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Road Safety With Jagran : अपने जीवन का मोल समझें, खुद सुरक्षित चलें, दूसरों का जीवन भी बचाएं

Road Safety With Jagran कई हादसों में गलत कट खस्ताहाल सड़क बोटल नेक व अधूरे निर्माण जैसे तकनीकी कारण मौत की वजह बनते हैं जबकि यातायात नियमों का पालन न करने से लोग खुद भी हादसों को न्यौता देते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sun, 27 Nov 2022 01:28 PM (IST)
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Road Safety With Jagran : हरिद्वार जिले की एसपी (क्राइम व यातायात) रेखा यादव
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : Road Safety With Jagran : सड़क सुरक्षा अभियान के तहत 'दैनिक जागरण' की टीम ने हरिद्वार जिले में सड़कों का सर्वे किया, जिसमें सड़क हादसों के विभिन्न तकनीकी और मानवीय कारण सामने आए।

कई हादसों में गलत कट, खस्ताहाल सड़क, बोटल नेक व अधूरे निर्माण जैसे तकनीकी कारण मौत की वजह बनते हैं, जबकि यातायात नियमों का पालन न करने से लोग खुद भी हादसों को न्यौता देते हैं।

हादसों की रोकथाम के लिए सरकारी विभागों को गंभीरता और आमजन को जागरूकता दिखाने की जरूरत है। अभियान के दूसरे चरण में 'दैनिक जागरण' ने हरिद्वार जिले की एसपी (क्राइम व यातायात) रेखा यादव से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश।

सवाल: सड़क दुर्घटनाओं, खासकर हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं और उनमें हो रही मौत पर क्यों नहीं अंकुश लग पा रहा। कहां और क्या दिक्कत है?

जवाब: मैं सर्वप्रथम आमजन की सुरक्षा को लेकर सड़क सुरक्षा और जागरूकता से संबंधित अभियान चलाने पर 'दैनिक जागरण' को बधाई देती हूं। ऐसे प्रयासों और जनजागरूकता से ही हादसों में कमी आ सकती है। जहां तक सवाल दुर्घटनाओं का है, हाईवे पर होने वाले सड़क हादसों का प्रमुख कारण ओवरस्पीड, नशे में वाहन चलाना, अवांछित कट और यातायात नियमों का पालन न करना है। लोग यातायात नियमों का जितनी गंभीरता से पालन करेंगे, हादसे उतने कम होंगे।

सवाल: सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए समय-समय पर ब्लैक स्पाट और दुर्घटना संभावित क्षेत्रों का चयन किया जाता रहा है, उन्हें चिह्नित करने के बाद भी वहां पर दुर्घटना को रोक पाना व्यवस्थागत खामी है, इसे कैसे दूर करेंगे?

जवाब: इसमें दो तीन कारण हैं, एक तो इंन्फ्रास्ट्रक्चर, जो डेवलपमेंट होता है, वह सारे स्टेकहोल्डर्स को साथ लेकर नहीं किया जाता। सामान्य तौर पर सड़क बना दी जाती है, जिससे आवागमन आसान हो जाता है। लेकिन उस सड़क पर कहां टर्न, यू टर्न, डिवाइडर आदि होने चाहिए, इसके लिए कोई होमवर्क नहीं किया जाता है। इसलिए ज्यादा समस्या आती है।

सवाल: दुर्घटनाओं को रोकने में क्या व्यवहारिक दिक्कत है। संसाधनों की कमी है या फिर मानव संसाधन की?

जवाब: कोई नियम बनाया जाता है तो वह स्वत: लागू होना चाहिए, लेकिन हमारे देश में नहीं हो पाता है। हम यह अपेक्षा करते हैं कि कोई हमसे उसका पालन कराए। खुद से पालन करने में ज्यादातर लोग जागरूकता नहीं दिखाते हैं। इसीलिए अनुपालन कराने में मानव संसाधन की जरूरत पड़ती है और मानव संसाधन कमी तो है ही, इस कारण क्रियान्वयन में दिक्कत आती है।

सवाल: यातायात नियमों का वाहन चालक बहुतायत में पालन नहीं करते हैं, विशेषकर तेज गति, वाहन चलाते समय मोबाइल का इस्तेमाल, लेन चेंज करते समय नियमों का पालन न करना, ओवरलोडिंग व हेलमेट का उपयोग न करना आदि मामलों में। आपका विभाग इनका पालन करा पाने और इनके खिलाफ कार्रवाई करने में पीछे क्यों रहता है?

जवाब: मुख्य बात यह है कि पहले अपनी सुरक्षा को आश्वस्त करेंगे, फिर दूसरे की सुरक्षा कर सकते हैं। यदि हमने सोच लिया कि मैं खुद यातायात नियमों का पालन करुंगा या करुंगी, निर्धारित स्पीड में वाहन चलाएंगे, अपनी लेन में चलेंगे, तो घटना नहीं होगी। इसमें पहली जिम्मेदारी खुद पर आती है। विभाग नियमों का पालन कराने के लिए लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई करता है।

सवाल: यातायात नियमों का पालन कराने विशेषकर युवा वर्ग को इसकी तथ्यात्मक जानकारी देने के लिए विभाग के स्तर पर क्या व्यवस्था या कार्रवाई की जा रही है?

जवाब: यह बात सही है कि युवाओं में यातायात नियमों का पालन करने की प्रवृत्ति कम रहती है, इसलिए समय-समय पर जनजागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। पुलिस टीमें नुक्कड़ चौराहों और स्कूल कालेजों में जाकर छात्र-छात्राओं को जागरूक करती हैं। साइकिल रैली, पैदल रैली निकाली जा रही है। युवाओं को ट्रैफिक वालिंटियर्स बनाया जा रहा है, ताकि वह जमीनी हकीकत को समझे और उसका अनुपालन करे।

सवाल: सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और नियमों का पालन करने के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

जवाब: सबसे पहली और प्रमुख बात, अपने जीवन की सुरक्षा को लेकर गंभीरता दिखाएं। अगर आपने यह बात अपने जीवन में आत्मसात कर ली तो आप किसी भी तरह की दुर्घटना से बच सकते हैं और सामने वाले की सुरक्षा भी आपकी ही जिम्मेदारी है। जीवन अनमोल है, इसकी कद्र करें। खुद भी यातायात नियमों का पालन करें और दूसरों को भी प्रेरित करें। दुपहिया वाहन पर हेलमेट जरूर पहनें और गति पर नियंत्रण रखें। कभी घर न पहुंचने से बेहतर है कि थोड़ी लेट पहुंच जाएं। सुरक्षित रहें और दूसरों की जिंदगी भी सुरक्षित बनाएं।

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