मिला। मैडम ने ही उन्हें खास तरह के डिब्बों (गिफ्ट पैक) में पैक करने की व्यवस्था भी कराई। कंपनियों को गिफ्ट के लिए यह दीपक बेहद पसंद आए और इस बार मुझे 12 हजार फैंसी दीपक बनाने का ऑर्डर मिला है। ऑर्डर करीब पांच लाख रुपये का है।
साधना बताती हैं कि उन्होंने समूह की दस महिलाओं के साथ गांव की दस अन्य महिलाओं को इस काम में जोड़ा। दीपक गांव में ही बनवाए गए और इन पर खास तरह के मोती, कलर और अन्य सामाग्री से सजावट की गई। एक डिब्बे में चार दीपक पैक किए गए हैं।
साधना के समूह से जुड़ी महिलाएं व युवतियां वर्तमान में छह से सात हजार रुपये प्रति महीना कमा लेती हैं। मीनाक्षी व सुधा बताती हैं कि वह मार्च 2017 में समूह से जुड़ी थीं। आय का नियमित जरिया मिलने से उनके परिवारों को भी संबल मिला है। साथ ही उनका समाज को देखने-समझने का नजरिया भी बदला है। साधना बताती हैं कि दिवाली के बाद अब उनका समूह ऑर्टिफिशियल ज्वैलरी बनाने का काम भी करेगा। इसके लिए उन्हें एक ऑर्डर भी मिल चुका है। इससे पहले उनके समूह ने रक्षा बंधन के मौके पर राखियां भी बनाई थीं।यह भी पढ़ें: मधुमक्खी घोल रही जीवन में मिठास, शहद से संवरी परिवार की किस्मत
यह भी पढ़ें: इस आइएएस दंपती ने अपने बेटे का आंगनबाड़ी केंद्र में कराया दाखिलायह भी पढ़ें: राजीव ने शुरू की विदेशी फूलों की खेती, अब कमा रहे हैं लाखों
यह भी पढ़ें: हिमालय दर्शन के साथ विदेशियों को गोसेवा का संदेश दे रहा ये शख्स, जानिए
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।