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साहसिक पर्यटन के लिए तैयार हो रहा बाणासुर किला, बनेगा पैराग्लाइडिंग हब nainital news

साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यटकों को लुभाने के लिए बाणासुर किला पैराग्लाइडिंग हब के रूप में विकसित होगा।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 06 Feb 2020 08:16 PM (IST)
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साहसिक पर्यटन के लिए तैयार हो रहा बाणासुर किला, बनेगा पैराग्लाइडिंग हब nainital news
विनोद चतुर्वेदी, चम्पावत : साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यटकों को लुभाने के लिए बाणासुर किला पैराग्लाइडिंग हब के रूप में विकसित होगा। पर्यटन विभाग के सर्वे में जिले की सर्वाधिक ऊंचाई वाला यह स्थान पैराग्लाडिंग के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया है। अब जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग को इसे पैराग्लाइडिंग स्पॉट के लिहाज से विकसित करने को कहा है। इस पर होने वाला खर्च जिला योजना मद से वहन किया जाएगा। इसके बाद यह स्थल देश-विदेश के पैराग्लाइडिंग के शौकीनों एवं पर्यटकों को आकर्षित करेगा। साथ ही यहां युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

नैनीताल जिले में भीमताल, पिथौरागढ़ के अलावा चम्पावत जिले में अब तक ढकना बड़ोला गांव स्थित चंडाल कोट में पैराग्लाइडिंग होती थी। यहां पहाड़ी में ढलान न होने के कारण पैराग्लाइडरों को उड़ान में दिक्कतें आती थी। इसी को देखते हुए पर्यटन विभाग ने लोहाघाट ब्लाक के कर्णकारायत स्थित बाणासुर किले का सर्वे किया और सबसे उपयुक्त पाया। जिला पर्यटन अधिकारी लता बिष्ट ने बताया कि बाणासुर किले से लगी हुई दूसरी चोटी को पैराग्लाडिंग हब के रूप में विकसित किया जाएगा। साथ ही चंडाल कोट को प्रोफेशनल उड़ान के लिहाज से तैयार करेंगे। इधर, पैराग्लाडिंग का प्रशिक्षण देने वाली पिथौरागढ़ की संस्था एडवेंचर लवर्स के निदेशक अशोक भंडारी ने बताया कि पैराग्लडिंग में उड़ान भरने के लिए उस स्थान पर 15 से 20 डिग्री तक की ढलान होना आवश्यक है। बाणासुर किले से पैराग्लाडिंग का प्रशिक्षण देने के साथ प्रोफेशनल उड़ान आसानी से भरी जा सकती है।

राक्षस राज बाणासुर ने बनवाया था किला

मान्यता है कि देवासुर संग्राम के समय बाणासुर किले का निर्माण राक्षस राज बाणासुर ने करवाया था। पुरातत्व विभाग द्वारा लगाए गए बोर्ड में इस किले को बाणासुर की पुत्री ऊषा और श्रीकृष्ण के पौत्र प्रद्युम्न की प्रेम कथा से जुड़ा होने का उल्लेख किया गया है। एक अन्य कथा के मुताबिक देवासुर संग्राम में बाणासुर यहां वहां भटक रहा था। उसने यहां पर सप्त मातृकाओं को गाते हुए सुना तो मंत्रमुग्ध हो गया तथा अपने अस्त्र-शस्त्र रखकर यहां बैठ गया। बाद में उसने यहां मातृकाओं का एक मंदिर बनाया। स्थानीय भाषा में इसे बानेकोट या बाणाकोट कहा जाता है। प्रसिद्ध इतिहासकार बद्रीदत्त पांडेय ने अपनी पुस्तक कुमाऊं का इतिहास में इसके लिए बौन कोट शब्द का प्रयोग किया है। किले की ऊंचाई समुद्रतल से 19 हजार मीटर है। चम्पावत के जिलाधिकारी एसएन पांडे का कहना है कि बाणासुर किले को पैराग्लाडिंग के लिए सबसे उपयुक्त पाते हुए विकसित कराया जा रहा है। किले को देखने के लिए आने वाले बाहरी सैलानी भी यहां साहसिक पर्यटन का लुत्फ ले सकेंगे। साथ ही युवा साहसिक खेलों से जुड़कर रोजगार अपना सकते हैं।

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