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Badrinath बयान मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य पर न्यायालय में मुकदमा चलाने को लेकर याचिका, कार्रवाई की अपील

Badrinath Dham उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री व समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ अपराधिक वाद कायम करने के लिए हरिद्वार के मुख्य दंडाधिकारी के यहां याचिका की गई है। अधिवक्ता अरुण भदोरिया ने अपनी याचिका में स्वामी प्रसाद मौर्या पर धार्मिक उन्माद फैलाने को जानबूझकर अनर्गल बयानबाजी कर जन भावनाएं भड़काने आदि का आरोप लगाया है।

By Anoop kumar singhEdited By: riya.pandeyUpdated: Thu, 03 Aug 2023 01:46 PM (IST)
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Badrinath बयान मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य पर न्यायालय में मुकदमा चलाने को लेकर याचिका

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Badrinath Dham Statement Case: उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री व समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ अपराधिक वाद कायम करने के लिए हरिद्वार के मुख्य दंडाधिकारी के यहां याचिका की गई है। अधिवक्ता अरुण भदोरिया ने अपनी याचिका में स्वामी प्रसाद मौर्या पर धार्मिक उन्माद फैलाने को जानबूझकर अनर्गल बयानबाजी कर जन भावनाएं भड़काने आदि का आरोप लगाया है।

उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य पर धारा 297ए, 298, 504 और 153 आइपीसी के तहत आपराधिक वाद कायम करने की मांग की है।

क्यों पड़ा बदरीनाथ नाम?

अपनी याचिका में अधिवक्ता ने कहा है कि बदरीनाथ धाम एक पवित्र तीर्थ स्थल है, जो उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है। जिसमें करोड़ों हिन्दूओं व सिक्ख श्रद्धालुओं की असीम आस्था है।

बदरीनाथ धाम के विषय में पौराणिक कथा है कि एक बार देवी लक्ष्मी भगवान नारायण से रुष्ट होकर पृथ्वी पर आ गयी, तब भगवान विष्णु ने उन्हें मनाने के लिए कठोर तप किया‌ जिस स्थान पर उन्होने तप किया वहां बदरी अथवा बेर का वन था‌ इसलिए इस पवित्र स्थान को बदरीनाथ नाम दिया गया‌।

देवी लक्ष्मी ने लिया था बदरी वृक्ष का रूप

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान विष्णु तपस्या में लीन थे और बहुत अधिक हिमपात होने लगा। भगवान विष्णु हिम में पूरी तरह डूब ग‌ए। उनकी यह दशा देखकर माता लक्ष्मी का हृदय द्रवित हो उठा और उन्होंने स्वयं भगवान विष्णु के समीप खड़े होकर बदरी के वृक्ष का रूप ले लिया और समस्त हिम को अपने ऊपर सहन किया।

छह महीने बाद भी जलती हुई मिलती है ज्योति

याचिका में कहा गया है कि बदरीनाथ धाम में सतयुग में भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन सभी भक्तों को हुआ करते थे, त्रेतायुग में केवल देवताओं और साधुओं को ही भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन होते थे। बदरीनाथ धाम में वर्तमान में भी छह महीने इंसान व छह महीने भगवान विष्णु की पूजा देवता करते हैं।

जब सर्दियो में छह महीने के लिए मन्दिर बंद हो जाता है और जब छह महीने बाद मन्दिर खुलता है तो ज्योति जलती हुई ही मिलती है। जिस कारण हम सभी सनातन धर्म के मानने वालों की धार्मिक भावनाऐं बदरीनाथ धाम से जुड़ी हुई है।

सपा नेता के बदरीनाथ बयान को लेकर करोड़ों श्रद्धालुओं को पहुंची ठेस

अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि इन सब बातों की जानकारी होने के बावजूद समाजवादी पार्टी के नेता व पूर्व मंत्री व एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने बदरीनाथ को लेकर अनर्गल बयान दे कर मेरे सहित करोड़ों सनातन श्रद्धालुओं के आस्था और भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। आरोप लगाया कि उन्होंने धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए जानबूझकर ऐसा किया।

उनका यह ब्यान देश व धर्म विरोधी सोच को दर्शाता है, जिम्मेदार पद पर रहते हुये स्वामी प्रसाद मौर्य ने भड़काऊ बयान दिया है। वह पूर्व में भी साधु और संत महात्माओं तथा श्रीरामचरितमानस को भी लेकर अनर्गल बयान दे चुके हैं। इससे पता चलता है कि वह जानबूझकर इस तरह का कृत्य कर रहे हैं।

अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने अपनी याचिका में कहां है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने ऐसा कर भारतीय दंड संहिता की धारा 295ए, 298, 504, 153 के तहत अपराध किया है, जो एक दण्डनीय अपराध है। उन्होंने इस मामले में थाने में मुकदमा दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था पर, मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। इसलिए न्यायालय से उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य से संबंधित सबूत उपलब्ध कराने और वाद चलाकर कड़ी से कडी सजा दिये जाने की अपील की है।

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