Move to Jagran APP

वेबसाइट पर पिथौरागढ़ के नोडल अधिकारी बनाए आचार्य बालकृष्‍ण

केंद्र सरकार की राष्ट्रीय स्तर की वेबसाइट में उत्तराखंड के डाटा में गड़बड़ी से कोरोना से खिलाफ जंग लड़ रहे वॉरियर्स ने नाराजगी जताई है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 25 Apr 2020 06:31 PM (IST)
Hero Image
वेबसाइट पर पिथौरागढ़ के नोडल अधिकारी बनाए आचार्य बालकृष्‍ण
हल्द्वानी, गणेश पांडे : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में हजारों वॉरियर्स शिद्दत से जुटे हैं। खुद के साथ दुर्व्‍यवहार और मारपीट जैसी घटनाओं के बाद भी अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। कुछ वॉरियर्स ऐसे हैं जिनके योगदान को अनदेखा किया जा रहा है। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय स्तर की वेबसाइट में उत्तराखंड के डाटा में गड़बड़ी से कोरोना से खिलाफ जंग लड़ रहे वॉरियर्स ने नाराजगी जताई है। वेबसाइट से असल वॉरियर्स के नाम और काम दोनों गायब हैं। इससे असल कोरोना वॉरियर्स हतोत्‍साहित हो रहे हैं।

 

खामी एक : तैनाती वाराणसी, जिम्मा अल्मोड़ा का

वेबसाइट के मुताबिक कोरोना के खिलाफ मनोसामाजिक देखरेख के लिए जिला स्तर पर नोडल ऑफिसर नियुक्त हैं। धीरेंद्र मिश्रा महाविद्यालय सुंदरपुर वाराणसी में कार्यरत डॉ. नलिनी मिश्रा को अल्मोड़ा का नोडल दर्शाया है। दैनिक जागरण के रिपोर्टर ने जब डॉ. नलिनी से फोन पर बात की तो उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा वाराणसी से वह अल्मोड़ा कैसे काम कर सकती हैं।

खामी दो : आचार्य बालकृष्ण पिथौरागढ़ के नोडल

मनोसामाजिक देखरेख के लिए पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण को पिथौरागढ़ जिले का नोडल दिखाया गया है। बाकायदा उनका मोबाइल नंबर, ईमेल तक दर्ज है। धरातल पर काम करने वाले कर्मचारी बताते हैं कि उन्हें आचार्य बालकृष्ण का किसी तरह का योगदान नहीं मिल रहा।

खामी तीन : पोर्टल पर स्टूडेंट, वॉरियर गुमनाम

एमएससी मनोसामाजिक स्टूडेंट्स और मास्टर ऑफ सोशल वर्कर्स (एमएसडब्ल्यू) की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स को वेबसाइट पर कोरोना वॉरियर्स दर्शाया है। साइकेट्रिक सोशल वर्कर व भारतीय मजदूर संघ उत्तराखंड के कार्यकारिणी सदस्य हेम बहुगुणा का कहना है कि उच्च खतरे वाली जनसंख्या को मनोसामाजिक परामर्श देने वालों का राष्ट्रीय पोर्टल में उल्लेख न होना सेवा प्रदाताओं का मनोबल कम करने जैसा है।

साइकेट्रिक सोशल वर्कर की भूमिका

मनोसामाजिक कार्यकर्ता वर्तमान परिस्थितियों से समायोजन के साथ व्यक्ति के मन में भविष्य के लिए सकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं। कोरोना महामारी के सामाजिक व्यवहार संबंधित बीमारी होने से मनो सामाजिक वर्कर की भूमिका अहम हो जाती है।

हमारे दस्‍तावेजों में आचार्य बालकृष्‍ण का नाम नहीं

महानिदेशक स्‍वास्‍थ्‍य डॉ अमिता उप्रेती का कहना है कि वेबसाइट कहां से जेनरेट हुई है उन्‍हें इसकी जानकारी नहीं है। हमारे दस्तावेजों में आचार्य बालकृष्ण व वाराणसी के कॉलेज के स्टॉफ को प्रभारी नहीं बनाया गया है। इसका पता कराया जाएगा।

यह भी पढ़ें : ईरान से अपने वतन लौटे सात युवा दो सप्‍ताह क्‍वारंटाइन काटने के बाद पहुंचे घर

यह भी पढ़ें : स्‍कूल प्रबंधन ने मैसेज कर फीस मांगी, पेरेंट्स का रिप्लाई- डेढ़ माह से घर बैठा हूं; फीस नहीं दे सकता

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।