Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Haridwar News: अखाड़ा परिषद ने किया स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अभिनंदन समारोह का बहिष्कार

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पट्टाअभिषेक पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद निरंजनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को फर्जी तरीके से शंकराचार्य चुना गया था।

By Anoop kumar singhEdited By: Sunil NegiUpdated: Sat, 15 Oct 2022 06:01 PM (IST)
Hero Image
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar News: ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अभिनंदन समारोह का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (निरंजनी) ने बहिष्कार किया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को गलत तरीके से शंकराचार्य चुना गया है। अब सुप्रीम कोर्ट के पट्टाभिषेक पर रोक के बाद संन्यासी अखाड़ों के संत-महंत जल्द ही विधिवत रूप से नया शंकराचार्य चुनेंगे।

रविंद्र पुरी महाराज ने की प्रेस वार्ता

निरंजनी अखाड़ा में पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी देते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती की ओर से उनके अधिवक्ता संतोष कुमार और नरेंद्र सिंह यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए 17 अक्टूबर को ज्योतिष पीठ में शंकराचार्य पद पर होने वाले पट्टा विषयक कार्यक्रम पर रोक लगाने की प्रेयर की थी।

फर्जी तरीके से चुना गया शंकराचार्य

जस्टिस बीआर गवाई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए तत्काल प्रभाव से पट्टाअभिषेक समारोह पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कापी दिखाते हुए श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को फर्जी तरीके से शंकराचार्य चुना गया था और पट्टाअभिषेक भी गलत तरीके से किया जा रहा था।

शंकराचार्य पद के लिए वसीयत नहीं होती मान्य

उन्होंने कहा कि मठ गिरी नामा है और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती हैं इसलिए उनका मठ में कोई अधिकार नहीं है। शंकराचार्य पद के लिए वसीयत मान्य नहीं होती है। उन्होंने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस बारे में अखाड़े के किसी साधु संत से कोई बात नहीं की। केवल उन्हीं लोगों को बुलाया जो उनके खास व्यक्ति हैं।

हमने किया इसका विरोध

उन्होंने कहा कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का शरीर पूरा होने के दौरान ही स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को मंत्र पढ़कर फर्जी तरीके से शंकराचार्य बनाया जा रहा था। हमने इसका विरोध किया तो स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने तर्क दिया कि जब एक राजा का शरीर पूरा हो जाता है तो उसके मृत शरीर के सामने ही दूसरा राजा चुना जाता है।

यह भी पढ़ें: अभिनंदन समारोह में पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, 200 वर्ष बाद उत्‍तराखंड में एक साथ आए तीन शंकराचार्य

अविमुक्तेश्वरानंद बताएं कि वह राजा बन रहे हैं या फिर संन्यासी

श्रीमहन्त रविंद्र पुरी ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बताएं कि वह राजा बन रहे हैं या फिर संन्यासी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्टे होने के बाद कार्यक्रम आयोजित करना और उसमें जाना अवमानना की श्रेणी में आता है। इसलिए इस कार्यक्रम में जाना किसी के लिए भी सही नहीं है, यह कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। यदि कोर्ट की अवमानना की जाती है तो कार्रवाई होगी।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अविमुक्तेश्वरानंद के अभिषेक पर सुप्रीम कोर्ट की रोक