Move to Jagran APP

Juna Akhada Naga Sadhu News: जूना अखाड़े में दीक्षित हुए एक हजार नागा संन्यासी, जा‍निए कैसे बनते हैं नागा संन्‍यासी

Juna Akhada Naga Sadhu News श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े में एक हजार संन्यासियों के नागा संन्यासी बनाने की प्रक्रिया मंगलवार को पूर्ण हो गई। आचार्य पीठाधीश्वर की ओर से प्रेयस मंत्र प्रदान कर सभी नव दीक्षित नागा संन्यासियों को बर्फानी नागा संन्यासी का दर्जा प्रदान किया गया।

By Edited By: Updated: Tue, 06 Apr 2021 09:37 PM (IST)
Hero Image
प्रेयस मंत्र प्रदान कर नागा संन्यासियों को दीक्षित करते जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Juna Akhada Naga Sadhu News सबसे बड़े संन्यासी अखाड़े श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े में एक हजार नागा संन्यासियों के दीक्षित होने की प्रक्रिया आचार्य महामंडलेश्वर के प्रेयस मंत्र दिए जाने के साथ पूर्ण हुई। इसके साथ ही सभी नवदीक्षित नागा संन्यासियों को बर्फानी नागा संन्यासी का दर्जा हासिल हो गया। इस मौके पर जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि ने कहा कि अखाड़ा सनातन धर्म की मजबूती के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। संन्यास दीक्षा कार्यक्रम भी इसी का हिस्सा है। 

श्रीमहंत हरि गिरि के दिशा-निर्देश और अंतरराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि के संयोजन में नागा संन्यासियों को दीक्षित करने की प्रक्रिया सोमवार सुबह शुरू हुई थी। सबसे पहले दुखहरण हनुमान मंदिर के निकट धर्म ध्वजा तणियों के नीचे गंगा तट पर सभी चारों मढ़ि‍यों (चार, तेरह, चौदह व सोलह) में दीक्षित होने वाले नागा संन्यासियों की मुंडन प्रक्रिया संपन्न हुई। फिर बिरला घाट पर गंगा स्नान से पहले उन्होंने सांसरिक वस्त्रों का त्याग कर कोपीन दंड व कमंडल धारण किया। स्नान के उपरांत पुरोहितों ने उनका श्राद्ध कर्म संपन्न कराया गया।

जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेश पुरी ने बताया कि सांध्य बेला में धर्म ध्वजा के नीचे सभी नागा संन्यासियों की बिरजा होम प्रक्रिया संपन्न हुई। मध्य रात्रि के बाद आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने धर्म ध्वजा स्थल पर पहुंचकर हवन की पूर्णाहुति कराई और फिर सभी संन्यासियों को लेकर गंगातट पहुंचे। यहां दंड कमंडल गंगा में विसर्जित किए गए। मंगलवार तड़के सभी संन्यासियों ने संन्यास धारण करने का संकल्प लेते हुए गायत्री जाप के बीच सूर्य, चंद्र, अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी व दसों दिशाओं समेत सभी देवी-देवताओं को साक्षी मानते हुए गंगा में 108 डुबकियां लगाई। फिर आचार्य महामंडलेश्वर के साथ सभी संन्यासी धर्मध्वजा स्थल पर पहुंचे अपना-अपना शिखा (चोटी) विच्छेदन कराया। यहां से तड़के तीन बजे सभी नवदीक्षित संन्यासी आचार्य गद्दी कनखल स्थित हरिहर आश्रम पहुंचे। जहां आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने सभी को प्रेयस मंत्र देकर दीक्षित किया।

महिला नागा संन्यासी बनाने की प्रक्रिया आज

श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े में बुधवार को करीब 200 महिला साधुओं को नागा संन्यासी बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। इस दौरान नागा संन्यासी बनाने की सभी प्रक्रियाओं का पालन कराया जाएगा। प्रक्रिया बिरला घाट पर शुरू होगी। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती ने बताया कि महिला साधुओं के नागा संन्यासी बनने की प्रक्रिया गुरुवार सुबह पूर्ण होगी। सभी महिला साधु कठोर नियमों का पालन करते हुए यहां तक पहुंची हैं।

कठिन परीक्षा से गुजरकर बनते हैं नागा संन्यासी

नागा संन्यासी बनने के लिए कई कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। नागा बनने का इच्छुक कोई व्यक्ति जब किसी अखाड़े में जाता है तो उस अखाड़े के प्रबंधक पहले यह पड़ताल करते हैं कि वह नागा क्यों बनना चाहता है। पूरी पृष्ठभूमि और मंतव्य जांचने के बाद ही उसे अखाड़े में शामिल किया जाता है। श्रीमहंत मोहन भारती ने बताया कि अखाड़े में शामिल होने के तीन साल तक उसे अपने गुरुओं की सेवा करनी पड़ती है। सभी प्रकार के कर्मकांडों को समझने के साथ उनका हिस्सा बनना होता है। जब संबंधित व्यक्ति के गुरु को अपने शिष्य पर भरोसा हो जाता है, तब उसे अगली प्रक्रिया में शामिल किया जाता है। यह प्रक्रिया कुंभ के दौरान तब शुरू होती है, जब व्यक्ति को संन्यासी से महापुरुष के रूप में दीक्षित किया जाता है। कुंभ के दौरान उन्हें गंगा में 108 डुबकियां लगवाई जाती हैं।

नागा बनने वाले साधुओं को भस्म, भगवा और रुद्राक्ष की माला दी जाती है। महापुरुष बन जाने के बाद उन्हें अवधूत बनाए जाने की तैयारी शुरू होती है। अखाड़ों के आचार्य अवधूत बनाने के लिए सबसे पहले महापुरुष बन चुके साधु का जनेऊ संस्कार करते हैं और फिर उसे संन्यासी जीवन की शपथ दिलवाई जाती है। उसके परिवार और स्वयं का पिंडदान करवाया जाता है। इसके बाद दंडी संस्कार होता है और पूरी रात पंचाक्षरी मंत्र  'ॐ नम: शिवाय' का जाप चलता है। भोर होते ही व्यक्ति को अखाड़े में ले जाकर उससे विजया हवन करवाया जाता है और फिर गंगा में 108 डुबकियों का स्नान होता है। इसके उपरांत उससे अखाड़े के ध्वज के नीचे दंडी त्याग करवाया जाता है। 

यह भी पढ़ें-Haridwar Kumbh Mela 2021: ब्रह्म के रहस्य से परिचित कराता है कुंभ, ब्रह्म से हुई सृष्टि की उत्पत्ति

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।