देहरादून की तर्ज पर चारधाम के लिए हल्द्वानी से भी शुरू हो हवाई यात्रा nainital news
धार्मिक संस्था हरिशरणम जन प्रमुख रामगोविंद दास भाईजी ने चारधाम के लिए देहरादून की तर्ज पर हल्द्वानी से हवाई सेवा शुरू करने की जरूरत बताई है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 17 Feb 2020 08:36 AM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : धार्मिक संस्था हरिशरणम जन प्रमुख रामगोविंद दास भाईजी ने चारधाम के लिए देहरादून की तर्ज पर हल्द्वानी से हवाई सेवा शुरू करने की जरूरत बताई है। इससे कुमाऊं के धार्मिक स्थल पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित होंगे और चारधाम यात्रा पर जाने वालों को सहूलियत होगी। पर्यटन विकास को विस्तारित करने के लिहाज से यह फैसला अहम साबित हो सकता है।
हवाई कनेक्टिविटी समय की जरूरत दैनिक जागरण से रूबरू होते हुए भाईजी ने कहा तीस अप्रैल को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने जा रहे हैं। मई पहले सप्ताह से केदारनाथ समेत चारधाम की धार्मिक यात्रा शुरू हो जाएगी। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए सरकार देहरादून के सहस्त्रधारा हेलीपैड से हेलीकॉप्टर सेवा मुहैया कराती है। देहरादून की तर्ज पर हल्द्वानी से इस तरह की सेवा शुरू करने की जरूरत है। बेहतर हवाई कनेक्टिविटी समय की जरूरत है। ऐसे में हेली सेवा को गढ़वाल तक सीमित न कर पूरे प्रदेश के लिए विस्तारित करना चाहिए।
मुफ्त भोजन, सस्ते आवास उपलब्ध होंचारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के माध्यम से तीर्थयात्रियों के चारों धाम में 24 घंटे मुफ्त भोजन व न्यूनतम दरों में आवास की व्यवस्था उपलब्ध कराने की जरूरत है। प्रबंधन बोर्ड सदियों से मंदिरों का संरक्षण करने वाले पुजारी, पुरोहितों को भी साथ लेकर चले।
वैदिक विश्वविद्यालय की जरूरतभाईजी ने कहा सरकार को चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के जरिये वैदिक विश्वविद्यालय अस्तित्व में लाना चाहिए। वैदिक कर्मकांड करने वाले लोग व्यवस्थित शिक्षा प्रणाली के माध्यम से सनातन धर्म से जुडे ग्रंथों का अध्ययन कर सकेंगे।
संस्कृत विद्यालयों का कायाकल्प जरूरीप्रदेश में करीब 200 संस्कृत विद्यालय व महाविद्यालय हैं। जिनमें शिक्षकों के अधिकांश पद रिक्त व भवन-छात्रावास जर्जर हैं। सरकार इस पर ध्यान देती है तो लोकोपकार होगा। तभी लोगों में संस्कृत के प्रति रुचि बढ़ेगी।कुंभ के जरिये बड़ा संदेश देने का मौकाकुंभ में विश्वभर से असंख्य लोग आएंगे। ऐसे में कुंभ के जरिये समूचे विश्व को नदियों की निर्मलता का संदेश दिया जा सकता है। सरकार व अखाड़ों को मिलकर श्रद्धालुओं से नदियों को निर्मल रखने का संकल्प पत्र भराना चाहिए।
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