Haridwar: रामानंदी परंपरा से होनी चाहिए रामलाल की प्राण-प्रतिष्ठा, महामंडलेश्वर स्वामी संतोषी माता ने की मांग
Haridwar 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है। अब श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा की महामंडलेश्वर स्वामी संतोषी माता ने एक नई मांग की है। संतोषी माता ने कहा कि भगवान श्री हरि विष्णु का अवतार भगवान श्री राम है और वैष्णव संप्रदाय के लोग राम और कृष्ण और श्री हरि की पूजा करते हैं इसलिए रामानंदी परंपरा से पूजा हो।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 22 जनवरी को इतिहास रचने जा रहा है। अयोध्या नगरी अपने आराध्य के स्वागत के लिए सज गई है। 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है। इस प्राण प्रतिष्ठा को लेकर न सिर्फ यूपी बल्कि पूरे देश में उल्लास है। अब श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा की महामंडलेश्वर स्वामी संतोषी माता ने एक नई मांग की है।
श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा की महामंडलेश्वर स्वामी संतोषी माता का कहना है कि अयोध्या में रामलला का मंदिर और जिसमें 22 जनवरी को श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। यह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम वैष्णव संप्रदाय की रामानंदी परंपरा के अनुसार किया जाएगा। वैष्णव परंपरा के अनुसार रामानंदी परंपरा भगवान के बाल रूप की पूजा करती है। इसलिए रामानंदी परंपरा से ही प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम कराया जाना वैष्णव परंपरा को सम्मान देना है।
रामानंदी परंपरा के अनुसार हो प्राण प्रतिष्ठा
संतोषी माता ने कहा कि भगवान श्री हरि विष्णु का अवतार भगवान श्री राम है और वैष्णव संप्रदाय के लोग राम और कृष्ण और श्री हरि की पूजा करते हैं, इसलिए रामानंदी परंपरा के अनुसार ही अयोध्या में भगवान श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होंगे।रामानंदी परंपरा से होना चाहिए रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा: महामंडलेश्वर स्वामी संतोषी माता #RamMandir #RamMandirPranPratishtha #RamJanmbhoomi pic.twitter.com/M8l9ax1rpx
— swati (@Swatisingh9921) January 11, 2024
सनातन में है पंचदेव पूजा का विधान
संतोषी माता ने आगे कहा कि सनातन धर्म में पंचदेव पूजा का विधान है जिसमें जगतगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित दशनामी संन्यास परंपरा के साधु- संत शिव के उपासक होते हैं और और भगवान श्री हरि और उनके अवतारों को मानने वाले वैष्णव संप्रदाय के लोग होते हैं।
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