पति के साथ और कुछ करने की ललक ने अंकिता को लंदन में भी दिलाई पहचान
युवाओं की पसंद बन चुके बॉलीवुड स्टाइल और पश्चिमी शैली के नृत्यों को छोड़कर हल्द्वानी की अंकिता ने कथक से पहचान बनाई है।
By Edited By: Updated: Wed, 30 Jan 2019 10:25 AM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : युवाओं की पसंद बन चुके बॉलीवुड स्टाइल और पश्चिमी शैली के नृत्यों को छोड़कर सात समुद्र पार विदेशी धरती पर हल्द्वानी की अंकिता सेठी ने कथक में अपनी पहचान बनाई है। वह लंदन में युवाओं को कथक सिखा रही हैं और प्रवासी भारतीयों के बीच कथक को लोकप्रिय बनाने में जुटी हैं।
मुखानी निवासी अंकिता सेठी ने हल्द्वानी के सुजाता नृत्यालय से कथक में विशारद की शिक्षा हासिल की थी। इसके बाद दिल्ली कथक केंद्र से प्रशिक्षण लिया और विवाह के बाद लंदन चली गई, लेकिन यहां भी कथक का साथ नहीं छूटा। उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच इस कला को लोकप्रिय बनाने के लिए कई प्रस्तुतियां दी। लंदन में उन्हें अपने पति दर्पण अरोरा का भरपूर प्रोत्साहन मिला। उनकी प्रस्तुतियों को लंदन के लोगों के साथ ही प्रवासी भारतीयों ने खूब सराहा। वह आज विदेशी छात्रों को कथक सिखा रही हैं।
उनका कहना है कि मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मैंने कथक जैसी कला चुनी। इसका श्रेय गुरु, माता, पिता और मेरे पति को जाता है। अंकिता बताती हैं कि अपनी कला व संस्कृति से जुड़े रहना कितना जरूरी है, इसका एहसास मुझे लंदन में हुआ। आजकल नृत्य सीखने वाले बच्चे सबसे पहले हिप-हॉप, सालसा जैसे नृत्यों को पसंद करते हैं, लेकिन हिदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की ओर ध्यान नहीं देते। देश हो या विदेश, युवा अपनी संस्कृति को न भूलें क्योंकि यह एक ऐसी चीज है जिससे आपकी अपनी पहचान बनती है।
मुखानी निवासी अंकिता सेठी ने हल्द्वानी के सुजाता नृत्यालय से कथक में विशारद की शिक्षा हासिल की थी। इसके बाद दिल्ली कथक केंद्र से प्रशिक्षण लिया और विवाह के बाद लंदन चली गई, लेकिन यहां भी कथक का साथ नहीं छूटा। उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच इस कला को लोकप्रिय बनाने के लिए कई प्रस्तुतियां दी। लंदन में उन्हें अपने पति दर्पण अरोरा का भरपूर प्रोत्साहन मिला। उनकी प्रस्तुतियों को लंदन के लोगों के साथ ही प्रवासी भारतीयों ने खूब सराहा। वह आज विदेशी छात्रों को कथक सिखा रही हैं।
उनका कहना है कि मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मैंने कथक जैसी कला चुनी। इसका श्रेय गुरु, माता, पिता और मेरे पति को जाता है। अंकिता बताती हैं कि अपनी कला व संस्कृति से जुड़े रहना कितना जरूरी है, इसका एहसास मुझे लंदन में हुआ। आजकल नृत्य सीखने वाले बच्चे सबसे पहले हिप-हॉप, सालसा जैसे नृत्यों को पसंद करते हैं, लेकिन हिदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की ओर ध्यान नहीं देते। देश हो या विदेश, युवा अपनी संस्कृति को न भूलें क्योंकि यह एक ऐसी चीज है जिससे आपकी अपनी पहचान बनती है।
राज्य स्तरीय खेल महाकुंभ में ऋषिका को गोल्ड
युवा कल्याण एवं खेल विभाग की ओर से आयोजित खेल महाकुंभ की राज्य स्तरीय स्पर्धा में हल्द्वानी की ऋषिका खुल्लर ने गोल्ड जीता है। शहर के तमाम लोगों ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त की है। देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स स्टेडियम में खेली जा रही प्रतियोगिता के अंडर-19 टेबल टेनिस की एकल स्पर्धा में ऋषिका ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया। फाइनल मुकाबले में ऋषिका ने पौड़ी जिले की खिलाड़ी को पराजित किया। इससे पहले ऋषिका राज्य स्तरीय ओलंपिक के टेबल टेनिस में रजत पदक जीत चुकी हैं। पिता डॉ. विनय खुल्लर, माता ममता खुल्लर, ऋषभ खुल्लर समेत अन्य परिजनों ने उन्हें बधाई दी है। यह भी पढ़ें : नैनीताल में जन्मी और अल्मोड़ा में पली बढ़ी सौम्या ने ब्रिटेन में किया कमाल
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