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Uttarakhand Scholarship Scam दलालों व संस्थानों के बाद अब अधिकारियों की बारी

Uttarakhand Scholarship Scam मामले में दलालों व संस्थानों के बाद अब अधिकारियों की बारी है। एसआइटी ने छात्रवृत्ति घोटाले में संलिप्त अधिकारियों का भी काला चिठ्ठा तैयार कर लिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 18 Oct 2019 12:17 PM (IST)
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Uttarakhand Scholarship Scam दलालों व संस्थानों के बाद अब अधिकारियों की बारी
रुद्रपुर, जेएनएन : Uttarakhand Scholarship Scam मामले में दलालों व संस्थानों के बाद अब अधिकारियों की बारी है। एसआइटी ने छात्रवृत्ति घोटाले में संलिप्त अधिकारियों का भी काला चिठ्ठा तैयार कर लिया है। अब एसआइटी को पुलिस मुख्यालय से अनुमति की दरकार है। वहां से अनुमति के बाद अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक बाजपुर में मुकदमा दर्ज करने की तैयारी की जा रही है।

एसआइटी जांच में छात्रवृत्ति घोटाले में लिप्त लोगों पर शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। एसआइटी अब तक करोड़ों के घोटाले के इस मामले में बाजपुर व जसपुर में सात मुकदमें दर्ज करा चुकी है। एक मुकदमा घोटाले में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ दर्ज कराने के लिए एसआईटी टीम ने ताल ठोंक दी है। घोटाले में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ साक्ष्य मिले है। चिन्हित किए जा चुके अधिकारी एसआइटी का अगला निशाना है। लेकिन टीम एक एक कदम जांच में फूंक कर रख रही है। जिससे किसी तरह की किरकिरी इस मामले में न हो। साक्ष्य मिलने के बाद उसका पूरा मसौदा तैयार कर पुलिस मुख्यालय भेजा जा रहा है। वहां पर इसका गहन अध्यन करने के बाद एफआइआर की अनुमति के बाद ही योजनाबद्ध तरीके से एफआइआर दर्ज की जा रही है। जनजााति बाहुल्य क्षेत्र खटीमा व नानकमत्ता में भी साक्ष्य मिलने लगे है। वहां भी किए गए सत्यापन के दौरान तथ्य सामने आए उसके आधार पर बड़ा घोटाला सामने आ रहा है। एसआईटी उसको सूचीबद्ध करने में जुटी है। उसकी रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही एफआइआर की संभावनाएं व्यक्त की जा रही है। उसके साथ ही कूटीरचित दस्तावेजों के माध्यम से वितरित की गई छात्रवृत्ति के लिए चिह्नित जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए अब अधिक समय लगने वाला नहीं है। अगला नंबर अधिकारियों का लग चुका है।

हर सप्ताह भेजी जा रही प्रगति रिपोर्ट

एसआइटी द्वारा हर सप्ताह की गई जांच की प्रगति रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जा रही है। जांच पर उच्च न्यायालय की पैनी निगाह होने के कारण प्रगति रिपोर्ट की गहनता से अध्यन किए जाने के बाद ही कार्रवाई की जा रही है। जिससे क्रास चेकिंग कर किसी गलती की कोई गुंजाइश न रह सके।

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