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बहुचर्चित Banbhoolpura अतिक्रमण मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, होगा 4365 परिवारों के भविष्‍य का फैसला

Banbhoolpura Encroachment Case देशभर में बहुचर्चित बनभूलपुरा और रेलवे प्रकरण में आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। रेल विभाग द्वारा दावा की गई 29 एकड़ जमीन पर 4365 परिवारों ने अतिक्रमण कर रखा है। जमीन पर कब्जा रखने वाले परिवार हल्द्वानी में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और दावा कर रहे थे कि वे जमीन के असली मालिक हैं।

By Deep belwal Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 24 Jul 2024 12:47 PM (IST)
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Banbhoolpura Encroachment Case: रेलवे प्रकरण में आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। Banbhoolpura Encroachment Case: देशभर में बहुचर्चित बनभूलपुरा और रेलवे प्रकरण में आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। फैसले को लेकर शहर के लोगों की निगाहें आज होने वाली सुनवाई पर गढ़ी हैं।

पिछले शुक्रवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुयान ने केस को सुना और पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को नियत की थी। साथ ही राज्य सरकार और रेलवे की तरफ से एक एक अधिकारी को जवाब के साथ आने को कहा गया था।

बनभूलपुरा निवासी अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने बताया कि पिछली बार उनकी याचिका में कॉलिन गोंसाल्विस मौजूद थे। उनकी तरफ से पहले ही फाइनल जवाब दाखिल किया जा चुका है। इसलिये उन्होंने कहा कि हम फाइनल बहस को तैयार हैं। कोई भी डेट दे दी जाए।

सलमान खुर्शीद की टीम के सीनियर वकील कोई तथ्यपूर्ण बात नहीं कह सके

वहीं शराफत खान की याचिका में सलमान खुर्शीद की टीम के सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट में अपनी बात रखी थी।

रेलवे और सरकार के वकील बरसात के कारण नदी में पानी आने से रेल संचालन में बाधा आने के अलावा कोई तथ्यपूर्ण बात नहीं कह सके थे। इस पर कोर्ट ने राज्य और रेलवे की तरफ से एक एक अधिकरी को जवाब के साथ कोर्ट में 24 जुलाई की तारीख मुकर्रर करते हुए तलब किया था।

4,365 परिवारों ने किया अतिक्रमण

बताते चलें कि रेल विभाग द्वारा दावा की गई 29 एकड़ जमीन पर 4,365 परिवारों ने अतिक्रमण कर रखा है। जमीन पर कब्जा रखने वाले परिवार हल्द्वानी में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और दावा कर रहे थे कि वे जमीन के असली मालिक हैं।

शीर्ष अदालत ने पांच जनवरी 2023 को एक अंतरिम आदेश में 29 एकड़ भूमि से अतिक्रमण हटाने के हाई कोर्ट के निर्देशों पर रोक लगा दी थी और इसे मानवीय मुद्दा करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि 50,000 लोगों को रातोंरात नहीं हटाया जा सकता है।