खनन के खिलाफ स्वामी सानंद का उपवास, पीएम मोदी को भी भेजा पत्र
ज्ञान स्वरूप सानंद ने बांध और खनन के विरोध में उपवास शुरू कर दिया है। उन्होंने प्राण त्यागने तक उपवास जारी रखने की चेतावनी दी है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 23 Jun 2018 05:27 PM (IST)
हरिद्वार, [जेएनएन]: पर्यावरणविज्ञानी प्रो. जीडी अग्रवाल उर्फ ज्ञान स्वरूप सानंद ने बांध और खनन के विरोध में शुक्रवार से मातृ सदन में उपवास शुरू कर दिया है। उन्होंने प्राण त्यागने तक उपवास निरंतर जारी रखने की चेतावनी दी है। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी भेजा है।
स्वामी सानंद ने गंगा पर बांध से लेकर खनन तक के प्रबंधन के लिए वर्ष 2014 में बनी कमेटी की ओर से केंद्र सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट के सार्वजनिक न होने पर 24 फरवरी को प्रधानमंत्री को पत्र भेजा। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से कोई जवाब न मिलने पर स्वामी सानंद ने नाराजगी जताई है।बृहस्पतिवार को उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में गंगा में बांध निर्माण और खनन के विरोध में शुक्रवार से उपवास शुरू करने की जानकारी दी थी। इसी क्रम में शुक्रवार को स्वामी सानंद ने मातृसदन में उपवास शुरू कर दिया है। मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने बताया कि उपवास के दौरान वे केवल जल ग्रहण करेंगे।
नमामि गंगे योजना पर भी सवाल
गुरुवार को प्रो. जीडी अग्रवाल ने नमामि गंगे जैसे करोड़ों की योजनाओं पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार और सरकारी मंडलियां (संस्थाएं) गंगा जी व पर्यावरण का जानबूझकर अहित करने में जुटे हैं। स्वामी शिवानंद ने कहा कि नमामि गंगे योजना में करोड़ों के गंगा घाटों का निर्माण कर कमीशनखोरी करने के अलावा गंगा में गिरता एक गंदा नाला भी बंद नहीं किया गया है।
यह हैं चार सूत्रीय मांग
- गंगा महासभा की ओर से प्रस्तावित अधिनियम ड्राफ्ट 2012 पर तुरंत संसद में चर्चा हो या फिर राष्ट्रपति अध्यादेश से तुरंत लागू किया जाए - अलकनंदा, धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडर, मंदाकिनी पर निर्माणाधीन व प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं को तुरंत निरस्त किया जाए
- वन कटान, खनन व किसी भी प्रकार के खुदान पर पूर्ण रोक तुरंत लागू हो। खासकर हरिद्वार कुुंभ क्षेत्र में। - गंगा भक्त परिषद का गठन, जिसमें पीएम मोदी की ओर से नामांकित 20 सदस्य जो केवल गंगा और गंगा हित में काम करने की शपथ गंगा में खड़े होकर लें। इनका मत गंगा से जुड़े सभी विषयों में निर्णायक भी माना जाए।
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