आरटीआइ में हुआ खुलासा, नैनीताल जू में हर साल 19 वन्यजीवों की हो रही है मौत
2001 से अब तक यहां 232 वन्यजीवों की अलग-अलग कारणों से जान जा चुकी है। औसतन हर साल यहां रखे 19 जंगली जानवरों की मौत होती है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 07 May 2019 11:02 AM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : नैनीताल स्थित चिडिय़ाघर में तमाम कोशिशों के बावजूद वन्यजीवों की मौत के आंकड़े कम नहीं हुए हैं। सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक 2001 से अब तक यहां 232 वन्यजीवों की अलग-अलग कारणों से जान जा चुकी है। औसतन हर साल यहां रखे 19 जंगली जानवरों की मौत होती है। हालांकि अफसर अधिकांश मामलों में ओल्ड एज को वजह मानते हैं। नैनीताल स्थित जीबी पंत उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान सरोवरी नगरी पहुंचने वाले हर पर्यटक की पहली पसंद है। हल्द्वानी निवासी हेमंत गौनिया ने कई बिंदुओं पर आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी थी। जिसके मुताबिक 2001-2019 के बीच के यहां 32,52,833 पर्यटक दीदार को पहुंचे। वहीं, पर्यटकों से वसूले गए टिकट से 12,13,14,300 रुपये की आमदनी हुई।
जू में मौजूद वन्यजीव
नैनीताल स्थित चिडिय़ाघर ठंडे एरिया में रहने वाले जीवों के लिए बेहतर आवास माना जाता है। यहां साइबेरियन टाइगर, स्नो लैपर्ड, मारखोर, ब्लू शीप, थार, फीजेंट, हिमालयन भालू, गुलदार आदि वन्यजीव रखे गए हैं। सरकार से मिले पौने छह करोड़ खर्च
2001 से अब तक सरकार ने रखरखाव व वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर करीब पांच करोड़ 83 लाख रुपये जू प्रशासन को दिए थे। आरटीआइ के मुताबिक यह सारा बजट खर्च हो चुका है।
नैनीताल स्थित चिडिय़ाघर ठंडे एरिया में रहने वाले जीवों के लिए बेहतर आवास माना जाता है। यहां साइबेरियन टाइगर, स्नो लैपर्ड, मारखोर, ब्लू शीप, थार, फीजेंट, हिमालयन भालू, गुलदार आदि वन्यजीव रखे गए हैं। सरकार से मिले पौने छह करोड़ खर्च
2001 से अब तक सरकार ने रखरखाव व वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर करीब पांच करोड़ 83 लाख रुपये जू प्रशासन को दिए थे। आरटीआइ के मुताबिक यह सारा बजट खर्च हो चुका है।
बरती जाती है विशेष सतर्कता
एसडीओ दिनकर तिवाड़ी ने बताया कि वन्यजीवों की मौत की मुख्य वजह उम्र पूरी होना है। संक्रमण या अन्य कारण नहीं। हर हफ्ते चिडिय़ाघर में रखे वन्यजीवों का स्टूल टेस्ट होता है। डॉक्टर, बायोलॉजिस्ट व फार्मासिस्ट की पूरी टीम जांच में जुटती है। अक्सर बर्ड फ्लू से बीमारी फैलने का डर रहता है। अलर्ट जारी होते ही सतर्कता भी बढ़ाई जाती है। वन्यजीवों की मौत का कोई भी मामला संदिग्ध नहीं है। यह भी पढ़ें : आरटीजीएस के लिए आने वाले लाखों के चेक गायब करता था उत्तर प्रदेश का गैंग
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।एसडीओ दिनकर तिवाड़ी ने बताया कि वन्यजीवों की मौत की मुख्य वजह उम्र पूरी होना है। संक्रमण या अन्य कारण नहीं। हर हफ्ते चिडिय़ाघर में रखे वन्यजीवों का स्टूल टेस्ट होता है। डॉक्टर, बायोलॉजिस्ट व फार्मासिस्ट की पूरी टीम जांच में जुटती है। अक्सर बर्ड फ्लू से बीमारी फैलने का डर रहता है। अलर्ट जारी होते ही सतर्कता भी बढ़ाई जाती है। वन्यजीवों की मौत का कोई भी मामला संदिग्ध नहीं है। यह भी पढ़ें : आरटीजीएस के लिए आने वाले लाखों के चेक गायब करता था उत्तर प्रदेश का गैंग
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