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अल्मोड़ा मेडिकल काॅलेज को मिले 13 सीनियर रेजिडेंट, अभी एनएमसी की मान्यता को बरकरार हैं चुनौतियां

एनएमसी से मान्यता को जूझ रहे अल्मोड़ा मेडिकल काॅलेज को विभिन्न विभागों के संचालन को 13 नए सीनियर रेजिडेंट मिल गए हैं। अब तक 13 सीनियर रेजिडेंट मेडिल काॅलेज के पास थे। हालांकि एनएमसी के ढांचे को पूरा करने के लिए स्वीकृत 51 पद पूरे भरे जाने हैं।

By Prashant MishraEdited By: Updated: Mon, 09 Aug 2021 09:35 PM (IST)
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वर्ष 2004 में अल्मोड़ा मेडिकल काॅलेज की घोषणा हुई थी। 2012 में निर्माण कार्य शुरू हो सका।
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) से मान्यता को जूझ रहे अल्मोड़ा मेडिकल काॅलेज को विभिन्न विभागों के संचालन को 13 नए सीनियर रेजिडेंट मिल गए हैं। अब तक 13 सीनियर रेजिडेंट मेडिल काॅलेज के पास थे। हालांकि एनएमसी के ढांचे को पूरा करने के लिए स्वीकृत 51 पद पूरे भरे जाने हैं।

अल्मोड़ा मेडिकल काॅलेज अभी तक 13 सीनियर व 24 जूनियर रेजिडेंट के बूते चलाया जा रहा था। प्राचार्य प्रो. सीपी भैंसोड़ा के मुताबिक मान्यता के लिए 26 सीनियर रेजिडेंट की जरूरत है। सोमवार को शासन से 13 सीनियर रेजिडेंट मिलने के बाद आंकड़ा मान्यता के करीब तो पहुंचा पर चुनौतियां बरकरार हैं। प्राचार्य प्रो. भैसोड़ा के अनुसार कुछ चिकित्सक चिकित्सा शिक्षा में समायोजित किए जाएंगे। कुछ को ओपीडी व विभागीय जिम्मेदारी दी जाएगी। यानि सीनियर रेजिडेंट की कमी बनी हुई है।

दो बार हो चुका निरीक्षण

वर्ष 2004 में अल्मोड़ा मेडिकल काॅलेज की घोषणा हुई थी। 2012 में निर्माण कार्य शुरू हो सका। 2017 में काॅलेज का संचालन शुरू हो जाना था। मगर ढांचागत सुविधाओं के अभाव में पहले तो सीनियर व जूनियर रेजिडेंट चिकित्सक मिले ही नहीं। जो मिले भी तो ज्वायन करने से पहले ही त्यागपत्र दे गए। ऐसे में मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया (एमसीआइ) के दो बार निरीक्षण में अल्मोड़ा मेडिकल काॅलेज मान्यता की कसौटी पर खरा न उतर सका। तीसरे निरीक्षण से पूर्व एमसीआइ भंग हो गई। एनएमसी के अस्तित्व में आने के बाद पुन: निरीक्षण किया जाना है।

प्राचार्य प्रो. भैंसोड़ा ने भेजा था प्रस्ताव

सूत्रों के मुताबिक एनएमसी का जल्द निरीक्षण होना है। इसी वजह से प्राचार्य प्रो. सीपी भैसोड़ा ने ढांचे की कसौटी पर खरा उतरने के लिए सीनियर रेजिडेंट की कमी को पूरा करने को प्रस्ताव भेजा था। इसी पर 13 सीनियर रेजिडेंट मुहैया तोत कराए गए हैं पर मान्यता की राह अभी आसान नहीं हो सकी है।

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