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Road Safety With Jagran: हरिद्वार के एआरटीओ बोले, जागरूक चालक ही लगा सकते हैं हादसों पर ‘ब्रेक’

Road Safety With Jagran सड़क सुरक्षा अभियान के तहत दैनिक जागरण की टीम ने हरिद्वार के एआरटीओ प्रशासन रत्नाकर सिंह से बातचीत की। उनका कहना है कि जागरूक चालक ही हादसों पर ‘ब्रेक’ लगा सकते हैं। प्रस्तुत है उससे बातचीत के कुछ अंश।

By himanshu joshiEdited By: Sunil NegiUpdated: Fri, 25 Nov 2022 09:06 PM (IST)
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Road Safety With Jagran : हरिद्वार के एआरटीओ प्रशासन रत्नाकर सिंह।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: Road Safety With Jagran: सड़क सुरक्षा अभियान के तहत दैनिक जागरण की टीम ने हरिद्वार जिले में सड़कों का सर्वे किया तो हमें कई खामियां देखने को मिली। हालांकि उत्तराखंड परिवहन विभाग सड़क दुर्घटनाओं के साथ हादसों में होने वाली मौत की संख्या को शून्य करने के लक्ष्य को लेकर काम कर रहा है और उनकी कवायद के सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। अभियान के दूसरे चरण में हमारी टीम ने हरिद्वार के एआरटीओ प्रशासन रत्नाकर सिंह से बातचीत की, प्रस्तुत है उसके कुछ अंश-

प्रश्न:- हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में परिवहन विभाग क्यों असफल है, क्या संसाधन की कमी आड़े आ रही है?

  • उत्तर: सबसे पहले मैं सड़क सुरक्षा, सुरक्षित और सुविधापूर्ण यातायात संबंधी अभियान के लिए दैनिक जागरण को साधुवाद देता हूं। साथ ही देश का अग्रणी समाचार पत्र आम जन जागरूकता के साथ-साथ सरकारी व्यवस्था में अपेक्षित सुधार के लिए पुनीत अभियान चलाने के लिए आप प्रशंसा के पात्र हैं। परिवहन विभाग लगातार हादसों को कम करने और मौत की संख्या को शून्य करने के उद्देश्य को काम कर रहा है। इस दिशा में प्रयास सार्थक भी हो रहे हैं। हाईवे पर वाहनों की तेज गति को निर्धारित गति सीमा के भीतर नियंत्रित करने के लिए 'एएनपीआर' (आटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर) कैमरा तकनीक का भी उपयोग बढ़ाया जा रहा है। साथ ही 24 घंटे चेकिंग अभियान के लिए अलग-अलग टीम गठित की गई है।
प्रश्न:- देखने में आया है कि पिछले कुछ वर्षों में हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं के साथ मौत की संख्या भी बढ़ी है, आपकी नजर में इसके क्या कारण हैं?

  • उत्तर:- सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारण तेज गति, वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग, यातायात नियमों के साथ संकेतकों की जानकारी का अभाव, लेन चेंज के नियमों का पालन न करना आदि हैं। इसके अलावा अन्य कई कारण भी सामने आते रहते हैं। जैसे खस्ताहाल सड़क, अंधा मोड़, बिना संकेतक का डायवर्जन या फिर सड़कों का समतल न होना, उनकी असामान्य उछाल आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न:- अक्सर यह शिकायत आती है कि लाइसेंस बनाने के समय अभ्यर्थी के यातायात ज्ञान संबंधी सामान्य जांच नहीं होती। ऐसे में वो स्वयं तो दुर्घटना का शिकार होते ही हैं, दूसरों के लिए भी खतरा पैदा करते हैं। आपको क्या लगता है?

  • उत्तर:- बिलकुल, नौसिखियों के वाहन चलाने से दुर्घटना होने को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि लाइसेंस बनाने के समय अभ्यर्थी की यातायात नियमों संबंधी ज्ञान की परीक्षा ली जाती है। देहरादून में चालकों को यातायात नियमों की जानकारी देने, संकेतकों की पहचान और हाईवे पर वाहन चालन संबंधी प्रशिक्षण देने के लिए 'लर्निंग ट्रैकÓ स्कूल’ है, हरिद्वार में भी जल्द इसका संचालन होने जा रहा है। साथ ही परिवहन विभाग लाइसेंस देते समय पूरी सतर्कता बरतता है।
प्रश्न:- सुरक्षित और सुविधापूर्ण यातायात सुनिश्चित करने के लिए परिवहन विभाग की क्या तैयारी है?

  • उत्तर:- विभाग के पास संसाधन या मानव संसाधन की कोई विशेष कमी नहीं है। सर्दियां शुरू हो गई हैं। ऐसे में कोहरा और धुंध दुर्घटना के प्रमुख कारण बन जाते हैं। विभाग इसे रोकने को प्रयत्नशील है। कोहरे-धुंध में फाग लाइट, दुर्घटना संभावित स्थलों पर पर्याप्त मार्ग प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ दोनों तरफ निश्चित दूरी पर सावधानी सूचक संकेतक, वाहनों में कोहरे और धुंध में नजर आने वाले रिफ्लेक्टर लगाने को जागरूकता अभियान, जगह-जगह गति नियंत्रण की व्यवस्था, चेकिंग टीम की तैनाती सुनिश्चित की जा रही है। अपर-डिपर के प्रयोग के लिए वाहन चालकों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। ये शुरुआत है, आने वाले दिनों में इसका व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा।
प्रश्न:- बढ़ते हादसों को रोकने के लिए आप आम जनता, विशेषकर युवा वर्ग को क्या संदेश देना चाहेंगे?

  • उत्तर:- मेरा सभी से अनुरोध है कि वाहन चलाते समय यातायात नियमों का पालन अवश्य करें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि उन्हें सड़क पर स्वयं के साथ-साथ चलने वाले अन्य लोगों का भी ध्यान रखना है। हमेशा इस बात की कोशिश रहनी चाहिए कि हमारे वाहन चलाने से किसी अन्य को परेशानी न हो। सुरक्षित चलें और दूसरों को भी सुरक्षित रखें।
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