उत्तराखंड में 200 शरणार्थी हुए चिह्नित, सीएम ने कहा इन्हें दी जाएगी नागरिकता
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि प्रदेशभर में करीब 200 शरणार्थियों की पहचान हो चुकी है। इन सभी को सीएए के तहत नागरिकता दी जाएगी।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 04 Jan 2020 08:56 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : एक तरफ जहां नागरिकता कानून संशोधन को लेकर पूरे देश में गहमागहमी का माहौल है। कहीं विरोध तो कहीं पर उसके समर्थन में लोग आगे आ रहे हैं। इसी बीच उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि प्रदेशभर में करीब 200 शरणार्थियों की पहचान हो चुकी है। इन सभी को सीएए के तहत नागरिकता दी जाएगी। एक ओर केरल, पं. बंंगाल, छत्तीसगढ़, पंजाब, मध्यप्रदेश आदि गैरभाजपा शासित राज्यों में सीएए का भारी विरोध हो रहा है। केरल विधान सभा ने बाकायदा इसके विरोध में प्रस्ताव ही पारित कर दिया है। वहीं उत्तराखंड से सीएए के तहत नागरिकता देने की घोषणा निश्चित तौर पर मोदी सरकार के लिए एक राहत भरी खबर होगी।
अल्मोड़ा में की घोषणा, कांग्रेस पर किया वार
सीएम त्रिवेंद्र शुक्रवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से रूबरू हुए। सीएए को लेकर सीएम ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महान भारत की विश्व पटल पर गलत तस्वीर पेश कर रही है। दुनिया में भारत ही एकमात्र देश है जिसने किसी भी शरणार्थी को हमेशा अपनाया है। बिना उसका मजहब देखे व जाति देखे। शरणागत को आश्रय देना भारत की प्राचीन परंपरा रही है। देश विभाजन के ठीक बाद ही सीएए जैसे कानून की सख्त आवश्यक्ता थी पर तत्कालीन सत्ताधीश ठोस निर्णय नहीं ले सके, जिसके फलस्वरूप देश घुसपैठियों की समस्या से आज भी जूझने को विवश है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष पूछ रहा कि मुसलमानों की बात क्यों नहीं होती। पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान मुस्लिम देश हैं। वहां अल्पसंख्यक प्रताडि़त हो रहे। देश विभाजन के वक्त पाक में करीब 23 फीसद से ज्यादा हिंदू थे। आज 2.7 प्रतिशत रह गए। तब भारत में चार करोड़ मुस्लिम थे। अब 20 करोड़ हो गए हैं। इससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान में हिंदू घटे हैं। वह धर्मांतरित किए गए, या बलात शादी विवाह कर उन्हें मुस्लिम बना दिया गया। कांग्रेस इस पर चुप रहती है। बजाय कि विदेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए खड़ी हो वह अपने देश के अल्पसंख्यकों में भ्रम पैदा कर रही है। सीएम ने कहा, नागरिकता संशोधन अधिनियम नागरिकता देने वाला कानून है न कि छीनने वाला। उत्तराखंड में पता लगा है कि 200 शरणार्थी हैं। उन्हें जल्द ही नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
क्या है सीएए नागरिकता संशोधन कानून-2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है। पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था। इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी।
कानून को लेकर क्यों है विरोधविपक्ष का सबसे बड़ा विरोध यह है कि इस कानून में मुस्लिम समुदाय को बहार रखा गया है। विपक्ष का तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो समानता के अधिकार की बात करता है। क्या है एनआरसी एनआरसी नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर है, जो भारत से अवैध घुसपैठियों को निकालने के उद्देश्य से एक प्रक्रिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एनआरसी प्रक्रिया हाल ही में असम में पूरी हुई। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नवंबर में संसद में घोषणा की थी कि एनआरसी को पूरे भारत में लागू किया जाएगा।
एनआरसी की पात्रताइसके तहत, एक शरणार्थी भारत का नागरिक होने के योग्य है यदि वे साबित करते हैं कि या तो वे या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 को या उससे पहले भारत में थे। असम में एनआरसी की प्रक्रिया को अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को बाहर करने के लिए शुरू किया गया था, जो भारत आए थे।यह भी पढ़ें : कोसी नदी के सरंक्षण के लिए हरेले पर देंगे पूरा एक दिन : सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
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