Rishikesh News: एम्स के डाक्टरों ने व्यक्ति को दिया नया जीवन, बिना ओपन हार्ट सर्जरी किया स्वदेशी वाल्व रिप्लेस
एम्स ऋषिकेश के कार्डियोलाजी विभाग के चिकित्सकों ने बिना ओपन हार्ट सर्जरी के माध्यम से 58 वर्षीय एक रोगी के हृदय (हार्ट) के वाल्व सफलतापूर्वक रिप्लेसमेंट कर उसे नया जीवन प्रदान करने में सफलता पायी है। रोगी अब स्वस्थ है और बिना किसी सहारे के चलने-फिरने लगा है। प्रत्यारोपित किए गए वाल्व भारत में निर्मित स्वदेशी हैं। हृदय की कार्य क्षमता घटकर मात्र 20 प्रतिशत ही रह गयी।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। एम्स ऋषिकेश के कार्डियोलाजी विभाग के चिकित्सकों ने बिना ओपन हार्ट सर्जरी के माध्यम से 58 वर्षीय एक रोगी के हृदय (हार्ट) के वाल्व सफलतापूर्वक रिप्लेसमेंट कर उसे नया जीवन प्रदान करने में सफलता पायी है। रोगी अब स्वस्थ है और बिना किसी सहारे के चलने-फिरने लगा है। प्रत्यारोपित किए गए वाल्व भारत में निर्मित स्वदेशी हैं।
खराब हो चुके थे हृदय वाल्व
उत्तर प्रदेश के जनपद पीलीभीत के रहने वाले विभुरंजन पाल पिछले 10 महीनों से दिल की बीमारी की गंभीर समस्या सहित शरीर के विभिन्न जटिल रोगों से ग्रसित थे। उनके हृदय के वाल्व खराब हो चुके थे और इलाज के अभाव में एक वाल्व सिकुड़कर छोटा हो चुका था।
हृदय की कार्य क्षमता घटकर हो गई 20 प्रतिशत
हालत यह थी कि हृदय की कार्य क्षमता घटकर मात्र 20 प्रतिशत ही रह गयी। आसपास के अस्पतालों ने उन्हें बताया कि उनकी बीमारी अब लाइलाज हो चुकी है और उनका ठीक होना असंभव है। यहां बीते माह 10 अगस्त को कार्डियोलाजी विभाग की ओपीडी में मौजूद कार्डियोलाजिस्ट डा. भानु दुग्गल को उन्होंने पूरी बात बतायी।
ओपन हार्ट सर्जरी के माध्यम से वाल्व रिप्लेसमेंट की सलाह
एम्स के कार्डियोलाजी विभाग की विभागाध्यक्ष और वरिष्ठ सर्जन डा. भानु दुग्गल ने बताया कि मरीज की स्थिति ऐसी थी कि वह बहुत ही हाई रिस्क में था और उसकी बाईपास सर्जरी नहीं की जा सकती थी। ऐसे में मरीज की सभी आवश्यक जाचें करवाने के बाद उन्हें बिना ओपन हार्ट सर्जरी के माध्यम से हार्ट में वाल्व रिप्लेसमेंट करवाने की सलाह दी गयी।
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रोगी के किडनी भी हो चुके हैं खराब
डा. भानु ने बताया कि रोगी के किडनी भी खराब हो चुके थे। साथ ही फेफड़ों में पानी भर जाने के कारण उसकी सांस लगातार फूल रही थी। दिल अपने आकार से ज्यादा फैला हुआ था और खराब हो चुका था। इन हालात में उसे कभी भी कार्डियक डेथ होने का खतरा बना था।
एक सप्ताह तक आईसीयू में रोगी की हालत को किया गया स्थिर
उन्होंने बताया कि आईसीयू में एक सप्ताह तक दवाओं से रोगी की हालत स्थिर करने के बाद 20 अगस्त को उसके हार्ट के दो वाल्व सफलता पूर्वक रिप्लेसमेन्ट कर दिए गए। बेहद ही जटिल तरीके से की गयी इस प्रक्रिया में पहली बार भारत में निर्मित स्वदेशी वाल्वों का उपयोग किया गया है।
बिना आक्सीजन सपोर्ट के चलने लगा रोगी
डा. भानु ने बताया कि वाल्व रिप्लेसमेंट के बाद पहले दिन ही रोगी का गुर्दा सही ढंग से कार्य करने लगा और जरूरत न होने की वजह से मरीज की आक्सीजन सपोर्ट भी हटा दी गयी। उन्होंने बताया कि रोगी अगले रोज से ही बिना किसी सहारे के चलने लगा था।
सर्जरी के लगभग 20 दिनों बाद अब वह अपने पैरों से सीढ़ियां चढ़ने लगा है। यहां तक कि रोगी के अन्य अंग भी बेहतर कार्य कर रहे हैं। स्वास्थ्य लाभ मिलने पर रोगी को चार रोज पूर्व अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। वाल्व रिप्लेसमेंट करने वाली टीम में डा. भानु दुग्गल के अलावा डा. योगेश चन्द, डा. विजय, डा. अनिरूद्ध आदि शमिल थे।
कैथ लैब की सुविधा उपलब्ध
संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो मीनू सिंह ने इस सम्बन्ध में कार्डियोलाजी विभाग के अनुभवी डाक्टरों की टीम की प्रशंसा की। कहा कि हृदय रोगियों के बेहतर इलाज के लिए एम्स में विश्व स्तरीय तकनीक आधारित कैथ लेब की सुविधा भी है। हृदय रोग से ग्रसित रोगियों को एम्स की इस सुविधा का लाभ उठाना चाहिए।
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