वायुसेना के हेलीकॉप्टर से रिलकोट से निकाले जाएंगे हिमपात में फंसे जवान nainital news
आठ दिनों से भारी हिमपात के कारण बुगडियार में फंसे आइटीबीपी के 19 जवान और छह पोटर्स मुनस्यारी पहुंच गए हैं। अब वे अपनी वाहिनी मुख्यालय जाजरदेवल आएंगे।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 22 Dec 2019 09:59 AM (IST)
पिथौरागढ़ /मुनस्यारी, जेएनएन : आठ दिनों से भारी हिमपात के कारण बुगडियार में फंसे आइटीबीपी के 19 जवान और छह पोटर्स मुनस्यारी पहुंच गए हैं। अब वे अपनी वाहिनी मुख्यालय जाजरदेवल आएंगे। वहीं, रिलकोट में फंसे जवानों को वायुसेना के हेलीकॉप्टर से निकालने की मांग केंद्रीय गृह मंत्रालय से की गई है। इस बीच सब सही रहा तो दो से तीन दिन के भीतर जवानों को रिलकोट से मुनस्यारी या पिथौरागढ़ पहुंचा दिया जाएगा।
चीन सीमा पर जोरदार हिमपात उच्च हिमालय में शनिवार को मौसम फिर खराब हो गया। मौसम विभाग ने हिमपात अधिक होने की आशंका जताई है। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर चीन सीमा लिपूलेख से लेकर कालापानी और अंतिम गांव कुटी में हिमपात से बुरा हाल है। जोहार के मिलम में भी हिमपात हो रहा है। उच्च हिमालय में अभी भारी हिमपात की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में राहत व बचाव कार्य प्रभावित हो सकता है। इस मामले में आइटीबीपी के डीआइजी एपीएस निंबाडिया ने बताया कि मौसम विभाग के अलर्ट को देखते हुए चौकियों में तैनात जवानों को सतर्क किया गया है। शुक्रवार को बुगडियार से लीलम आए जवान और पोटर्स शनिवार को मुनस्यारी पहुंच गए हैं। सभी जवान स्वस्थ हैं। उन्हें वाहिनी मुख्यालय जाजरदेवल भेजा जाएगा।
जवानों के पास है पर्याप्त राशन जवानों को 14 दिसंबर को रिलकोट से बुगड्यार आना था। पांच से छह फुट तक बर्फ गिरने के चलते आठ जवान और सात पोर्टर अभी वहीं फंसे हैं। यहां से वह मिलम भी नहीं जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जवानों के पास राशन की पर्याप्त व्यवस्था है, लेकिन उन्हें सुरक्षित निकाला जाना जरूरी है। जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि प्रशासन और आईटीबीपी की क्षेत्र में पैनी नजर है। जवानों के लिए राशन की पर्याप्त व्यवस्था है। इस मौके पर आईटीबीपी के उप सेनानी अविनाश कुमार भी मौजूद रहे।
फंसे जवान और पोर्टरों को निकालना चुनौतीरिलकोट में फंसे जवान और पोर्टरों को निकालना कठिन चुनौती होगी। उच्च हिमालयी इलाकों के आईटीबीपी चेक पोस्ट पर फंसे जवानों और पोर्टरों को निकालने के लिए हैलीपैड पर जमी पांच से छह फुट बर्फ को हटाना होगा। हैलीपैड से कैंप तक रास्ते की बर्फ भी हटानी होगी। सूत्रों के अनुसार आईटीबीपी द्वारा चौकियों से बर्फ हटा कर 200 मीटर रास्ता प्रतिदिन बनाने के आदेश दिए गए हैं। रास्ता बनाने में एक ओर हिमस्खलन का खतरा और दूसरी ओर गोरी नदी के ऊपर बर्फ काटना मुश्किल है। बर्फ में धंसने से गोरी नदी में समाने का खतरा बना हुआ है। उच्च हिमालयी इलाकों के पर्वतारोहण के एक्सपर्ट गंगा राम का कहना है कि इन रास्तों पर अप्रैल में ही ट्रैक कर पाना काफी कठिन है। बर्फवारी के समय रास्ता बनाना अपने में किसी खतरे से कम नहीं है।
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