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पत्नी की हत्या में दोषी अधिवक्ता पति को उम्रकैद की सजा, कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया

द्वितीय अपर जिला सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह की कोर्ट ने पत्नी की हत्या में दोषी करार अधिवक्ता को उम्रकैद की सजा सुनाने के साथ ही 30 हजार जुर्माना लगाया है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 24 Nov 2019 09:16 AM (IST)
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पत्नी की हत्या में दोषी अधिवक्ता पति को उम्रकैद की सजा, कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया
नैनीताल, जेएनएन : द्वितीय अपर जिला सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह की कोर्ट ने पत्नी की हत्या में दोषी करार अधिवक्ता को उम्रकैद की सजा सुनाने के साथ ही 30 हजार जुर्माना लगाया है।

दरअसल, 19 मई 2016 को सुबह करीब सवा पांच बजे हॉल वैभरली कम्पाउंड मल्लीताल नैनीताल व मूल निवासी आजाद नगर रुड़की के मनीष अरोड़ा चार-पांच साथियों के साथ अपनी पत्नी पद्मिनी अरोड़ा (26) को लेकर बीडी पांडे अस्पताल पहुंचे। चिकित्सक ने जांच के बाद महिला को मृत घोषित कर दिया। जब शव को मोर्चरी में भेजने लगे तो मनीष चिकित्सक से शव घर रुड़की ले जाने की जिद करने लगे, वार्ड ब्वॉय व पीआरडी जवान ने समझाते हुए शव मोर्चरी में रखवाने की सलाह दी मगर हाई कोर्ट का वकील बताकर शव को घर ले जाने का दबाव बनाकर जबरन शव अपनी गाड़ी में रखकर ले गए।

जब शव रुड़की में अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे थे तो मायके वालों ने इसकी सूचना गंगनहर पुलिस को दी। पुलिस ने तत्काल शव को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेजा, मगर बिना हस्ताक्षर वाली पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए परिजनों ने पैनल से पोस्टमार्टम की मांग की। जिसके बाद तीन चिकित्सकों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया, जिसमें गला दबाकर हत्या की पुष्टिï हुई। जिसके बाद पुलिस द्वारा अधिवक्ता व उसके माता-पिता के खिलाफ दहेज उत्पीडऩ व हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया।

जांच के उपरांत अधिवक्ता के माता-पिता को आरोप से बरी कर दिया गया। जबकि अधिवक्ता के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की गई। अभियोजन की ओर डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा व एडीसी पूजा साह द्वारा 12 लोगों से अधिक गवाह पेश किए गए। शनिवार को सजा पर बहस हुई। डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने अधिकतम सजा की मांग करते हुए कहा कि अभियुक्त द्वारा महिला की हत्या कर समाज के विरुद्ध अपराध किया है। डीजीसी ने मृतका की पहली शादी से हुई बेटी भरण पोषण देने का आदेश पारित करने की प्रार्थना की। जिसके बाद कोर्ट ने धारा-302 के तहत आजीवन कारावास व 20 हजार जुर्माना, दहेज उत्पीडऩ पर तीन साल कठोर कारावास व पांच हजार जुर्माना, साक्ष्य छिपाने पर तीन साल कठोर कारावास व पांच हजार जुर्माने की सजा सुनाई। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी और जुर्माना अदा न करने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। सजा सुनाने के बाद जेल से कोर्ट लाए गए मनीष को फिर से जेल भेज दिया गया। एडीजीसी पूजा साह ने बताया कि कोर्ट ने मृतका की बेटी को हर्जाना देने के आदेश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल के दिए हैं।

पहली शादी से हो चुका था तलाक

मृतका की बहन रजनी निवासी प्रगति विहार अधोइवाला रायपुर रोड देहरादून में कोर्ट में बयान देकर कहा था कि पद्मिनी का पहली शादी से तलाक हो चुका था। वह मनीष को जानती थी और 2015 में मनीष से शादी कर ली। शादी के बाद वह पति के साथ नैनीताल आ गई। मनीष की पद्मिनी के साथ दूसरी शादी थी। एक माह तक सब ठीक ठाक रहा मगर फिर दोनों के बीच झगड़ा होने लगा। मौत से चंद दिन पहले दस मई 2016 को पद्मिनी ने मल्लीताल कोतवाली में पति के खिलाफ तहरीर दी, जिसमें नौ मई को पति व उसके दोस्त शराब पीकर घर आने व दोस्त के अश्लील हरकत करने का जिक्र किया था। बताया था कि पति से शिकायत करने पर जवाब मिला था कि यदि मेरे साथ रहना है तो दोस्त के साथ भी रहना पड़ेगा।

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