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76 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से धरती के करीब आ रहा है कुतुबमीनार से कई गुना बड़ा asteroid

27 मई को धरती के नजदीक से गुजर रहे क्षुद्रग्रह का आकार बहुत बड़ा है। यह करीब 1.80 किमी का है। क्षुद्रग्रह (Asteroid Asteroid (7335) 1989 JA) धरती से करीब 40 लाख किमी दूर से गुजर रहा है। इसके धरती से टकराने की कोई आशंका नही है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 26 May 2022 06:42 AM (IST)
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76 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से धरती के करीब आ रहा है कुतुबमीनार से कई गुना बड़ा asteroid
जागरण संवाददाता, नैनीताल : एक विशाल आकार का क्षुद्रग्रह (Asteroid (7335) 1989 JA) शुक्रवार को धरती के करीब से गुजरने जा रहा है। विशालकाय होने के कारण विज्ञानियों की नजरें इस पर टिकी हुई है। बहरहाल इसके धरती से टकराने की कोई संभावना नहीं है। इस क्षुद्रग्रह (asteroid) का नाम 7335 (1989 जे ए) है।

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा शशिभूषण पांडेय ने बताया कि सौरमंडल में चक्कर लगाते पिंडों की धरती से टकराने की आशंका बनी रहती है। बहुत छोटे आकार के पिंड धरती के वातावरण में आते ही जल जाते हैं, लेकिन बड़े आकार के धरती से टकरा सकते हैं। 27 मई को धरती के नजदीक से गुजर रहे क्षुद्रग्रह का आकार बहुत बड़ा है। यह करीब 1.80 किमी का है।

क्षुद्रग्रह धरती से करीब 40 लाख किमी दूर से गुजर रहा है। बहुत दूर होने के कारण इसके धरती से टकराने की कोई आशंका नही है। ये क्षुद्रग्रह अन्य ग्रहों की तरह सूर्य का चक्कर लगाता है। अगली बार 2055 में यह धरती के करीब से गुजरेगा। नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज ने इसे खतरनाक ग्रहों की श्रेणी में माना है।

बहुत तेज रफ्तार है इस विशाल पिंड की

यह क्षुद्र ग्रह अपने कक्ष में बहुत रफ्तार से आगे बड़ रहा है। इसकी गति 76 हजार किमी प्रति घंटा है। धरती के करीब आने पर टेलिस्कोप की मदद से इस लघु ग्रह को देखा जा सकता है।

1989 से नजर है इस क्षुद्रग्रह पर

धरती के करीब आने वाले क्षुद्रग्रह जैसे पिंडों को हजारों की संख्या में खोजा जा चुका है। 27 मई को धरती के करीब आ रहे इस विशाल पिंड को एक मई 1989 को अमेरिकी विज्ञानी एलिनोर हेलिन ने खोजा था। तबसे विज्ञानियों की नजर इस पर टिकी हुई है।

धरती के बड़े खतरे हैं क्षुद्रग्रह

क्षुद्रग्रह लाखों करोड़ों की संख्या में हमारे सौर मंडल के बीच मौजूद हैं, जो स्वतंत्र विचर रहे हैं। इनके धरती से टकराने की आशंका बनी रहती है। पूर्व में इनके धरती पर टकराने के कई निशान मौजूद हैं। जिस कारण विज्ञानी हनेशा इन पर नजर रखते हैं।

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