2017 विधानसभ चुनाव में 636 लोगों ने 70 सीटों पर अजमाई थी किस्मत
आचार संहिता के साथ जारी हुई कोरोना की गाइडलाइन ने बड़ी रैलियों और जनसभा पर फिलहाल ब्रेक लगा रखा है मगर संभावित दावेदारों का प्रचार घर-घर पहुंच चुका है। राजनीतिक दलों की ओर से टिकट के दावेदार घोषित होते ही जश्न और बगावत का दौर भी शुरू होगा।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 11 Jan 2022 08:48 AM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : आचार संहिता के साथ जारी हुई कोरोना की गाइडलाइन ने बड़ी रैलियों और जनसभा पर फिलहाल ब्रेक लगा रखा है, मगर संभावित दावेदारों का प्रचार घर-घर पहुंच चुका है। राजनीतिक दलों की ओर से टिकट के दावेदार घोषित होते ही जश्न और बगावत का दौर भी शुरू होगा। बात अगर 2017 के चुनाव की करें तो राजनीतिक दलों के अलावा निर्दलीय के तौर पर 636 लोगों ने 70 सीटों पर किस्मत आजमाई थी। इसमें धर्मपुर व रायपुर सीट पर सबसे ज्यादा 19-19 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था, मगर दोनों सीटों पर बाजी भाजपा उम्मीदवार मार गए।
2017 के चुनाव में वैसे तो 722 लोगों ने विधायक उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया था, मगर 51 लोगों ने नाम वापसी कर ली और 35 लोगों के नामांकन अलग-अलग कारणों से निरस्त हो गए थे। पिछले चुनाव में पुरोला, चकराता, चम्पावत और जागेश्वर से सबसे कम चार-चार लोगों ने ही चुनाव लड़ा था। वहीं, दूसरे नंबर पर दावेदारों की अधिक संख्या चौबट्टाखाल और भेल रानीपुर में 15-15 थी। 2017 में 70 में से 28 सीटों पर उम्मीदवारों की संख्या दहाई के आंकड़ों को पार कर गई थी। 2022 के चुनाव की बात करें तो टिकट वितरण में फिलहाल आप ने बढ़त बनाई है। भाजपा-कांग्रेस की ओर से नामों की घोषणा करने पर बगावत की स्थिति भी साफ होगी। फिलहाल हर दावेदार खुद को मजबूत बता रहा है।
70 सीटों पर कांग्रेस से 478 दावेदार
कांग्रेस में इस बार दावेदारों की पूरी फौज है। प्रदेश की 70 सीटों पर टिकट पाने के लिए 478 लोगों ने आवेदन किया है। कुमाऊं की 29 सीटों पर 200 से ज्यादा नेता दावेदारी कर चुके हैं। इसी वजह से कांगे्रस को नाम फाइनल करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। मजबूत वाली सीट पर भी संगठन के पसीने छूट रहे हैं।
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