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Shardiya Navratri: 51 शक्तिपीठों में से एक है हरिद्वार का माया देवी मंदिर, पूजा से पूर्ण होती सभी मनोकामनाएं

Shardiya Navratri 2022 माया देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह वह स्थान है जहां देवी सती का हृदय और नाभि गिरी थी। मायादेवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी हैं। इस मंदिर के कारण प्राचीन काल में हरिद्वार को मायापुरी के नाम से जाना जाता था।

By Jagran NewsEdited By: Sunil NegiUpdated: Fri, 30 Sep 2022 05:24 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2022 माया देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: Shardiya Navratri 2022 माया देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह वह स्थान है, जहां देवी सती का हृदय और नाभि गिरी थी। मायादेवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी हैं।

हरिद्वार को जाना जाता था मायापुरी के नाम से

इस मंदिर के कारण प्राचीन काल में हरिद्वार को मायापुरी के नाम से जाना जाता था। मायापुरी क्षेत्र में पुरातन काल से ही तीन शक्तिपीठ त्रिकोण के रूप में स्थित हैं। त्रिकोण के उत्तरी कोण में मनसा देवी, दक्षिण में शीतला देवी और पूर्वी कोण में चंडी देवी स्थित है।

पूर्ण होती भक्तों की सभी मनोकामनाएं

इस त्रिकोण के मध्य पूर्वाभिमुख स्थित होने पर वाम पार्श्‍व अर्थात उत्तर दिशा में क्षेत्र की अधिष्ठात्री भगवती माया देवी और दक्षिण पार्श्‍व में माया के अधिष्ठाता भगवान शिव श्री दक्षेश्वर महादेव के रूप में स्थित हैं। यहां पूजा-अर्चना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्र में मां के दरबार में शीश नवाने रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इन दिनों मंदिर की साज-सज्जा भी देखते ही बन रही है।

यह मंदिर का इतिहास

  • माया देवी मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। यह हरिद्वार के प्राचीन मंदिरों में से एक है।
  • माया देवी तीन सिर और चार भुजाओं वाली देवी हैं। भारत की सुप्रसिद्ध मोक्षदायिनी सप्तपुरियों में एक मायापुरी है।
  • गरुड़ पुराण के अनुसार इन सप्तपुरियों में अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांची अवंतिका, पुरी द्वारावती शामिल हैं।

वर्षभर श्रद्धालु मैया के दर्शन को आते

  • महंत सुरेशानंद सरस्वती (मुख्य पुजारी, मायादेवी मंदिर, हरिद्वार) ने बताया कि मायादेवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी हैं। इन्हीं के नाम पर मायापुरी नाम पड़ा।
  • यह सात पुरियों में से एक है, विश्व का प्रथम शक्तिपीठ है। यहां सारे शक्तिपीठों का उत्पत्ति केंद्र है।
  • वर्षभर श्रद्धालु मैया के दर्शन को पहुंचते हैं। यहां नवरात्रि में विशेष साज-सज्जा की गई है। रोजाना विशेष श्रृंगार और पूजा-अर्चना की जाती है।

ऐसे पहुंचे माया देवी मंदिर

  • श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा परिसर स्थित श्री अधिष्ठात्री मायादेवी मंदिर ट्रेन, बस और निजी वाहनों से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
  • रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से मंदिर की दूरी आधा किलोमीटर है। यहां पहुंचने के लिए विभिन्न स्थानों से आटो रिक्शा आदि भी आसानी से उपलब्ध हैं।
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मायादेवी से ही हुई समस्त शक्तिपीठों की उत्पत्ति

पंडित भवानी शंकर (पुरोहित, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा, हरिद्वार) ने कहा कि मायादेवी शक्तिपीठ से ही समस्त शक्तिपीठों की उत्पत्ति हुई है। वैसे तो यहां हर रोज नवरात्रि है, लेकिन इन दिनों बड़ी संख्या में भक्त मां की पूजा-अर्चना को पहुंच रहे हैं। मंदिर में दुर्गापाठ से लेकर सुबह और शाम विशेष आरती की जा रही है।

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