अभिनंदन समारोह में पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, 200 वर्ष बाद उत्तराखंड में एक साथ आए तीन शंकराचार्य
Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Saraswati 15 अक्टूबर यानी आज शनिवार को पहली बार उत्तराखंड की धरती पर आगमन और रात्रि विश्राम होगा। अभिनंदन समारोह में दो सौ वर्ष बाद तीन पीठ के शंकराचार्य जोशीमठ में एक साथ मौजूद हैं।
By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sat, 15 Oct 2022 11:28 AM (IST)
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Saraswati : ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शनिवार को बदरीनाथ पहुंचे। उनके साथ श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य महास्वामी विधुशेखर भारती महाराज और पश्चिमाम्नाय द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य सदानंद सरस्वती भी मौजूद रहे। वहीं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अभिनंदन समारोह में दो सौ वर्ष बाद तीन पीठ के शंकराचार्य जोशीमठ में एक साथ आ रहे हैं।
जोशीमठ में होगा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का गद्दी अभिषेक
यहां स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का गद्दी अभिषेक भी किया जाएगा। इसके बाद हरिद्वार पहुंचने पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज का नगर भ्रमण के दौरान संत समाज अभिनंदन और स्वागत करेगा।
यह रहेगा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कार्यक्रम
शंकराचार्य बनने के बाद 15 अक्टूबर यानी आज शनिवार को पहली बार उत्तराखंड की धरती पर आगमन और रात्रि विश्राम कार्यक्रम है। 16 अक्टूबर को वह बदरीनाथ से केदारनाथ का दर्शन करेंगे और 17 अक्टूबर को भव्य अभिनंदन समारोह होगा।17 अक्टूबर को जेपी मैदान में होगा अभिनंदन समारोह
मीडिया प्रभारी (उत्तर भारत) डाक्टर शैलेंद्र योगी उर्फ योगीराज सरकार ने बताया कि 17 अक्टूबर को पूर्वाह्न साढ़े दस बजे से दोपर डेढ़ बजे तक जेपी मैदान, रविग्राम, ज्योतिर्मठ, चमोली में आयोजित अभिनंदन समारोह में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के आमंत्रण को स्वीकार कर श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य महास्वामी विधुशेखर भारती महाराज और पश्चिमाम्नाय द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य सदानंद सरस्वती भी मौजूद रहेंगे।
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वेद एवं पुराणों के प्रखंड विद्वान हैं अविमुक्तेश्वरानंद
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज वेद एवं पुराणों के प्रखंड विद्वान हैं और जगतगुरु शंकराचार्य के सानिध्य का लाभ उन्हें हमेशा प्राप्त हुआ है।
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