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सात अगस्त को होगी खगोलीय घटना, पृथ्वी के निकट से गुजरेगा यह धूमकेतु

पानस्टार्स सी 2017 एस 3 नाम का धूमकेतु सात अगस्त को यह पृथ्वी के निकट से होकर गुजरने वाला है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 10 Jul 2018 05:05 PM (IST)
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सात अगस्त को होगी खगोलीय घटना, पृथ्वी के निकट से गुजरेगा यह धूमकेतु
नैनीताल, [रमेश चंद्रा]: एक विस्फोट के बाद 15 गुना चमक बढ़ाने वाला एक धूमकेतु इन दिनों सुर्खियों में है। इसका नाम पानस्टार्स सी 2017 एस 3 है। यह हरे रंग का है। सात अगस्त को यह पृथ्वी के निकट से होकर गुजरने वाला है। 

भारतीय तारा भौतिकी संस्थान के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक प्रो. आरसी कपूर के अनुसार आने वाले दिनों में इसकी चमक इतनी बढ़ जाएगी कि इसे भोर के समय कोरी आंखों से देखा जा सकेगा। 30 जून की रात अचानक इसमें एक विस्फोट हुआ और इसकी चमक 15 गुना बढ़ गई। वैज्ञानिकों ने इसका नाम इंनफ्रेटिवल भी दिया है। इसकी चमक लगातार बढ़ती जा रही है, जो अगले कुछ दिनों में प्लस तीन या चार तक हो जाएगी।

हरे रंग का होने के कारण इसकी खूबसूरती में अधिक निखार आ जाएगा। अभी यह करीब 2.60 लाख किमी के दायरे में गैसीय बादलों से घिरा हुआ है। वैज्ञानिक यह भी संभावना जता रहे हैं कि कभी भी यह छिन्न-भिन्न हो सकता है। अमेरिकी प्रसिद्ध मैगजीन स्काई एंड टेलीस्कोप में धूमकेतु में  अप्रत्याशित घटना की बात कही है, जो बेहद रोमांचकारी हो सकती है। 

पहली बार करेगा सूर्य का सामना

यह धूमकेतु पहली बार सूर्य का सामना करने जा रहा है। अभी इसकी पूंछ नही निकल पाई है। दूरबीन से देखने पर चंद्रमा के दशवें हिस्से के बराबर नजर आ रहा है। अपनी कक्षा में सूर्य की ओर बढ़ रहा है। सूर्य से करीब तीन करोड़ किमी की दूरी से होकर गूजरेगा। इससे पूर्व सात अगस्त को धरती से लगभग 1.13 करोड़ किमी की दूरी से होकर जाएगा। यह पहली बार सूर्य के नजदीक आ रहा है। बुध ग्रह की कक्षा के भीतर से होकर गुजरने वाला है। 

अंतिम भी हो सकता है पानस्टार्स का यह सफर

वैज्ञानिकों का मानना है कि हरे रंग के इस धूमकेतु की यह यात्रा अंतिम भी हो सकती है, जिसके चलते वैज्ञानिकों की दिलचस्पी इस पर बड़ गई है। इसकी कक्षा प्रबलयाकार है। यह सौर मंडल के धूमकेतु वाले क्षेत्र उर्ट बादल से आया हुआ है। इस क्षेत्र में अरबों धूमकेतु फैले हुए हैं। 

पुच्छल तारा भी कहते हैं धूमकेतुओं को

धूमकेतु को पुच्छल तारा भी कहा जाता है। यह सौर मंडल के अंतिम छोर में होते हैं। जो सूर्य की ओर आगे बढ़ते हैं। धूल व बर्फ के बने होते हैं। सूर्य के नजदीक आने पर इनकी पूंछ निकल आती आती है।

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