उत्तराखंड में अनिवार्य तबादला की जद में आए कुछ शिक्षक स्कूल जाने को तैयार नहीं, होगी ये कार्रवाई
उत्तराखंड में अनिवार्य तबादला नीति जुलाई में लागू हुआ था। तबादला हुए काफी समय बीत गया।अक्टूबर का महीना बीत जाने के बाद भी अधिकांश शिक्षक अभी तक नए स्कूलों को ज्वॉइन नहीं कर रहे हैं। मुख्य शिक्षा अधिकारी ने ऐसे शिक्षकों के संबंध में सभी उप शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। ऐसे शिक्षकों का अब वेतन रोकने के निर्देश दिए गए हैं।
जागरण संवाददाता, रुड़की (हरिद्वार)। अनिवार्य तबादला नीति के तहत जुलाई में हुए तबादलों में से अधिकांश शिक्षक ज्वॉइन नहीं कर रहे हैं। मुख्य शिक्षा अधिकारी ने ऐसे शिक्षकों के संबंध में सभी उप शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। ऐसे शिक्षकों का अब वेतन रोकने के निर्देश दिए गए हैं।
बता दें कि अनिवार्य तबादला नीति के तहत लंबे समय से सुगम विद्यालयों में जमे शिक्षकों के दुर्गम विद्यालयों में तबादले किए गए थे। अधिकांश शिक्षकों ने तबादले को लेकर प्रत्यावेदन दिया था। अधिकांश शिक्षकों ने विद्यालय की अधिक दूरी, पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं होना, माता-पिता या सास सुसर, पति एवं पत्नी के बीमार होने आदि का बहाना किया था।
शिक्षा विभाग की ओर से प्रत्येक प्रत्यावेदन पर विचार करते हुए सिर्फ एक शिक्षक के तबादले को ही संशोधित किया था। सभी को सितंबर के अंत में निर्देश जारी किए गए थे कि वह अपने तैनाती स्थल पर जाकर योगदान दें, लेकिन अक्टूबर बीत जाने के बावजूद कई शिक्षकों ने अभी तक भी ज्वॉइन नहीं किया है।
मुख्य शिक्षा अधिकारी ने मांगा स्पष्टीकरण
इस पर मुख्य शिक्षा अधिकारी केके गुप्ता ने कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने सभी उप शिक्षा अधिकारियों से ऐसे शिक्षकों की सूची तलब की है। साथ ही उनका वेतन रोकने के निर्देश भी दिए हैं। सभी से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है। मुख्य शिक्षा अधिकारी के निर्देश के बाद से शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है।
इसे भी पढ़ें- Haridwar News : 3.51 लाख दीयों से जगमग हुई धर्मनगरी, दिव्य और भव्य नजर आई हरकी पैड़ी
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।