Aditya L1 Mission: पांच जनवरी के बाद आदित्य एल-1 खोलेगा सूर्य के रहस्य, मिशन ने अब तक जोखिम भरे पड़ावों को किया पार
भारतीय सोलर मिशन आदित्य एल-1 पांच से सात जनवरी के बीच अपनी मंजिल एल-1 यानी लैग्रेंज प्वाइंट वन पर पहुंच जाएगा। इस सफलता के साथ भारत सोलर मिशन के क्षेत्र में विश्व का तीसरा देश बन जाएगा। आदित्य एल-1 आउटरीच मिशन के सह अध्यक्ष व आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी ने बताया कि मिशन पर वैज्ञानिकों के साथ-साथ दुनिया की नजर है।
By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Mon, 18 Dec 2023 10:08 PM (IST)
रमेश चंद्रा, नैनीताल। भारतीय सोलर मिशन आदित्य एल-1 पांच से सात जनवरी के बीच अपनी मंजिल एल-1 यानी लैग्रेंज प्वाइंट वन पर पहुंच जाएगा। इस सफलता के साथ भारत सोलर मिशन के क्षेत्र में विश्व का तीसरा देश बन जाएगा। आदित्य एल-1 सूर्य की अनसुलझी गुत्थियों का सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है।
आदित्य एल-1 आउटरीच मिशन के सह अध्यक्ष व आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी ने बताया कि मिशन पर वैज्ञानिकों के साथ-साथ दुनिया की नजर है।
आदित्य एल-1 की अभी तक की यात्रा सफल रही है। इसने जोखिम भरे सभी पड़ावों को सफलतापूर्वक पार किया है। अब इंतजार अंतिम पड़ाव पर पहुंचने का है। पूरी उम्मीद है कि यह पड़ाव भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया जाएगा।
प्रो. दीपांकर बनर्जी ने बताया कि आदित्य एल-1 मिशन दो सितंबर को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट से लांच किया गया था। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य का समग्र अध्ययन, सूर्य से मिलने वाले प्रकाश और ऊर्जा के साथ ही सूर्य पर कई गतिशील परिवर्तन और विस्फोटक घटनाओं की जानकारी जुटाना है।
एल-1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह दूरी पृथ्वी से चंद्रमा की औसत दूरी की लगभग चार गुनी है। इसलिए एल-1 तक पहुंचने में चार महीने से अधिक समय लग रहा है। एल-1 प्वाइंट से सूर्य का चौबीसों घंटे अवलोकन किया जा सकता है। आदित्य एल-1 सात अत्याधुनिक उपकरणों के साथ भेजा गया है, जो सूर्य के प्रकाश के साथ पराबैंगनी किरणें और एक्सरे में सूर्य को देख सकेगा।
इसके अलावा, चुंबकीय क्षेत्र व सूर्य से आने वाले उच्च ऊर्जावान कणों का अध्ययन करेगा। यह सूर्य के वातावरण व सूर्य निकलने वाली सौर ज्वालाओं, सौर तूफानों का महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा। प्रो. बनर्जी ने बताया कि सभी बाधाओं को पार करते हुए एल-1 की ओर बढ़ रहे मिशन का बस अब अंतिम पड़ाव पर पहुंचने का सभी को इंतजार है। आदित्य एल-1 मिशन का एक सबसे महत्वपूर्ण कार्य सीएमई यानी सूर्य से पृथ्वी की ओर आने वाले सौर तूफानों पर पैनी नजर रखना है। मल्टी-वेवलेंथ में सौर पवन की उत्पत्ति के रहस्य को समझना है।
आदित्य एल-1 में लगे रिमोट-सेंसिंग व इन-सीटू उपकरणों के माध्यम से सौर हवा की उत्पत्ति, सुपरसोनिक गति के त्वरण, सीएमई के विकास और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करना है। उम्मीद है कि कक्षा में स्थापित होते ही आदित्य एल-1 सूर्य के अनेक रहस्यों को उजागर करने में मील का पत्थर साबित होगा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।