Uttarakhand Election Result 2024: 'हरि के द्वार' में पूर्व सीएम ने खिलाया कमल, एक फैसले ने छीन ली थी सीएम की कुर्सी...
Uttarakhand Election Result 2024 भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह रावत ने हरिद्वार सीट पर भारी मतों से विजय प्राप्त की है। त्रिवेंद्र सिह रावत ने आरएसएस प्रचारक रहे हैं और यहीं से उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में डोईवाला सीट से जीत दर्ज करने के बाद उन्हें उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया।
ऑनलाइन डेस्क, देहरादून। Uttarakhand Election Result 2024: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकसभा चुनावों में हरिद्वार सीट पर भारी मतों से विजय प्राप्त की है। हरिद्वार सीट पर विजय प्राप्त करने के बाद उन्होंने जनता का आभार व्यक्त किया है। आइए जानते हैं उनका राजनीतिक सफर कैसे शुरू हुआ। त्रिवेंद्र सिह रावत ने आरएसएस प्रचारक रहे हैं और यहीं से उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया।
- त्रिवेंद्र 1979 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े।
- वर्ष 1981 में संघ के प्रचारक के रूप में काम करने लगे।
- वर्ष 1985 में देहरादून में संघ के प्रचारक बने।
- वर्ष 1993 में भाजपा के क्षेत्रीय संगठन मंत्री बने।
- 1997 व 2002 में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री बने।
- अलग राज्य बनने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहली बार 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में डोईवाला से नामांकन किया और जीत दर्ज की।
- 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में डोईवाला से उन्होंने फिर जीत दर्ज की।
- त्रिवेंद्र सिंह रावत वर्ष 2007 से 2012 तक भाजपा सरकार में कृषि मंत्री रहे।
- 2012 में विधानसभा चुनाव में उन्होंने रायपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने हार का सामना किया।
- इसके 2014 में डोईवाला सीट पर हुए उपचुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
- इसके बाद उन्हें 2014 में झारखंड का प्रदेश प्रभारी बनाया गया।
- 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में उन्होंने डोईवाला सीट से जीत दर्ज की और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने।
पूरा नहीं कर पाए मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल
2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में डोईवाला सीट से जीत दर्ज करने के बाद उन्हें उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन चार साल के कार्यकाल में उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। उन्हें मुख्यमंत्री पद पर पूरे पांच साल तो दूर चार साल का कार्यकाल पूरा करने से महज नौ दिन पहले इस्तीफा देना पड़ा था।
तब पद से हटने के पीछे सबसे प्रमुख वजह पार्टी विधायकों और नेताओं के एक वर्ग में नाराजगी बताई गई। उनके कई फैसलों को लेकर पार्टी में नाराजगी थी, जिसमें सबसे प्रमुख था चारधाम देवस्थानम मैनेजमेंट बिल। इसे लेकर बीजेपी नेताओं के अलावा आरएसएस और विहिप में भी नाराजगी थी।
नौ भाई बहनों में सबसे छोटे त्रिवेंद्र
बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लाक के खैरासैण गांव के रहने वाले हैं। 20 दिसंबर 1960 को उनका जन्म हुआ। उनके पिता का नाम प्रताप सिंह रावत और मां का भोदा देवी है। त्रिवेंद्र रावत के पिता प्रताप सिंह रावत फौजी रहे हैं।
त्रिवेंद्र सिंह नौ भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई खैरासैण में ही हुई। त्रिवेंद्र ने कक्षा 10 की परीक्षा पौड़ी जिले में ही सतपुली इंटर कॉलेज और 12वीं की परीक्षा एकेश्वर इंटर कॉलेज से हासिल की।
शुरू से ही शांत स्वभाव वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लैंसडाउन के जयहरीखाल डिग्री कॉलेज से स्नातक और गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से स्नातकोत्तर की डिग्री की। श्रीनगर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए करने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत 1984 में देहरादून चले गये। इनका विवाह सुनीता रावत से हुआ। सुनीता रावत शिक्षिका हैं और देहरादून में नियुक्त हैं। इनकी दो पुत्रियां हैं।
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