Sharad Purnima 2024: वर्षभर की 12 पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा सबसे श्रेष्ठ, इस बार दो दिन पड़ रहा संयोग
Sharad Purnima 2024 शरद पूर्णिमा 2024 का संयोग 16 और 17 अक्टूबर को बन रहा है। इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। शरद पूर्णिमा की पूजा से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक संपन्नता आती है। इस दिन खीर बनाकर रखने का भी विधान है जिससे असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है। शरद पूर्णिमा का एक नाम कोजागर व्रत भी है।
जागरण संवाददाता, रुड़की। Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा का संयोग 16 एवं 17 अक्टूबर दो दिन पड़ रहा है। शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। वहीं वर्षभर की 12 पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा सबसे श्रेष्ठ होती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि शरद पूर्णिमा को कोजागर व्रत, रास पूर्णिमा, कौमुदी व्रत, कुमार पूर्णिमा आदि नाम से जाना जाता है। 16 अक्टूबर को पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ रात्रि में लगभग 8:40 पर होगा। जबकि समापन 17 अक्टूबर शाम 4:50 पर होगा।
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समुद्र मंथन से हुआ था मां लक्ष्मी का प्राकट्य
उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में रासलीला रचाई थी। इसी दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। इसके अलावा इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसलिए इस पूर्णिमा का अपने आप में विशेष महत्व होता है।
उन्होंने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की किरणों से अमृत की बूंदें टपकती हैं। इसलिए इस रात्रि में खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखी जाती है। इस खीर को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से असाध्य रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है। चंद्रमा की किरणों से इस खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं।
मां लक्ष्मी की पूजा से आती है आर्थिक संपन्नता
- आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि शरद पूर्णिमा का एक नाम कोजागर व्रत भी है।
- कोजागर शब्द को जागृति से बना हुआ है। इसका अर्थ होता है कि कौन जाग रहा है।
- ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं और जो भी व्यक्ति जागते हुए भक्ति भाव में लीन होता है उसे सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं।
- इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक संपन्नता आती है और बड़ी-बड़ी व्याधियों से मुक्ति प्राप्त होती है।
मां लक्ष्मी के निमित्त दीपदान करने का भी विधान
- शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए।
- संध्या काल के समय मां को स्नान कराकर षोडशोपचार से उनका पूजन करना चाहिए।
- इस दिन रात्रि जागरण करते हुए मां लक्ष्मी के निमित्त दीपदान भी करने का विधान बताया गया है।
- आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि क्योंकि पूर्णिमा तिथि में चंद्रोदय व्यापिनी पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है।
- इसलिए व्रत, पूजन तथा खीर रखने का विधान 16 अक्टूबर को करना शास्त्र सम्मत होगा।
- वहीं उदय व्यापिनी सिद्धांत को ग्रहण करते हुए स्नान एवं दान का विधान 17 अक्टूबर को करना शास्त्र सम्मत होगा।