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उत्तराखंड की कामधेनु कही जाने वाली बद्री गायों की नस्ल बढ़ाने को होगा अध्ययन, दुनिया में सबसे गुणकारी माना जाता है इनका दूध

उत्तराखंड की कामधेनु कही जाने वाली बद्री गायों के दूध और नस्ल को लेकर वैज्ञानिक शोध करेंगे। इसके लिए प्रदेश के चार जिलों का चयन किया गया है। शोध के तहत चार जिलों के 90 गावों की 3240 गायों के दूध का प्रतिदिन वजन होगा। इन गायों की जियो टैगिंग भी की गई है जिसके कारण यहां का डाटा सीधे भारत सरकार के पास जाएगा।

By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Mon, 22 Jul 2024 02:55 PM (IST)
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बद्री गाय को उत्तराखंड की कामधेनु भी कहा जाता है। (प्रतीकात्मक प्रस्तुतिकरण)

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ जिले की 3240 बद्री गायों के दूध उत्पादन व नस्ल बढ़ाने को लेकर अब वैज्ञानिक शोध करेंगे। इसके लिए भारत सरकार ने इन चार पर्वतीय जिलों को चिह्नित किया है। यहां 45 मिल्क रिकार्डिंग सेंटर खोले जाएंगे। 3240 बद्री गायों की जियो टैगिंग होगी, जिसका डाटा सीधे भारत सरकार को भेजा जाएगा।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन व राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के सहयोग से उत्तराखंड में पहली बार यह पहल हो रही है। इसके लिए चारों जिलों के 90 गांवों में तीन हजार बद्री गायों के गर्भवती होने के बाद उनके दूध का प्रतिदिन वजन नापा जाएगा।

दरअसल, उत्तराखंड की कामधेनु कही जाने वाली बद्री गाय प्रतिदिन दो लीटर दूध देती हैं। बद्री गाय का दूध हाई क्वालिटी का होता है। इसे दुनिया में सबसे अधिक गुणकारी व निरोग दूध माना गया है। इनके दूध में सिर्फ चार प्रतिशत फैट व ए-2 प्रोटीन होता है, जो इम्यूनिटी बूस्ट करता है।

बद्री गाय का घी बाजार में सबसे महंगा 5500 रुपये किलो बिकता है। अब मिल्क रिकार्डर कर्मचारियों की ओर से इन गायों के प्रतिदिन दूध देने की क्षमता दोगुनी करने को लेकर उनके टिश्यू सैंपल, रक्त सैंपल, दूध देने का समय नापकर भारत पशुधन एप के माध्यम से गुजरात भेजा जाएगा, जिसके बाद वैज्ञानिकों की टीम बद्री गाय का दूध बढ़ाने व नस्ल सुधार के लिए अध्ययन करेगी।

दो साल का प्रोजेक्ट, कर्मियों को प्रति गाय मिलेंगे 1200 रुपये

बद्री गायों का मिल्क रिकार्डिंग कार्यक्रम दो साल तक चलेगा। इसमें चंपावत के 24 गांवों में 12 सेंटर स्थापित कर 820 गायों व अल्मोड़ा जिले के 24 गांवों में 12 मिल्क रिकार्डिंग सेंटर स्थापित कर 820 गायों पर कार्य होगा। पिथौरागढ़ जिले के 20 गांवों में 11 सेंटर स्थापित कर 800 गायों व नैनीताल जिले के 22 गांवों में 11 सेंटर स्थापित कर 800 गायों पर कार्य होगा। इसके लिए मिल्क रिकार्डरों (कर्मचारियों) को प्रति पशु 1200 रुपये का भुगतान किया जाएगा।

सिर्फ एक गाय की नस्ल पर फोकस करने वाला उत्तराखंड 5वां राज्य

हर एक प्रदेश की गायों में एक अच्छी नस्ल होती है। इससे पहले आंध्र प्रदेश, केरल, गुजरात व कर्नाटक की गायों पर भारत सरकार ने फोकस किया था। अब इसी तरह उत्तराखंड की बद्री गाय की नस्ल सुधार व दुग्ध उत्पादन बढ़ाने पर जोर किया जा रहा है। इसके लिए उत्तराखंड कोआपरेटिव डेरी फेडरेशन (यूसीडीएफ) भारत सरकार के इस प्रोजेक्ट में मदद करेगा। यूसीडीएफ इसके लिए कर्मचारियों की नियुक्ति भी करेगा।

उच्च नस्ल के सांड से कराया जाएगा क्रास ब्रीड

वैज्ञानिक शोध के बाद भारत सरकार की ओर से हाई मेरिट बुल्स (उच्च नस्ल के सांड) से बद्री गायों के साथ क्रास ब्रीड कराया जाएगा, ताकि भविष्य में बद्री गायों की अच्छी नस्ल की संतान पैदा हो सके। सरकार की ओर से ब्रीड इंप्रेवमेंट कार्य किया जाएगा, जिसमें जेनेटिक गेन प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।

बद्री गाय प्रति दिन दो लीटर ही दूध देती है। इसका दूध बढ़ाने व नस्ल सुधार के लिए मिल्क रिकार्डिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है, जिससे किसानों की आय भी दोगुनी हो जाएगी। इसे कलस्टर बेस्ड आइडिया पर शुरू किया जा रहा है। जल्द ही भारत सरकार की टीम प्रदेश में पहुंचने वाली है। डॉ. मोहन चंद्र, सामान्य प्रबंधक, यूसीडीएफ

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