ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना: लछमोली से मलेथा के बीच 3 किमी लंबी सुरंग बनकर तैयार, 125 किमी का है प्रोजेक्ट
Rishikesh-Karnprayag Rail Project वीर शिरामणि माधो सिंह भंडारी ने 400 वर्ष पूर्व मलेथा गांव की असिंचित भूमि को सिंचित बनाने के लिए अपने दम पर सुरंग खोदकर गूल का निर्माण कर इंजीनियरिंग को अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया था। अब उसी मलेथा गांव में एक और सुरंग के निर्माण ने इतिहास को दोहराने का काम किया था। 400 साल पहले गांव की समृद्धि के लिए यह सुरंगा खोदी गई थी।
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Tue, 10 Oct 2023 02:14 PM (IST)
दुर्गा नौटियाल, ऋषिकेश। Rishikesh-Karnprayag Rail Project: वीर शिरामणि माधो सिंह भंडारी ने 400 वर्ष पूर्व मलेथा गांव की असिंचित भूमि को सिंचित बनाने के लिए अपने दम पर सुरंग खोदकर गूल का निर्माण कर इंजीनियरिंग को अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया था। अब उसी मलेथा गांव में एक और सुरंग के निर्माण ने इतिहास को दोहराने का काम किया था। 400 साल पहले गांव की समृद्धि के लिए यह सुरंगा खोदी गई थी और अब ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना (Rishikesh-Karnprayag Rail Project) के लिए यहां सुरंग का निर्माण किया गया है।
2.869 किमी है सुरंग की लंबाई
रेल विकास निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत सिंह यादव ने बताया कि 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना (Rishikesh-Karnprayag Rail Project) के पैकेज पांच में निकास सुरंग संख्या-09 लछमोली से मलेथा के बीच बनी है। इस सुरंग की कुल लंबाई 2.869 किमी है।
22 सितंबर 2020 को शुरू किया गया था खोदाई का काम
आरवीएनएल की कार्यदायी संस्था एनइसीएल ने मैसर्स युकसेल प्रोजे की देखरेख में 22 सितंबर 2020 को इस सुरंग की खोदाई का काम शुरू किया था। बीती आठ अक्टूबर को 1111 दिन में इस सुरंगा को सफलतापूर्वक आरपार किया है।कर्णप्रयाग रेल परियोजना (Karnprayag Rail Project) पर टिहरी जिले में एनइसीएल के पास मैसर्स युकसेल प्रोजे की देखरेख में सुरंग-9 (2.869 किमी निकास सुरंग) के अलावा सुरंग-10 (4.067 किमी मुख्य व 4.127 किमी निकास सुरंग), छह छोटे पुल के साथ मलेथा और रानीहाट-नैथाना में दो रेलवे स्टेशन के निर्माण की जिम्मेदारी है।
चुनौतीपूर्ण लक्ष्य था मलेथा में रेल सुरंग
मलेथा में रेल सुरंग (Rail Tunnel) की खोदाई का काम आधुनिक विज्ञान के लिए इसलिए भी एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य था, कि यहां करीब 400 साल पहले वीर शिरोमणि माधो सिंह भंडारी सीमित साधनों से दो किमी लंबी भूमिगत सिंचाई गूल का निर्माण कर इंजीनियरिंग का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत कर चुके थे, जो आज भी सभी काे हैरान कर देता है।वीर माधो सिंह भंडारी ने इस गूल के निर्माण से मलेथा गांव की ऊसर भूमि को सिंचित बनाकर गांव को समृद्ध करने का काम किया था। मगर, अब मलेथा गांव आधुनिक विज्ञान का साक्षी बनने जा रहा है। अब मलेथा गांव से होकर उत्तराखंड (Uttarakhand) के पर्वतीय क्षेत्रों के विकास की रेल दौड़ेगी।
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