Famous Temple of Almora: कोणार्क से भी पुराना है अल्मोड़ा का कटारमल सूर्य मंदिर, पढ़िए मंदिर की सबसे बड़ी खूबी
Famous Temple of Almora आज हम आपको बताने जा रहे हैं अल्मोड़ा के प्रसिद्ध कटारमल सूर्य मंदिर के बारे हैं। सूर्य मंदिरों की संख्या भारत में बहुत ही कम है। पर्यटन खगोलीय व समय की गणना व स्थापत्य कला की दृष्टि से यह मंदिर अद्भुत व अद्वितीय है।
By Prashant MishraEdited By: Updated: Wed, 06 Jul 2022 01:22 PM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Famous Temple of Almora: उत्तराखंड धार्मिक पर्यटन के लिहाज से बहुत समृद्ध है। हिमालय की ऊंची चोटियों से लेकर तराई तक अनेक प्रकार के मठ मंदिर श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। प्रदेश में हर साल लाखों श्रद्धालु व पर्यटक मानसिक शांति व छुट्टियों में इसका दर्शनलाभ लेते हैं।उत्तराखंड के मंदिरों की लंबी श्रृंखला है। हम आपको बताने जा रहे हैं कुमाऊं की सांस्कृतिक राजधानी स्थित कटारमल सूर्य मंदिर के बारे में...
कटारमल सूर्य मंदिर का इतिहास (Katarmal Sun Temple)
देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के अधेली सुनार नामक गांव में भगवान सूर्य का कटारमल सूर्य मंदिर है। यह मंदिर अल्मोड़ा शहर से तकरीबन 16 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर है। यह सूर्य मंदिर कोणार्क के सूर्य मंदिर से भी 200 साल पुराना बताया जाता है।
मंदिर से जुड़ी कहानी
सतयुग में उत्तराखण्ड की कन्दराओं में तप करने वाले ऋषि-मुनियों पर एक असुर अत्याचार कर रहा था। उस समय द्रोणगिरी कषायपर्वत और कंजार पर्वत के ऋषि मुनियों ने कौशिकी, जो अब कोसी नदी कहलाती है। इसके तट पर आकर सूर्य देव की स्तुति की थी।तब ऋषि मुनियों की प्रार्थना से प्रसन्न होकर उन्होंने अपने दिव्य तेज को एक वटशिला में स्थापित कर दिया। इसी वटशिला पर कत्यूरी राजवंश के शासक कटारमल ने बड़ादित्य नामक तीर्थ स्थान के रूप में इस सूर्य मन्दिर का निर्माण करवाया, जो अब कटारमल सूर्य मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है।
एक रात में निर्माणकटारमल सूर्य मंदिर का निर्माण 6ठीं से 9वीं शताब्दी के बीच कत्यूरी राजवंश के राजा कटारमल ने करवाया था। ऐसी मान्यता है कि राजा कटारमल ने इसका निर्माण एक ही रात में करवाया था। यह उत्तराखंड शैली में निर्मित है। भोर मेें जब पहली सूर्य की किरण कटारमल सूर्य मंदिर पर पड़ती है तो सीधे सूर्य की प्रतिमा पर जाकर इसकी किरण पड़ती है। यहां पर विभिन्न समूहों में मंदिरों के 50 समूह हैं।
मंदिर की विशेषता देवदार और सनोबर के पेड़ों से घिरे अल्मोड़ा की पहाड़ियों में स्थित कटारमल का सूर्यमंदिर वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर शानदार कलात्मक रूप से बने पत्थर और धातुकर्म और खूबसूरती से बनाये गए नक्काशी के खंभे और लकड़ियों के दरवाजे के लिए प्रसिद्ध है।मंदिर में से एक मूर्ति के चोरी होने के बाद सूर्य की प्रतिमा व नक्काशीदार दरवाजे को वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली में रखी हुई है। मंदिर में शिव-पार्वती और लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमाएं भी हैं।
मान्यतामंदिर में सूर्य देव पद्मासन मुद्रा में बैठे हैं। कहा जाता है कि यहां श्रद्धा व भक्ति से मांगी गई हर इच्छा पूर्ण होती है। यहां पर श्रद्धालुओं का आवागमन वर्ष भर इस मंदिर में लगा रहता है। इसके अलावा यहां पर इतिहार से विद्यार्थी, वास्तुकला व प्रकृतिप्रेमियों का जमावड़ा विशेष रूप से लगा रहता है। कहा जाता है कि देवी-देवता यहां भगवान सूर्य की आराधना करते थे।
कैसे पहुंचेकटारमल पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको अल्मोड़ा पहुंचना होगा। यहां से टैक्सी से मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है। अल्मोड़ा के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन करीब 90 किमी की दूरी पर काठगोदाम है। यहां से हर समय बस व टैक्सी मिलती है। इसके अलावा पंतनगर सबसे करीबी हवाई अड्डा है, यहां से अल्मोड़ा के लिए टैक्सी व बस मिल जाएगी। रोड से आने के लिए ऊधमसिंह नगर से वाया हल्द्वानी जाया जा सकता है।
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