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सोलानी पुल पर भी मंडरा रहा दून जैसा खतरा, कहीं हो न जाए बड़ा हादसा

हरिद्वार जिले के रुड़की में सोलानी नदी पर बने 178 साल पुराने पुल को लेकर भी लोग डरे हुए हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 30 Dec 2018 08:38 PM (IST)
सोलानी पुल पर भी मंडरा रहा दून जैसा खतरा, कहीं हो न जाए बड़ा हादसा
रुड़की, जेएनएन। देहरादून में हुए पुल हादसे के बाद रुड़की में सोलानी नदी पर बने 178 साल पुराने पुल को लेकर भी लोग डरे हुए हैं। इस पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही रोकी गर्इ है। 

दरअसल, तीस साल पहले उप्र सिंचाई विभाग ने पुल को असुरक्षित घोषित करते हुए इस पुल से भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी थी। इतना ही नहीं भारी वाहनों को रोकने के लिए पुल के दोनों ओर हाइट गेज लगाकर भारी वाहनों का प्रवेश बंद कर दिया। पुरातत्व विभाग में दर्ज यह पुल बेहद महत्वपूर्ण है। 

भारतेन्दू हरिश्चद ने अपनी पुस्तक में इस पुल का जिक्र किया है। सन ऑफ इंडिया का एक गाना नन्हा-मुन्ना राही हूं देश का सिपाही हूं भी इसी पुल पर फिल्माया गया। बावजूद इसके ये जर्जर हालत में पहुंच गया है। तीस साल पहले लगाए गए हाइट गेज भी हटा दिए गए हैं। अब इस पुल पर ईंट, रेत, बजरी ही नहीं दूसरे भारी वाहन भी बिना किसी रोकटोक के दौड़ रहे हैं। ऐसे में इस पुल पर किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। 

बावजूद इसके कोई इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। पुल और गंगनहर पर फिलहाल उप्र सिंचाई विभाग का स्वामित्व है। उप्र सरकार की ओर से पुल की मरम्मत आदि पर कोई बजट ही खर्च नहीं किया जा रहा है। उत्तराखंड शासन भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहा है। 

स्थानीय निवासी आदेश कुमार का कहना है कि यह पुल रुड़की की एक पहचान है। शासन-प्रशासन को इस धरोहर को बचाने की दिशा में काम करना चाहिए, अन्यथा किसी दिन यह विरासत भी समाप्त हो जाएगी।

वहीं, हरमित सिंह दुआ बताते हैं कि इस पुल को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं, लेकिन इस पुल की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।

जिलाधिकारी दीपक रावत ने कहा कि इस संबंध में शासन को रिपोर्ट भेजी गई है। साथ ही उप्र ङ्क्षसचाई विभाग के अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि पुल की मरम्मत आदि का कार्य किया जाए। यदि किसी ने हाइट गेज हटाए हैं तो उनको फिर से लगाया जाएगा। 

नीला झूला पुल भी हो चुका जर्जर 

सिंचाई अनुसंधान संस्थान के कार्यालय के पास नीला झुला पुल है। इस पुल की लंबे समय  से मरम्मत नहीं हो पाई है। ऐसे में ये भी किसी दिन हादसे का कारण बन सकता है। सिंचाई अनुसंधान संस्थान तो अब उत्तराखंड सरकार के अधीन है जबकि पुल अभी भी उप्र सिंचाई विभाग के अधीन है। 

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