पीएम मोदी के दौरे के बाद पिथौरागढ़ की यात्रा को लेकर लोगों में बढ़ी उत्सुकता, इस सीजन में करें इन खूबसूरत वादियों की सैर
पीएम की यात्रा और महानायक अमिताभ बच्चन (Actor Amitabh Bachchan) के एक्स (पूर्व में ट्विटर) में पोस्ट किए जाने के बाद यह क्षेत्र देश-दुनिया में चर्चा में आ गया है। यात्रा करने वालों की संख्या बढ़ने लगी है। अगर आप भी ऐसी ही जगह यात्रा की तलाश में हैं तो चीन व नेपाल सीमा पर स्थित पिथौरागढ़ (Pithoragarh) जिले की खूबसूरत घाटियों व पर्वतों की रोमांचक सैर कर सकते हैं।
गणेश जोशी, हल्द्वानी। 'अगर मुझसे कोई पूछे कि आपको उत्तराखंड में एक जगह अवश्य देखनी चाहिए तो वह कौन सी होगी, तो मैं कहूंगा कि आपको उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में पार्वती कुंड और जागेश्वर धाम अवश्य देखने चाहिए। वहां की प्राकृतिक सुंदरता और दिव्यता आपको मंत्रमुग्ध कर देगी।' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने यह बात बीते 12 अक्टूबर को समुद्र तल से 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलास पर्वत (Mount Kailash) के समक्ष पार्वती कुंड (Parvati Kund) के निकट ध्यान लगाकर स्वयं इसकी अनुभूति की थी।
रोमांच के साथ आध्यात्मिकता की परम अनुभूति कराता आदि कैलास
पौराणिक काल से ही आस्था का केंद्र रहा आदि कैलास पर्वत सचमुच में रोमांच के साथ ही आध्यात्मिकता की अनुभूति कराता है। जहां आप एक बार पहुंच गए तो फिर यहां की नैसर्गिक सुंदरता, स्वच्छ व शांत वातावरण, हरे-भरे बुग्याल आपको बरबस ही बार-बार आने के लिए सम्मोहित करते हैं। इसी क्षेत्र के एक छोर पर ऊं पर्वत है, जिसके दर्शन भर से ही पवित्रता की सहज अनुभूति होने लगती है।
पीएम और अमिताभ बच्चन की पोस्ट के बाद चर्चा में पिथौरागढ़
पीएम की यात्रा और महानायक अमिताभ बच्चन (Actor Amitabh Bachchan) के एक्स (पूर्व में ट्विटर) में पोस्ट किए जाने के बाद यह क्षेत्र देश-दुनिया में चर्चा में आ गया है। यात्रा करने वालों की संख्या बढ़ने लगी है। अगर आप भी ऐसी ही जगह यात्रा की तलाश में हैं तो चीन व नेपाल सीमा पर स्थित पिथौरागढ़ (Pithoragarh) जिले की खूबसूरत घाटियों व पर्वतों की रोमांचक सैर कर सकते हैं।
अध्यात्म व नैसर्गिंक सौंदर्य
पिथौरागढ़ जिले (Pithoragarh District) की व्यास, दारमा व चौंदास घाटियों में एक कहावत है,'खरगोश का पीछा करोगे तो बारहसिंघा निकलेगा।' यानी निश्चित तौर पर असीम सुंदरता लिए इन घाटियों में जितना आपने सोचा होगा, उससे कहीं अधिक जानने-समझने व देखने का मौका मिलेगा। इतना ही नहीं जब हम इन वादियों में पूरी तरह डूब जाते हैं, तो हमें स्वयं को जानने का भी एक अवसर मिलता है।
वर्ष 1962 में चीन युद्ध के बाद उपेक्षित रही इन मनोरम वादियों में कोरोना काल के बाद सड़क भी पहुंच गई है। इसे देखते हुए व्यास घाटी निवासी आइएएस धीराज सिंह गर्ब्याल ने चार वर्ष पहले ही गांवों में होम स्टे (Home Stay) की शुरुआत करवा दी थी। अब सड़क ऊं पर्वत से लेकर ज्योलिंगकोंग तक पहुंच गई है। पीएम के दौरे के बाद संचार सेवा सुचारु हो चुकी है। अन्य सुविधाएं भी तेजी से विस्तार ले रही हैं।
ऐसे पहुंचे आदि कैलास व ऊं पर्वत
आदि कैलास व ऊं (ओम) पर्वत तक पहुंचने के लिए हवाई सेवा से आ रहे हों तो पंतनगर तक पहुंचना होगा। ट्रेन से काठगोदाम-लालकुआं नजदीकी स्टेशन हैं। यहां से 334 किलोमीटर दूर बस या टैक्सी के जरिये आप सीधे धारचूला पहुंचेंगे। धारचूला में एसडीएम कार्यालय से इनरलाइन परमिट बनाना होगा। इसके लिए स्वास्थ्य परीक्षण जरूरी है। इसके बाद आप आप टैक्सी या फिर अपने वाहन से ओम पर्वत व आदि कैलास पहुंचेंगे।
सीधे डेस्टिनेशन पर पहुंचने के बजाय आप पहले दिन गुंजी व नाबि गांव में रूक सकते हैं। यहां पर हाेम स्टे व होटल मिल जाएंगे। इसका प्रति व्यक्ति किराया 1000 से 1500 रुपये तक है। इसके अतिरिक्त कुटी, नपलच्यू, नाविढांग आदि गांवों में ठहर सकते हैं। इन गांवों में 50 से अधिक होम स्टे हैं। यहां पर सीमांत के रंग समाज की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का भी साक्षात्कार कर सकेंगे। आप एक दिन ओम पर्वत व दूसरे दिन आदि कैलास में पार्वती कुंड, गौरी कुंड, भीम की खेती क्षेत्र की यात्रा कर सकते हैं।
मई से नवंबर माह तक यात्रा का अनुकूल समय
यात्रा का समय मई से नवंबर मध्य तक अनुकूल रहता है। रात में तापमान माइनस तक पहुंच जाता है इसलिए अत्यधिक ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े जरूर रखें। खाने-पीने की वस्तुएं, आवश्यक दवाइयां अपने साथ ले जाना न भूलें।
स्वादिष्ट व्यंजनों का उठाएं लुत्फ
होम स्टे में रहते हुए आप उच्च हिमालयी क्षेत्र की चाय (ज्या), छत्त ज्या (मीठी चाय), मर्जया (घी या मक्खन से तैयार चाय) आदि के अलावा मुनस्यारी की प्रसिद्ध राजमा व मोटे अनाज, स्थानीय दाल व सब्जियों से तैयार तमाम कुमाऊंनी व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं। इसमें भट की चुड़कानी, सिसूण(बिच्छू घास) का साग, गडेरी व पिनालू (अरबी) की सब्जी आदि आपके लिए खास व अलग होगी।
आसपास हैं तमाम दर्शनीय स्थल
समय हो तो व्यास घाटी के बाद आपके पास तवाघाट से फिर चौदास व दारमा घाटी की यात्रा का मौका है। जहां आप नारायण आश्रम के बाद साहसिक यात्रा के लिए पंचाचूली के बेस कैंप तक जा सकते हैं। ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए यह बेहतरीन जगह है। इसके अतिरिक्त आप हिमनगरी मुनस्यारी जा सकते हैं। जहां आप जनवरी-फरवरी में खलियाटाप में स्कीइंग कर सकते हैं। मिलम ग्लेशियर तक ट्रेकिंग का आनंद भी उठा सकते हैं। टैंट लेकर जाते हैं तो कैंपिंग भी कर सकते हैं।
पूर्व में ट्विटर (एक्स) पर बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन द्वारा किया गया ट्वीट - 'कैलास पर्वत की धार्मिकता, रहस्य, दिव्यता मुझे लंबे समय से आकर्षित करती रही है। मगर मलाल है कि मैं व्यक्तिगत तौर पर इसे नहीं देख पाऊंगा।'
T 4799 - The religiosity .. the mystery .. the divinity of Kailash Parbat , has been intriguing me for long .. and the tragedy is that I shall never be able to visit it in person .. pic.twitter.com/x5xe7ZAXaB— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) October 14, 2023
ओल्ड लिपुलेख से करें कैलास मानसरोवर के दर्शन
ओम पर्वत के दर्शन के साथ ही चीन में स्थित कैलास मानसरोवर के भी दर्शन भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको चीन जाने की जरूरत नहीं है। आपको नाभिढांग के बाद ओल्ड लिपुलेख जाना होगा। यह लगभग 18 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। नाभिढांग के बाद करीब दो किलोमीटर पैदल चलकर ओल्ड लिपुलेख पहुंचेंगे। यहां से कैलास मानसरोवर की हवाई दूरी करीब 50 किलोमीटर है। मौसम साफ रहने पर कैलास मानसरोवर का ऐसा दृश्य आपको केवल उत्तराखंड के धारचूला क्षेत्र में ओल्ड लिपुलेख से ही देखने को मिलता है।
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