संत की कलम से: कुंभ धार्मिक आस्था और विश्वास की पराकाष्ठा -श्री महंत रामरतन गिरी महाराज
Haridwar Kumbh 2021 कुंभ सनातन संस्कृति और लोक आस्था का महापर्व है। कुंभ अलौकिक छटा और विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है। कुंभ की अलौकिक विशेषताओं का वर्णन तो देवताओं की वाणी ने भी किया है। यह धार्मिक आस्था और विश्वास की पराकाष्ठा भी है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 07 Jan 2021 08:33 AM (IST)
Haridwar Kumbh 2021 कुंभ सनातन संस्कृति और लोक आस्था का महापर्व है। कुंभ अलौकिक छटा और विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है। कुंभ की अलौकिक विशेषताओं का वर्णन तो देवताओं की वाणी ने भी किया है। यह धार्मिक आस्था और विश्वास की पराकाष्ठा भी है। क्षीर सागर में शेषनाग की रस्सी से किए समुद्र मंथन से निकले अमृत को हुए देवताओं और असुरों में हुए संग्राम के दौरान धरती लोक पर जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरी वहां-वहां देवताओं के आदेश से कुंभ का आयोजन शुरू हुआ। इस कारण ही कुंभ धरती लोक के साथ-साथ देवलोक में भी आस्था का महापर्व है।
गंगा तीर्थ हरिद्वार कुंभ के लिए विशेष योग 12 वर्षों की बजाए 11 वर्ष में पड़ रहा है। यही वजह है कि इस बार यह ग्यारह वर्ष में ही आयोजित हो रहा है। संत महापुरुषों के साथ ही श्रद्धालु भक्त भी कुंभ के आयोजन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। नागा संन्यासी कुंभ मेले के दौरान सनातन परंपराओं का निर्वहन करते सभी को अपनी ओर आकृष्ट करते हैं। कुंभ मेले के दौरान निकलने वाली अखाड़ों की पेशवाई लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होती है।
नागा संन्यासियों की फौज जब स्नान के लिए निकलती है तब एक अलौकिक दृश्य सभी को मनमोहित करता है। शाही स्नान की प्राचीन परंपरा कुंभ को और भी दिव्य और भव्य बनाती है। कुंभ मेले के दौरान स्नान कर संत महापुरुष विश्व कल्याण की कामना करते हैं और संपूर्ण विश्व को एक सकारात्मक धार्मिक संदेश प्रदान करते हैं।
[श्री महंत रामरतन गिरी महाराज, सचिव श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी]
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