Move to Jagran APP

बच्चों में बढ़ी हिंसक प्रवृत्ति खतरे की घंटी, मनोविज्ञानियों ने बताई ऐसी वजह जिसे अक्‍सर नजरअंदाज करते हैं आप

Violence in Children निरक्षर और अशिक्षित बच्चों में लड़ाई-झगड़े की प्रवृत्ति पैदा होना अचंभे की बात नहीं है लेकिन स्कूली बच्चों में हिंसक घटनाएं तेजी से बढ़ी है। जवाहर नवोदय विद्यालय की घटना ने शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sun, 06 Nov 2022 10:27 AM (IST)
Hero Image
Violence in Children : स्कूली बच्चों में पिछले कुछ समय से हिंसक प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। Pixabay
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: Violence in Children : स्कूली बच्चों में पिछले कुछ समय से हिंसक प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है, जो समाज के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। जवाहर नवोदय विद्यालय की घटना ने बच्चों की परवरिश में शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।

मनोविज्ञानी यह मानते हैं कि मोबाइल पर पबजी जैसे खतरनाक गेम और वेब सीरिज बच्चों को हिंसक बना रही है। लेकिन, इसके पीछे न सिर्फ स्कूल का वातावरण, बल्कि लाड-प्यार में अंधे अभिभावकों का रवैया भी कम जिम्मेदार नहीं है।

हाल के दिनों में स्कूली बच्चों में हिंसक घटनाएं तेजी से बढ़ीं

  • निरक्षर और अशिक्षित बच्चों में लड़ाई-झगड़े की प्रवृत्ति पैदा होना अचंभे की बात नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में स्कूली बच्चों में हिंसक घटनाएं तेजी से बढ़ी है।
  • करीब दो माह पहले ज्वालापुर के सेक्टर टू बैरियर के पास स्थित एक स्कूल के बाहर छात्रों के दो गुटों ने धारदार हथियारों से एक-दूसरे पर हमला बोल दिया था, जिसमें एफआइआर भी दर्ज हुई।
  • दो सप्ताह पहले पथरी क्षेत्र के एक इंटर कालेज की छुट्टी होने के बाद छात्रों के दो गुट लोहे की राड और लाठी-डंडे लेकर एक दूसरे के पीछे दौड़ते नजर आए। इसका वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ।
  • ताजा घटना जवाहर नवोदय विद्यालय में सामने आई है। आवासीय विद्यालय होने के चलते छात्र वर्ष 2018 से छात्रावास में ही रहता आ रहा था।
  • ऐसे में स्कूल के अंदरुनी वातावरण पर भी सवाल उठने लाजिमी हैं।
  • वहीं, छात्र दीपावली की छुट्टी पर घर गया और पैसे इकट्ठे कर बड़ी आसानी से तमंचा और कारतूस खरीद लिया।
  • इससे यह पता चलता है कि उसकी गतिविधियों पर स्वजन की कतई नजर नहीं रही होगी।
  • यह रवैया स्वजन की गैर जिम्मेदारी को दर्शाता है।
  • अक्सर ऐसी लापरवाही से ही कम उम्र में बच्चे बड़े अपराध कर बैठते हैं।
  • गनीमत रही कि एक छात्र ने अपने परिवार को इस बारे में बताया और प्रिंसिपल ने बिना वक्त गंवाए जिलाधिकारी को पूरे मामले से अवगत कराया।
  • यदि देर हो गई होती तो शायद नाबालिग छात्र कोई अनहोनी कर सकता था।
  • स्कूल प्रबंधन, पुलिस व प्रशासन भी इससे इन्कार नहीं कर रहा है।

गलत दिशा में पलायन से हिंसक हो रहे बच्चे

  • मनोविज्ञानी डा. दीपेश चंद्र प्रसाद का मानना है कि बच्चों में हिंसक प्रवृत्ति का एकाएक उत्पन्न होना संभव नहीं है।
  • यह प्रवृत्ति समाज में धीरे-धीरे गलत दिशा में पलायन करने से उत्पन्न होती है और यह गलत दिशा मोबाइल फोन और नेट आधारित चैनल के माध्यम से बच्चों में उत्पन्न होती है।
  • आज के दौर में जब एक घर में इंटरनेट से लैस कई-कई मोबाइल रहते हैं, बच्चों को यह बहुत ही आसानी से प्राप्त हो जाती है।
  • कोरोना काल के बाद बच्चों में जो मोबाइल की लत लगी है वह समाज मे कैंसर का रूप ले चुका है।
  • इसका उपाय यह है कि बच्चों को मोबाइल जितना हो सके दूर रखा जाए।
  • उनकी गतिविधियों और फ्रेंड सर्किल पर भी नजर रखें।
  • शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण है।
यह भी पढ़ें - Haridwar Crime : 12वीं के छात्र को मारने के लिए स्कूल में तमंचा लेकर पहुंच गया 10वीं का छात्र, मचा हड़कंप

जुलाई माह में हुआ था झगड़ा

10वीं और 12वीं के छात्र के बीच बीते जुलाई माह में झगड़ा हुआ था। 12वीं के छात्र ने आरोपित यानि 10वीं के छात्र को पीट दिया था। हंगामा होने पर आरोपित छात्र को स्कूल से निलंबित भी किया गया था।

दो माह पहले स्कूल में प्रधानाध्यापक का चार्ज लेने वाले महेंद्र सिंह राणा ने बताया कि बच्चों के घर से लौटने पर उनके सामान की तलाशी लेने का नियम है।

सभी शिक्षक और कर्मचारियों को इस बाबत कई बार निर्देश दिए गए हैं। इस मामले में कहां चूक हुई है, इसकी जांच की जा रही है। इस पूरे मामले की रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय को भेज दी गई है। वहां से जो निर्देश प्राप्त होंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।