Air Pollution: अस्थमा-फेफड़ों के मरीज के लिए खराब होती जा रही देवभूमि के इस शहर की हवा, घुट रहा दम
हल्द्वानी में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। हर महीने यहां पीएम-10 का स्तर 110 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक दर्ज किया जा रहा है। इससे अस्थमा फेफड़े संबंधी रोग हृदय रोग और बुजुर्गों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इस लेख में हम हल्द्वानी में वायु प्रदूषण के कारणों चिंताओं और एहतियाती उपायों पर चर्चा करेंगे।
लगातार बढ़ रही हल्द्वानी की आबादी
कुमाऊं के प्रवेशद्वार हल्द्वानी की आबादी लगातार बढ़ रही है। सिर्फ नगर निगम क्षेत्र की आबादी साढ़े चार लाख पहुंच चुकी है। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के नौकरी व बेहतर मूलभूत सुविधाओं की वजह से यहां शिफ्ट होने का सिलसिला भी थम नहीं रहा। जिस वजह से प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ रही है।वायु प्रदूषण माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर में
- माह - प्रदूषण मात्रा
- जनवरी -119.85
- फरवरी- 122.79
- मार्च -120.84
- अप्रैल -126.41
- मई- 122.03
- जून -121.03
- जुलाई- 110.29
- अगस्त -111
- सितंबर --114.75
हल्द्वानी में वायु प्रदूषण की मुख्य वजह
- निर्माण कार्यों में बढ़ोतरी के साथ ही वहां पीसीबी से जुड़े मानकों का पूर्ण पालन न होना।
- जगह-जगह सड़कों की खुदाई के कारण भी प्रदूषण की मात्रा में वृद्धि देखने को मिलती है।
- वाहनों की बढ़ती संख्या और पीक सीजन कई गुना वृद्धि होने से भी स्तर बढ़ने लगता है।
- फायर सीजन के दौरान आसपास के पर्वतीय क्षेत्रों में लगने वाली आग भी एक वजह है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में पांच ग्लेशियर झील बेहद खतरनाक! विशेषज्ञों ने बताया-भीषण आपदा से बचने का प्लानबड़े शहरों वाली स्थिति हल्द्वानी में नहीं है। यहां वाहनों और निर्माण कार्यों की वजह से प्रदूषण होता है। हालांकि, भविष्य के लिहाज से सतर्कता की जरूरत तो है। - अनुराग नेगी, क्षेत्रीय प्रबंधक पीसीबी
इंटरसिटी को अनुमति मिलने पर कम होगा वाहनों का भार
19 अक्टूबर को परिवहन प्राधिकरण की बैठक है। जिसमें इंटरसिटी बसों के संचालन का प्रस्ताव भी आएगा। ये बसें रानीबाग से लेकर बेलबाबा, गौलापार और लामाचौड़ क्षेत्र तक को कवर करेंगी। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के मजबूत होने पर सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या कम हो सकती है।अत्यधिक वायु प्रदूषण की वजह से सांस की बीमारियां होने लगती है। इसमें दमा, स्वांस फूलना जैसी परेशानी बढ़ने लगती हैं। जिन्हें पहले से यह समस्या है। उनके लिए यह स्थिति अधिक हानिकारक हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि बहुत अधिक आवश्यक होने पर घर से बाहर निकलें। धूल-धुएं से बचाव के लिए एन-95 मास्क का प्रयोग करें। अपने डाक्टर से परामर्श लें। निमोनिया होने पर वैक्सीनेशन भी लगाना चाहिए। - डा. गौरव सिंघल, वरिष्ठ छाती व श्वांस रोग विशेषज्ञ, नीलकंठ अस्पताल