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राज्य गठन के 18 साल बाद भी प्रदेश की परिसंपत्तियों पर उत्‍तर प्रदेश का है कब्‍जा

राज्य बनने के 18 साल बीतने के बाद भी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच करीब 800 करोड़ रुपये की संपत्तियों का बंटवारा नहीं हो सका है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 03 Apr 2019 10:01 AM (IST)
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राज्य गठन के 18 साल बाद भी प्रदेश की परिसंपत्तियों पर उत्‍तर प्रदेश का है कब्‍जा
हल्द्वानी, जेएनएन : राज्य बनने के 18 साल बीतने के बाद भी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच करीब 800 करोड़ रुपये की संपत्तियों का बंटवारा नहीं हो सका है। कई बार दोनों प्रदेशों के मुख्य सचिव स्तर के अफसरों की बैठकें भी हुईं, इसके बावजूद संपत्तियों के बंटवारे के विवाद का हल नहीं निकल पाया। केंद्र के साथ ही उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश में एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद कोई ठोस पहल नहीं हुई। इसका खामियाजा उत्तराखंड की जनता के साथ ही सरकारी महकमों को भी भुगतना पड़ रहा है।

वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड पृथक राज्य बना था। उत्तराखंड और यूपी के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा नहीं होने से चम्पावत जिले के बनबसा में कई विकास कार्य बाधित पड़े हैं। पृथक राज्य बनने के बाद यह पहला मौका है, जब दोनों राज्यों में सरकार भाजपा की है। दोनों सरकारों के ढाई साल का कार्यकाल बीतने के बाद भी परिसंपत्तियों का बंटवारे नहीं होने से समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। कुछ माह पूर्व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद सिंह रावत और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच भी इस मामले पर वार्ता हुई थी। इससे बंटवारा होने व स्थायी समाधान निकलने की आस जगी। वहीं अब लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग चुकी है। ऐसे में अब लोगों की आस मई में चुनाव परिणाम आने के बाद आचार संहिता के हटने पर टिकी है।

बनबसा में यूपी सिंचाई विभाग के कब्जे में 2209.94 हेक्टेयर भूमि

चम्पावत जिले के बनबसा में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के कब्जे में शारदा बैराज, सिंचाई नहर, कार्यालय, आवासीय परिसर के अलावा वन क्षेत्र और बागान की कुल मिलाकर 2209.94 हेक्टेयर भूमि है। 93.83 हेक्टेयर भूमि पर शारदा बैराज व आवासीय परिसर, 909.75 हेक्टेयर भूमि पर छोटे-बड़े सात बागान, जंगल व अतिक्रमण और 1206.36 हेक्टेयर भूमि पर शारदा नहर है। बनबसा में विकास कार्य के लिए भूमि का अभाव है। भूमि के अभाव से कई विकास कार्य रुके हैं। 

पानी उत्तराखंड का, फायदा यूपी को

बनबसा बैराज क्षेत्र उत्तराखंड के हिस्से में आता है लेकिन वहां यूपी का कब्जा है। बनबसा बैराज सहित शारदा नहर के पानी का फायदा उत्तराखंड को मिलने के बजाय यूपी को मिल रहा है। सामान्य तौर पर नहर में चार हजार क्यूसेक पानी रहता है, जो बरसात में साढ़े 10 हजार क्यूसेक पार हो जाता है। इसका पूरा फायदा यूपी के 12 जिले उठा रहे हैं। ये जिले बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बदायूं, लखनऊ, लखीमपुर, सुल्तानपुर, हरदोई, उन्नाव, बाराबंकी, रायबरेली, सीतापुर हैं।

सिंचाई विभाग ने नहीं दिया बिजली बिल, ऊर्जा निगम ने ठप कर दी थी सप्लाई

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड और उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के बीच बकाएदारी को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। ऊर्जा निगम यूपी सिंचाई विभाग के बैराज व कॉलोनी को बिजली देता है, जबकि बैराज से लोहियाहेड पावर हाउस को पानी की सप्लाई दी जाती है। ऊर्जा निगम का यूपी सिंचाई विभाग पर साढ़े 13 करोड़ के बकाए का भुगतान नहीं हुआ तो अफसरों ने बैराज व कॉलोनी की बिजली आपूर्ति ठप कर दी। इससे पूर्णागिरि क्षेत्र का भी आधा हिस्सा अंधेरे में डूब गया। यूपी सिंचाई विभाग के मात्र साढ़े 12 लाख रुपये जमा करने पर भी यूपीसीएल ने आपूर्ति शुरू नहीं की। उधर, यूपी सिंचाई विभाग ने पानी के करीब 64 करोड़ के बकाए भुगतान न करने पर लोहियाहेड पावर हाउस को पानी देना बंद करने की चेतावनी दे रहा है। नौ दिन अंधेरे में रहने के बाद मंगलवार को दोनों प्रदेशों के अफसरों के वार्ता के बाद बिजली जोड़ी जा सकी।

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