Move to Jagran APP

बीएचयू में डॉ. फिरोज खान का विरोध करने वाले शालिमा तबस्सुम और जैनब के बारे में भी जान लें

कुविवि के संस्कृत विभाग में एचओडी पद पर एक अल्पसंख्यक महिला प्रोफेसर विगत कई वर्षों से सेवाएं दे रही हैं तो यहीं से एक मुस्लिम बेटी संस्‍कृत में विवि टॉप कर चुकी है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 22 Nov 2019 12:25 PM (IST)
Hero Image
बीएचयू में डॉ. फिरोज खान का विरोध करने वाले शालिमा तबस्सुम और जैनब के बारे में भी जान लें
नैनीताल, किशोर जोशी : बनारस हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू के संस्कृत विभाग में डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति का मामला इन दिनों राष्‍ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में है। वहां के कुछ छात्रों का कहना है कि एक मुस्लिम प्रोफेसर भला कैसे संस्‍कृत और कर्मकांड पढ़ा सकता है। वहीं दूसरी तरफ कुमाऊं विश्‍वविद्यालय के संस्कृत विभाग में एचओडी पद पर एक अल्पसंख्यक महिला प्रोफेसर विगत कई वर्षों से विभागीय जिम्‍मेदारियों का निर्वहन करते हुए बेहद सुकून से विद्यार्थियों को शिक्षित कर रही हैं। उन्हें न केवल छात्र समुदाय बल्कि समाज ने सहर्ष स्वीकार किया है, बल्कि संस्‍कृत में विषय विशेषज्ञ होने के कारण हर किसी को उनपर नाज है। कुमाऊं अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के शिक्षक हैं जो संस्‍कृत के विद्वान हैं। चलिए जानते हैं ऐसे शिक्षकों को बारे में जो संकीर्ण मानसिकता के लोगों के लिए एक जवाब की तरह हैं।

शालिमा तबस्सुम चार साल से हैं संस्‍कृत विभाग की एचओडी

उत्तर प्रदेश के देवबंद निवासी पशु चिकित्सक डॉ. जरीफ अहमद व गृहि‍णी सईदा बेगम की चार बेटियों में सबसे छोटी बेटी डॉ. शालिमा तबस्सुम ने मेरठ विवि से स्नातक, फिर अलीगढ़ मुस्लिम विवि से संस्कृत में पीजी की डिग्री हासिल की। इसके बाद पीएचडी व एमफिल किया। 1999 में डॉ.शालिमा की नियुक्ति कुमाऊं विवि संस्कृत विभाग में हुई। इस समय वे विवि के एसएसजे कैम्‍पस अल्‍मोड़ा में संस्‍कृत डिपार्टमेंट की पिछले चार वर्षों से एचओडी हैं। उन्‍होंने बताया कि 11वीं व 12वीं में पढ़ाई के दौरान संस्कृत विषय को लेकर रुचि जगी। कहा कि इलाहाबाद विवि में एचओडी में प्रो. नाहिद आबिदी, एएमयू में प्रो. सलमा, प्रो. खालिद यूसुफ संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष रहे हैं। यह तो भाषा की ताकत है कि उसे कितने लोग पढ़ते या समझते हैं। इसमें विवाद की कोई वजह नहीं है। बीएचयू प्रकरण पर उन्‍होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि संस्कृत में हर भाषा की जननी बनने की क्षमता है।

धारचूला में संस्‍कृत की सहायक अध्‍यापिका हैं जैनब

धारचूला में संस्‍कृत की सहायक अध्‍यापिका जैनब फातमा ने बताया कि उन्‍हें संस्‍कृत पढ़ाने का हौसला हिंदू समाज से ही मिला है। विद्यार्थी उनके पढ़ानेके तरीके कायल हैं। ऊधमसिंहनगर के जसपुर मोहल्‍ला नई बस्‍ती के शमशाद हुैसन की बेटी जैनब ने 12वीं बाद साल 2012 में बीए में प्रवेश लेने के दौरान संस्‍कृत विषय का चुनाव किया। उनकी अभिरुचि का परिणाम भी शानदार आया। उन्‍होंने संस्‍कृत विषय में कुविवि टॉप किया, तो उनका हौसला और बढ़ गया। 2016 में भी जैनब ने एमए संस्‍कृत में टॉप किया और उन्‍हें गोल्‍ड मेडल मिला। जैनब की उपलब्धियों पर आचार्य बालकृष्‍ण ने भी हरिद्वार स्थित पतंजलि में उन्‍हें सम्‍मानित किया था। जैनब को 2019 में धारचूला के गुम्‍टी इंटर कॉलेज में सहायक अध्‍यापक के रूप में तैनाती मिली। उन्‍होंने बताया कि उन्‍हें कभी संस्‍कृत पढ़ाने का विरोध नहीं झेलना पड़ा, बल्कि इस कार्य के लिए सदैव उनकी सराहना ही होती रही है।

वीसी ने कहा, भाषा या धर्म के आधार पर विरोध सही नहीं

प्रो. केएस राणा, कुलपति ने इस बारे में अपने विचार रखते हुए बताया कि जाति, धर्म, समुदाय, क्षेत्रवाद के आधार पर नियुक्तियाें की कसौटी को नहीं कसा जा सकता है। कुमाऊं विवि में संस्कृत विभाग में एचओडी पद पर प्रो. शालिमा की तैनाती इस विवि के लिए गौरव की बात है। भाषा या धर्म के आधार पर विरोध कतई सही नहीं ठहराया जा सकता।

यह भी पढ़ें : नैनीताल की बेटी के शोध का डंका दुनिया में बजा, बताया जलवायु संकट कैसे बर्बाद कर देगा सामाजिक तानेबाने और अर्थव्‍यवस्‍था को

यह भी पढ़ें : इंसानों को अपना शिकार बनाने वाले बाघों को अब आदमखोर नहीं, खतरनाक कहा जाएगा बाघ

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।