ARIES turns 50 Year : 50 साल का हुआ एरीज, जानिए संस्थान का इतिहास और उपलब्धियां
ARIES turns 50 Year आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज स्थित 104 सेमी संपूर्णानंद ऑप्टिकल दूरबीन ने खोज की दुनिया में अंतराष्ट्रीय स्तर पर अनेक कीर्तिमान स्थापित कर एरीज व देश को अलग पहचान दिलाई है। अक्टूबर 1974 में इस दूरबीन को स्थापित किया गया था।
By kishore joshiEdited By: Skand ShuklaUpdated: Sat, 15 Oct 2022 11:08 AM (IST)
जागरण संवाददाता, नैनीताल : ARIES turns 50 Year : आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज स्थित 104 सेमी संपूर्णानंद ऑप्टिकल दूरबीन ने खोज की दुनिया में अंतराष्ट्रीय स्तर पर अनेक कीर्तिमान स्थापित कर एरीज व देश को अलग पहचान दिलाई है। पिछले 50 वर्षों में इस दूरबीन के जरिए अंतराष्ट्रीय के पांच व चार सौ शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। दूरबीन के 50 साल होने पर सोमवार को एरीज स्वर्ण जयंती मनाने जा रहा है।
वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा शशिभूषण पांडेय ने बताया कि अक्टूबर 1974 में इस दूरबीन को स्थापित किया गया था। पूर्वी जर्मनी से इसके उपकरण आयात किए गए थे और इसे बनाने में 15 लाख रुपए का खर्च आया था। इसे स्थापित करने में तत्कालीन शिक्षा मंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री डा संपूर्णानंद, प्रो वेणु बापू, प्रो एएन सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। इस परियोजना को बनाने में दो वर्ष का समय लगा था।
जिसे मूर्त देने का कार्य 1972 में शुरू हुआ और 1974 से सफलतापूर्वक अपना कार्य शुरू कर दिया। इससे पूर्व नैनीताल के देवी लॉज में वेदशाला हुआ करती थी। 1960 के दशक में मनोरपीक में शिफ्ट की गई। 1980 में इसका अपग्रेडेशन किया गया। जिसमें डिजिटल सिसिडी कैमरा लगने के बाद दूरबीन की क्षमता में गुणात्मक सुधार हुआ और ब्रह्माण्ड की खोज की दुनिया में इस दूरबीन ने रिकॉर्ड बनाने शुरू कर दिए।
पांच अंतरराष्ट्रीय व 400 पत्र हो चुके हैं प्रकाशित
डा शशिभूषण पांडेय के अनुसार पिछले 50 साल के अंतराल में गामा-रे विस्फोट की भारत से पहली खोज इसी दूरबीन के जरिए हुई थी। स्टार कलस्टर, यूरेनस व शनि ग्रह की रिंग्स, बायनारी तारे के साथ अनेक ग्रहों नक्षत्रों के ओब्जरवेशन में संपूर्णानंद दूरबीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।दो लाख से अधिक सैलानी समेत विज्ञानी कर चुके हैं अवलोकन
संपूर्णानंद दूरबीन के जरिए देश विदेश के सैंकड़ों विज्ञानी व शोधार्थी यूनिवर्स के रहस्यों की खोज कर चुके हैं। 50 साल के अंतराल में दो लाख से अधिक स्कूली बच्चे व सैलानी इस दूरबीन के जरिए चांद, तारों, ग्रहों के अलावा ब्रह्माण्ड की अनेक अकाशगंगाएं व निहारिकाओं को निहार चुके हैं।
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