आग से फसल जलकर राख होने पर नहीं मिलता है कृषि बीमा, जानिए क्या है कारण
गेहूं के खेतों में आग लगने की घटना ने जहां किसानों के सामने संकट खड़ा कर दिया है वहीं कृषि विभाग भी इससे चिंतित हो गया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 29 Apr 2019 10:32 AM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : गेहूं के खेतों में आग लगने की घटना ने जहां किसानों के सामने संकट खड़ा कर दिया है, वहीं कृषि विभाग भी इससे चिंतित हो गया है। मगर इसमें हैरानी की बात यह है कि इन किसानों को इस नुकसान का मुआवजा नहीं मिल पाएगा, क्योंकि आग लगने की घटना मानवजनित घटना मानी जाती है। केवल ओलावृष्टि, अतिवृष्टि, बाढ़ जैसी अन्य दैवीय आपदाओं में ही फसल बीमा कराने वाले किसानों को मुआवजा दिया जाता है।
तराई-भाबर में गेहूं की फसल पक कर तैयार है। कई जगह कटाई हो चुकी है और खेतों में गेहूं काट का रखा गया है। तापमान बढऩे के साथ ही अग्निकांड की घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। हर साल इस सीजन में आग से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। जनवरी 2016 से दैवीय आपदा जैसे संकट में तो कृषि बीमा योजना से किसानों को राहत मिल जाती है, लेकिन खेत में अग्निकांड को अभी तक बीमा कवर नहीं मिल पाया है। नैनीताल जिले में 23 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल बोई गई है। इनमें से रामनगर, लालकुआं में अब तक आग से फसलें राख होने की घटना सामने आ चुकी हैं। पड़ोसी जिले यूएसनगर में भी आग किसानों की मेहनत को जलाकर राख कर रही है।
तराई-भाबर में गेहूं की फसल पक कर तैयार है। कई जगह कटाई हो चुकी है और खेतों में गेहूं काट का रखा गया है। तापमान बढऩे के साथ ही अग्निकांड की घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। हर साल इस सीजन में आग से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। जनवरी 2016 से दैवीय आपदा जैसे संकट में तो कृषि बीमा योजना से किसानों को राहत मिल जाती है, लेकिन खेत में अग्निकांड को अभी तक बीमा कवर नहीं मिल पाया है। नैनीताल जिले में 23 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल बोई गई है। इनमें से रामनगर, लालकुआं में अब तक आग से फसलें राख होने की घटना सामने आ चुकी हैं। पड़ोसी जिले यूएसनगर में भी आग किसानों की मेहनत को जलाकर राख कर रही है।
1.5 प्रतिशत प्रीमियम पर होता है गेहूं का बीमा
बीमा योजना के तहत किसानों को खरीफ की फसल के लिए दो प्रतिशत प्रीमियम और रबी की फसल के लिए 1.5 प्रतिशत प्रीमियम देना पड़ता है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हुई फसल के मामले में बीमा प्रीमियम को बहुत कम रखा गया है, जिससे हर किसान को योजना का लाभ मिल सके। योजना के तहत वाणिच्यिक और बागवानी फसलों के लिए भी बीमा सुरक्षा प्रदान की जाती है, जिसमें किसानों को पांच प्रतिशत प्रीमियम जमा करना पड़ता है। क्या है मानक
फसल की बुआई के 10 दिनों के अंदर किसानों को बीमे के लिए आवेदन करना पड़ता है। इसके बाद फसल काटने के 15 दिनों के बीच प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान होने पर बीमा योजना का लाभ मिलता है। बीमे की रकम तभी मिलेगी जब फसल किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से ही खराब हुई हो।
बीमा योजना के तहत किसानों को खरीफ की फसल के लिए दो प्रतिशत प्रीमियम और रबी की फसल के लिए 1.5 प्रतिशत प्रीमियम देना पड़ता है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हुई फसल के मामले में बीमा प्रीमियम को बहुत कम रखा गया है, जिससे हर किसान को योजना का लाभ मिल सके। योजना के तहत वाणिच्यिक और बागवानी फसलों के लिए भी बीमा सुरक्षा प्रदान की जाती है, जिसमें किसानों को पांच प्रतिशत प्रीमियम जमा करना पड़ता है। क्या है मानक
फसल की बुआई के 10 दिनों के अंदर किसानों को बीमे के लिए आवेदन करना पड़ता है। इसके बाद फसल काटने के 15 दिनों के बीच प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान होने पर बीमा योजना का लाभ मिलता है। बीमे की रकम तभी मिलेगी जब फसल किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से ही खराब हुई हो।
बीते साल गदरपुर में 60 एकड़ में फसल हुई थी राख
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रबी सीजन 2017-18 में ऊधमसिंहनगर जिले के गदरपुर में 60 एकड़ गेहूं की फसल आग की भेंट चढ़ गई थी। इसके बाद रबी सीजन 2019-20 में बाजपुर में खड़ी फसल में आग लगने की सबसे बड़ी घटना हुई है। फसलों पर ध्यान दें किसान, समय से काटें
पीके सिंह, संयुक्त निदेशक कृषि, कुमाऊं मंडल ने बताया कि नैनीताल जिले में 23 हजार हेक्टेयर और यूएसनगर जिले में तकरीबन 90 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल बोई गई है, जिसमें से काफी बड़े क्षेत्र में कटाई हो चुकी है। फायर सीजन भी चल रहा है ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि फसल पर निगरानी रखें, कटाई को लेकर सतर्कता बरते।
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रबी सीजन 2017-18 में ऊधमसिंहनगर जिले के गदरपुर में 60 एकड़ गेहूं की फसल आग की भेंट चढ़ गई थी। इसके बाद रबी सीजन 2019-20 में बाजपुर में खड़ी फसल में आग लगने की सबसे बड़ी घटना हुई है। फसलों पर ध्यान दें किसान, समय से काटें
पीके सिंह, संयुक्त निदेशक कृषि, कुमाऊं मंडल ने बताया कि नैनीताल जिले में 23 हजार हेक्टेयर और यूएसनगर जिले में तकरीबन 90 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल बोई गई है, जिसमें से काफी बड़े क्षेत्र में कटाई हो चुकी है। फायर सीजन भी चल रहा है ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि फसल पर निगरानी रखें, कटाई को लेकर सतर्कता बरते।
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