गंगोत्री ग्लेश्यिर पर पैनी नजर रखेंगे वैज्ञानिक
रुड़की। तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर तथा लगातार बढ़ता ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव वैज्ञानिकों की चिंता का विषय बना हुआ है। इसे देखते हुए रुड़की स्थित राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआइएच) के वैज्ञानिक गंगोत्री में ग्लेशियरों की निगरानी करने की योजना बनाई हैं।
रुड़की (हरिद्वार)। तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर तथा लगातार बढ़ता ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव वैज्ञानिकों की चिंता का विषय बना हुआ है। इसे देखते हुए रुड़की स्थित राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआइएच) के वैज्ञानिक गंगोत्री में ग्लेशियरों की निगरानी करने की योजना बनाई हैं। इस दौरान ग्लेशियरों के पिघलने की गति एवं मात्रा, ग्लेशियर से नदियों में जाने वाले पानी की मात्रा, वहां के तापमान, हवा की गति, नमी, बरसात और हिमपात जानकारी जुटाई जाएगी।
बीते रोज वैज्ञानिकों की एक टीम गंगोत्री रवाना हो गई। रवाना होने से पहले टीम में शामिल संस्थान के सतही जलविज्ञान विभाग के वैज्ञानिक मनोहर अरोड़ा ने बताया कि 15 सालों से गंगोत्री ग्लेश्यिर पर अध्ययन किया जा रहा है।
इसके तहत एनआइएच के वैज्ञानिक प्रत्येक वर्ष ग्लेशियरों पर नजर रखने के लिए वहां जाते हैं। उन्होंने बताया कि वैसे तो संस्थान की ओर से ग्लेश्यिरों में आ रहे बदलाव पर नजर रखने के लिए आटोमेटिक वेदर स्टेशन (एडब्ल्यूएस) की स्थापना की गई है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से टीम मई से अक्टबूर तक वहां रहकर नजर रखती है।
एनआइएच के निदेशक राजदेव सिंह ने बताया कि आटोमेटिक वेदर स्टेशन से मिली रीडिंग के जरिए वैज्ञानिक यह शोध भी कर रहे हैं कि ग्लेश्यिर से कितना पानी नदियों में आ रहा है। इसके अलावा पानी की शुद्धता का भी अध्ययन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि एनआइएच की न्यूक्लियर हाइड्रोलॉजी लैब में वहां से लिए गए पानी के सैंपल की शुद्धता की परखी जाती है।
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