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कुमाऊं में चिकित्सकों के 32 फीसद पद खाली, कैसे मिलेंगी मरीजों को बेहतर सुविधाएं nainital news

राज्य निर्माण के 19 साल बाद भी लोगों का बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलना सपना रह गया है। सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के दावे तो खूब कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 01 Feb 2020 05:25 PM (IST)
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कुमाऊं में चिकित्सकों के 32 फीसद पद खाली, कैसे मिलेंगी मरीजों को बेहतर सुविधाएं nainital news
नैनीताल, नरेश कुमार  : राज्य निर्माण के 19 साल बाद भी लोगों का बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलना सपना रह गया है। सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के दावे तो खूब कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है। चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे कुमाऊं के अस्पतालों की सेवाएं खुद वेंटीलेटर पर है। यही हाल अस्पतालों के पैरामेडिकल स्टाफ का है।

जानिए किस श्रेणी में कितने पद हैं खाली

चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे मंडल के अस्पतालों में श्रेणी क और ख कुल 1155 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 777 पदों पर ही चिकित्सक तैनात है। यह हाल तब है जब 249 पद संविदा और बांड वाले चिकित्सकों से भरे गए हैं। मंडल के अस्पतालों में 43 पद श्रेणी क जबकि 335 पद श्रेणी बी चिकित्सकों के खाली पड़े है। वही पैरामेडिकल स्टाफ  के भी 20 फीसद पद खाली है। अस्पतालों में स्वीकृत 1617 पदों के सापेक्ष 1282 पदों पर ही पैरामेडिकल स्टाफ तैनात है। जिससे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

आइपीएचएस मानक से सुधरेगी अस्पतालों की तस्वीर

निदेशक डॉ. संजय साह ने बताया कि प्रदेश में इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टेंडर्ड (आइपीएचएस) मानक लागू करने का सरकार निर्णय ले चुकी है। मानक के लागू होने के बाद मिलने वाले बजट में कटौती न हो, इसके लिए अस्पतालों में डॉक्टर और कर्मचारियों की तैनाती केंद्र सरकार के मानकों के अनुसार की जाएगी। मानकों के आधार पर अस्पतालों को कुल पांच श्रेणियों में बांटा गया है, जिसमें पहले चरण में जिला अस्पतालों को बेहतर बनाने की योजना है। मानक के लागू होने से अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ  के खाली पद भरे जाएंगे। साथ ही अन्य सुविधाओं में भी विस्तार किया जाएगा।

चिकित्‍सकों के खादी पदों को भरने की हो रही कोशिश

डॉ. संजय साह निदेशक कुमाऊं ने बताया कि अस्पतालों में चिकित्सकों के खाली पड़े पदों को भरने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें राज्य के मेडिकल कॉलेजों से काफी मदद मिल रही है। कॉलेजो से पढ़ाई पूरी कर निकलने वाले चिकित्सकों को संविदा और बॉडेंड चिकित्सकों के रूप में तैनाती दी जा रही है। पदों को भरने के लिए शासन स्तर पर भी पत्राचार किया जा रहा है।

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