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Uttarakhand State Olympic: कबाड़ की 300 रुपये की साइकिल खरीदकर मोहित ने जीता कांस्य पदक

उत्तराखंड राज्य ओलंपिक (Uttarakhand State Olympic) में मोहित साहू ने कबाड़ की 300 रुपये की साइकिल से कांस्य पदक जीतकर सबको चौंका दिया। आर्थिक तंगी के बावजूद हौसले से उन्होंने महंगी साइकिल और स्पेशल जूतों वाले प्रतिभागियों को पछाड़ दिया। मोहित की कहानी प्रेरणादायक है और यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Mon, 23 Sep 2024 02:10 PM (IST)
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गौलापार बाईपास पर अपनी साइकिल व रिश्तेदारों संग मोहित साहूl सौ. स्वजन

चयन राजपूत l जागरण हल्द्वानी : कहते हैं न, अगर मन में हौसला हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता। बनभूलपुरा के मोहित साहू ने यह पंक्ति सच साबित कर दी है। कबाड़ की 300 रुपये की साइकिल घर में खुद रिपेयर कर मोहित रविवार को राज्यस्तरीय स्पर्धा के दौरान उन प्रतिभागियों के साथ जाकर खड़ा हो गया, जो ढाई से पांच लाख रुपये की कीमत की एक से बढ़कर एक साइकिल पर सवार थे और साइकिलिंग के लिए स्पेशल 20 से 30 हजार रुपये के जूते पहने थे।

मोहित के अंदर हौसला था कि वह रेस में कोई न कोई पदक लेकर आएगा। मोहित राजकीय इंटर कालेज बनभूलपुरा में 11वीं कक्षा का छात्र है। पिता सब्जी का ठेला लगाते हैं। घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने पर मोहित ने बचपन में घर के पास साइकिल रिपेयरिंग की दुकान में भी काम किया है। बताया कि बचपन से ही खेलकूद में रुचि होने पर उसने फुटबाल, हाकी, खो-खो, वालीबाल खेलों की राज्यस्तरीय स्पर्धा में भी पदक हासिल किए हैं।

गौलापार स्टेडियम बंद होने के कारण उसे वहां तैनात गार्ड से पता चला कि गौलापार बाईपास पर साइकिलिंग स्पर्धा होने वाली है। ऐसे में उसने एक दिन पहले ही साइकिल की खुद रिपेयरिंग की। अपने भांजे से साइकिल का हेलमेट लेकर वह प्रतियोगिता स्थल पर पहुंचा।

पहली बार स्पर्धा में प्रतिभाग करने के बावजूद उसे अपने पर हौसला था कि वह कोई न कोई पदक लेकर जरूर आएगा, जो उसने साबित भी कर दिया। इधर, साइकिलिंग एसोसिएशन का कहना है कि वह मोहित की मदद जरूर करेंगे। वह होनहार खिलाड़ी है। उसे कहीं से अच्छी साइकिल स्पांसर करवाएंगे।

दोस्त से साइकिल मांगकर स्पर्धा में पहुंचा मुकेश

तीनपानी निवासी मुकेश कश्यप की कहानी भी मोहित की तरह है। मुकेश के पिता घरों में पेंट करते हैं। मुकेश भी फ्लेक्सी पेंटिंग का काम करते हैं और एथलेटिक्स में कई पदक जीते हैं। वह गौलापार स्टेडियम में स्वीमिंग भी करते हैं।

मुकेश l जागरण

स्टेडियम के वाट्सएप ग्रुप से उसे साइकिलिंग स्पर्धा के बारे में पता चला। इसके बाद वह दोस्त से साइकिल मांगकर पहुंच गया। हालांकि, मुकेश कोई पदक अर्जित नहीं कर सका, लेकिन उसे सोमवार को होने वाली तैराकी स्पर्धा में पदक लाने की उम्मीद है।

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