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प्राण प्रतिष्ठा के बाद सनातन शिरोमणि बन जाएंगे प्रधानमंत्री मोदी, अखाड़ा परिषद ने की उपाधि देने की घोषणा

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नागरिक अभिनंदन कर उन्हें सनातन शिरोमणि की उपाधि से अलंकृत करेगा। 500 से अधिक वर्षों की प्रतीक्षा के बाद करोड़ों सनातनियों का 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का सपना साकार होने के उपलक्ष्य में अखाड़ा परिषद दिल्ली में कार्यक्रम आयोजित करेगा। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से समय मिलने के बाद आयोजित किया जाएगा।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Mon, 15 Jan 2024 11:18 PM (IST)
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प्राण प्रतिष्ठा के बाद सनातन शिरोमणि बन जाएंगे प्रधानमंत्री मोदी।

अनूप कुमार सिंह, हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नागरिक अभिनंदन कर उन्हें सनातन शिरोमणि की उपाधि से अलंकृत करेगा। 500 से अधिक वर्षों की प्रतीक्षा के बाद करोड़ों सनातनियों का 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का सपना साकार होने के उपलक्ष्य में अखाड़ा परिषद दिल्ली में कार्यक्रम आयोजित करेगा। 

यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से समय मिलने के बाद आयोजित किया जाएगा। अखाड़ा परिषद श्रीरामोत्सव- सबके राम कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए दैनिक जागरण समाचार पत्र का भी अभिनंदन करेगा। 

प्रभु श्रीराम ने सौंपा है दायित्व

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि प्रभु श्रीराम ने अपने कारज के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुना, उन्हें करोड़ों सनातनियों के सपने को साकार करने के निमित्त यह दायित्व सौंपा है। 

उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम की इच्छा के बिना प्रधानमंत्री मोदी तो क्या, कोई भी इस कार्य को संपन्न नहीं कर सकता था। ऐसे में प्रभु राम के कारज में हम सभी सनातनियों को खुले दिल और भाव से सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वह प्रधानमंत्री का नहीं बल्कि श्रीराम का विरोध कर रहे हैं।

प्रमुख संत और सभी अखाड़े होंगे शामिल

श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद प्रधानमंत्री से मिले समयानुसार दिल्ली में इस कार्यक्रम का आयोजन करेगा। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद से जुड़े अखाड़े, संत-महात्माओं ने वर्षों श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का सपना साकार करने को संघर्ष किया और अपने प्राणों का बलिदान दिया। 

पांच सौ साल से अधिक के इंतजार के बाद उनका यह संघर्ष श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के साथ समाप्त हो रहा है। कार्यक्रम में सभी प्रमुख संत और सभी 13 अखाड़े शामिल होंगे।

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