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मानवता के इतिहास को नई दिशा देने की क्षमता रखते हैं विद्यार्थी

नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सिंगापुर के अध्यक्ष प्रो. सुब्रा सुरेश ने कहा कि आइआइटी स्नातक होने के नाते विद्यार्थी मानवता के इतिहास को नई दिशा देने की क्षमता रखते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 06 Oct 2018 05:32 PM (IST)
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मानवता के इतिहास को नई दिशा देने की क्षमता रखते हैं विद्यार्थी
रुड़की, [जेएनएन]: आधुनिक तकनीक का अधिकाधिक लाभ लेने के दौरान उसके अनचाहे दुष्परिणामों को कम करने के तरीकों पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। जिससे कि हम अपनी धरती को सुरक्षित रख सकें। साथ ही आधुनिक डिजिटल तकनीकियों का इस्तेमाल करते हुए साइबर सिक्योरिटी, नैतिकता, निजता, गोपनीयता और बौद्धिक संपदा जैसे अहम मुद्दों का भी ख्याल रखना आवश्यक है। यह बातें नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सिंगापुर के अध्यक्ष प्रो. सुब्रा सुरेश ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में आयोजित वार्षिक दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही। दीक्षांत समारोह के पहले दिन स्नातक के 949 छात्र-छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की गई।

आइआइटी रुड़की में शनिवार को दो दिवसीय वार्षिक दीक्षांत समारोह का शुभारंभ हुआ। दीक्षांत भवन में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित प्रो. सुब्रा सुरेश ने कहा कि आइआइटी स्नातक होने के नाते विद्यार्थी मानवता के इतिहास को नई दिशा देने की क्षमता रखते हैं। कहा कि जैसा कि कई विचारक कहते हैं कि हम चौथी औद्योगिक क्रांति या इंडस्ट्री 4.0 के प्रारंभिक चरणों में प्रवेश कर चुके हैं।

बताया कि इंडस्ट्री 4.0 का अर्थ डिजिटल, फिजिकल और बायोलॉजिकल की अलग-अलग दुनिया का अनोखा और अभूतपूर्व संगम है। इसमें तेज गति की वजह से निजी आवश्यकता के अनुसार दवाइयों की उपलब्धता, रोबोटिक्स, इंटरनेट आफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डीप डाटा एनालिसिस, ब्लॉक चेन, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, आटोनोमस सिस्टम, मोबिलिटी और ऐसे अन्य क्षेत्रों में तरक्की की तेज रफ्तार है। उन्होंने छात्रों को जीवन में नैतिक मूल्यों को अपनाने पर जोर दिया।

आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि यह वर्ष कई बातों के लिए यादगार साबित हुआ है। एक तो उच्च शैक्षिक संस्थानों की सभी प्रमुख रैंकिंग में हमारे संस्थान की रैंक में सुधार हुआ है। ग्लोबल टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में आइआइटी रुड़की ने पिछले साल 500-600 बैंड से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 400-500 बैंड में अपनी जगह बना ली है। क्यूएस रैंकिंग में यह 50 रैंकिंग ऊपर आ गया है। वहीं सबसे बड़ी बात है कि प्रति फैकल्टी साइटेशन के मानक पर आइआइटी रुड़की सभी आइआइटी में अव्वल रहा हे। 

वहीं संस्थान की एक अन्य उपलब्धि टाइड्स से जुड़ने वाले स्टार्ट-अप्स की संख्या 22 हो जाना है। बताया कि इनमें 16 को इनक्युबेशन की सुविधा प्राप्त है। बताया कि एनसीआर ईको सिस्टम की बेहतर सुविधा के लिए टाइड्स ने ग्रेटर नोएडा में एक एक्सटेंशन सेंटर शुरू किया है। उधर, इस वर्ष दो दिवसीय दीक्षांत समारोह में कुल 2026 छात्र-छात्राओं को डिग्रियां दी जाएंगी। पहले दिन 875 छात्रों और 74 छात्राओं को डिग्रियां दी गई। जबकि समारोह के दूसरे दिन 1077 विद्यार्थियों को डिग्री दी जाएगी। 

उधर, इस साल दीक्षांत समारोह की पोशाक में बदलाव किया गया है। जहां छात्राएं गोल्डन बॉर्डर की आफ व्हाइट साड़ी एवं ब्लाउज में नजर आई। वहीं छात्रों ने व्हाइट लान्ग कुर्ता एवं पजामी पहनी। वहीं सीनेटर की पोशाक भी लान्ग कुर्ता और पजामी रही। इसके अलावा अलग-अलग डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों और सीनेटर के लिए भी अलग रंगों के अंगवस्त्र थे। इस मौके पर दीक्षांत भवन में अन्य अतिथि, बोर्ड आफ गवर्नर्स एवं सीनेट के सदस्य, संकाय सदस्य, कर्मचारी, अभिभावक और डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थी उपस्थित रहे। 

आयुश को मिला राष्ट्रपति स्वर्ण पदक

आइआइटी रुड़की पहली बार पीजी कोर्स के टॉपर्स को भी गोल्ड मेडल दे रहा है। इसके तहत स्नातकोत्तर के कुल 23 विद्यार्थियों और स्नातक के कुल 15 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक दिए गए। स्नातक होने वाले विद्यार्थियों में सर्वोच्च सीजीपीए प्राप्त करने के लिए अति विशिष्ट राष्ट्रपति स्वर्ण पदक आयुश चौहान को दिया गया। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक आयुश का सीजीपीए 9.871 है। निदेशक का स्वर्ण पदक सर्वश्रेष्ठ समग्र प्रदर्शन के लिए मूलचंदानी विशाल हरेश को दिया गया। इन्होंने जीयोफिजिकल टेक्नोलॉजी में इंटीग्रेटेड एमटेक की डिग्री हासिल की है। शिक्षा, उत्कृष्टता एवं समाज सेवा में उल्लेखनीय योगदान के लिए डा. शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक मेटलर्जिकल एवं मटीरियल्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने वाले सक्षम अग्रवाल को दिया गया। वहीं डा. जयकृष्ण स्वर्ण पदक बीटेक कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग के शरणप्रीत सिंह को मिला। यह पदक शिक्षा, उत्कृष्टता एवं नेतृत्व में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया।

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