बार काउंसिल के सदस्य ने पूरी चुनाव प्रक्रिया को रद और शून्य घोषित करने की मांग
चार साल बाद हो रहे उत्तराखंड बार काउंसिल के चेयरमैन बीसीआइ सदस्य के निर्वाचन के परिणामों की औपचारिक घोषणा कानूनी तिकड़म में फंस गई है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 07 May 2019 10:18 AM (IST)
नैनीताल, किशोर जोशी : चार साल बाद हो रहे उत्तराखंड बार काउंसिल के चेयरमैन, बीसीआइ सदस्य के निर्वाचन के परिणामों की औपचारिक घोषणा कानूनी तिकड़म में फंस गई है। नतीजे सामने आने के बाद भी इसकी तस्वीर साफ नहीं हुई तो जीत की खुशी मना चुके प्रत्याशी व समर्थकों के चेहरों पर कसक छा गई। अब बार काउंसिल के सदस्य ने पूरी चुनाव प्रक्रिया को ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के विरूद्ध बताते हुए इसे रद व शून्य घोषित करने की मांग उठा दी है।
सोमवार को बार काउंसिल भवन में सुबह दस बजे से ही गहमागहमी शुरू हो गई थी। 11 बजे मतदान शुरू होने के चंद मिनटों बाद ही सभी 21 वोट पड़ गए। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, बीसीआइ सदस्य पद के प्रत्याशियों व उनके समर्थक भी जीत को लेकर आश्वस्त थे। जश्न मनाने तक की पूरी तैयारी थी। मतगणना के बाद अध्यक्ष पद पर जैसे ही प्रत्याशी सुरेंद्र पुंडीर को दस वोट मिलने का एलान मुख्य चुनाव अधिकारी पूर्व जस्टिस बीसी कांडपाल ने किया तो सभागार में ही उन्हें बधाइयां मिलने लगी। उन्होंने बधाई स्वीकार करने के साथ ही सदस्यों का शुक्रिया भी अदा किया। मीडिया कर्मियों से बातचीत में प्राथमिकताएं भी गिना दीं, मगर चंद मिनटों बाद ही अध्यक्ष पद के दूसरे प्रत्याशी सुखपाल सिंह ने लिखित आपत्ति दर्ज करा दी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनके पक्ष में 11 मत पड़े थे, लेकिन उनको पड़े एक मतपत्र के सामने रोमन में एक, जबकि दूसरे मतपत्र में नाम के सामने हिंदी में एक व क्रॉस का निशान लगा है, जो मतदाता की भावना को इंगित करता है, उन्हें खारिज कर दिया गया। कहा कि बार काउंसिल एमेंडमेंट्स रूल्स 2014 के अनुसार, मतदाता अपने मतपत्र में हिंदी, अंग्रेजी या रोमन में मत का प्रयोग अंक लिखकर कर सकता है। उन्होंने दोनों मतपत्र वैध घोषित करने का आग्रह किया।
सोमवार को बार काउंसिल भवन में सुबह दस बजे से ही गहमागहमी शुरू हो गई थी। 11 बजे मतदान शुरू होने के चंद मिनटों बाद ही सभी 21 वोट पड़ गए। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, बीसीआइ सदस्य पद के प्रत्याशियों व उनके समर्थक भी जीत को लेकर आश्वस्त थे। जश्न मनाने तक की पूरी तैयारी थी। मतगणना के बाद अध्यक्ष पद पर जैसे ही प्रत्याशी सुरेंद्र पुंडीर को दस वोट मिलने का एलान मुख्य चुनाव अधिकारी पूर्व जस्टिस बीसी कांडपाल ने किया तो सभागार में ही उन्हें बधाइयां मिलने लगी। उन्होंने बधाई स्वीकार करने के साथ ही सदस्यों का शुक्रिया भी अदा किया। मीडिया कर्मियों से बातचीत में प्राथमिकताएं भी गिना दीं, मगर चंद मिनटों बाद ही अध्यक्ष पद के दूसरे प्रत्याशी सुखपाल सिंह ने लिखित आपत्ति दर्ज करा दी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनके पक्ष में 11 मत पड़े थे, लेकिन उनको पड़े एक मतपत्र के सामने रोमन में एक, जबकि दूसरे मतपत्र में नाम के सामने हिंदी में एक व क्रॉस का निशान लगा है, जो मतदाता की भावना को इंगित करता है, उन्हें खारिज कर दिया गया। कहा कि बार काउंसिल एमेंडमेंट्स रूल्स 2014 के अनुसार, मतदाता अपने मतपत्र में हिंदी, अंग्रेजी या रोमन में मत का प्रयोग अंक लिखकर कर सकता है। उन्होंने दोनों मतपत्र वैध घोषित करने का आग्रह किया।
चुनाव अधिसूचना को रद करने को अर्जी दाखिल
बार काउंसिल के सदस्य हरी सिंह नेगी ने भी मुख्य चुनाव अधिकारी के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई है, जिसमें नियम-कायदों का हवाला देते हुए उन्होंने चुनाव अधिसूचना को ही शून्य या रद घोषित करने की मांग की है। पूर्व चेयरमैन व सदस्य नेगी ने कहा है कि उत्तराखंड बार काउंसिल अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व बीसीआइ सदस्य पद के चुनाव के साथ ही समितियों के चुनाव भी होने चाहिए थे। बाध्यकारी नियमों के अनुसार, अध्याय चार के नियम एक, दो, तीन व चार के अनुसार, समितियों का गठन नहीं किया गया। अनुशासन समितियों के गठन की विज्ञप्ति जारी की गई, जो पूरी तरह अवैध व असंवैधानिक है। उन्होंने अवैध, असंवैधानिक तरीके से अपनाई गई चुनाव प्रक्रिया की विज्ञप्ति को ही शून्य घोषित कर ट्रिब्यूनल को संस्तुति भेजने की मांग की है। फिर डीके ने दिखाया कौशल
बीसीआइ सदस्य पद के चुनाव में वरिष्ठ अधिवक्ता डीके शर्मा ने फिर से सियासी कौशल दिखाया है। शर्मा ने सदस्य पद में 21 में से 11 वोट हासिल कर प्रतिद्वंद्वियों को हैरत में डाल दिया। शर्मा हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता होने के साथ ही 2004 से 2009 तक बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य रह चुके हैं। वह हाई कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष, वरिष्ठ अपर महाधिवक्ता, जिला बार एसोसिएशन ऊधमसिंह नगर के उपाध्यक्ष रह चुके हैं, जबकि बोट हाउस क्लब के सचिव भी हैं।
बार काउंसिल के सदस्य हरी सिंह नेगी ने भी मुख्य चुनाव अधिकारी के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई है, जिसमें नियम-कायदों का हवाला देते हुए उन्होंने चुनाव अधिसूचना को ही शून्य या रद घोषित करने की मांग की है। पूर्व चेयरमैन व सदस्य नेगी ने कहा है कि उत्तराखंड बार काउंसिल अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व बीसीआइ सदस्य पद के चुनाव के साथ ही समितियों के चुनाव भी होने चाहिए थे। बाध्यकारी नियमों के अनुसार, अध्याय चार के नियम एक, दो, तीन व चार के अनुसार, समितियों का गठन नहीं किया गया। अनुशासन समितियों के गठन की विज्ञप्ति जारी की गई, जो पूरी तरह अवैध व असंवैधानिक है। उन्होंने अवैध, असंवैधानिक तरीके से अपनाई गई चुनाव प्रक्रिया की विज्ञप्ति को ही शून्य घोषित कर ट्रिब्यूनल को संस्तुति भेजने की मांग की है। फिर डीके ने दिखाया कौशल
बीसीआइ सदस्य पद के चुनाव में वरिष्ठ अधिवक्ता डीके शर्मा ने फिर से सियासी कौशल दिखाया है। शर्मा ने सदस्य पद में 21 में से 11 वोट हासिल कर प्रतिद्वंद्वियों को हैरत में डाल दिया। शर्मा हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता होने के साथ ही 2004 से 2009 तक बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य रह चुके हैं। वह हाई कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष, वरिष्ठ अपर महाधिवक्ता, जिला बार एसोसिएशन ऊधमसिंह नगर के उपाध्यक्ष रह चुके हैं, जबकि बोट हाउस क्लब के सचिव भी हैं।
छोटी बार एसोसिएशन को मदद प्राथमिकता
बार काउंसिल के उपाध्यक्ष के लिए निर्विरोध चुनाव लड़ रहे देहरादून के राजबीर सिंह बिष्टï ने कहा कि छोटी बार एसोसिएशनों को मदद दिलाना उनकी प्राथमिकता रहेगी। साथ ही कहा कि अधिवक्ताओं का स्वास्थ्य बीमा कराया जाएगा। वह मूल रूप से उत्तरकाशी के बरसाली डूंडा ब्लॉक निवासी हैं और 12 साल से दून में प्रैक्टिस कर रहे हैं। यह भी पढ़ें : व्यापारियों ने दी कैलास मानसरोवर यात्रा रोकने की चेतावनी, जानिए आखिर क्या है नाराजगी
बार काउंसिल के उपाध्यक्ष के लिए निर्विरोध चुनाव लड़ रहे देहरादून के राजबीर सिंह बिष्टï ने कहा कि छोटी बार एसोसिएशनों को मदद दिलाना उनकी प्राथमिकता रहेगी। साथ ही कहा कि अधिवक्ताओं का स्वास्थ्य बीमा कराया जाएगा। वह मूल रूप से उत्तरकाशी के बरसाली डूंडा ब्लॉक निवासी हैं और 12 साल से दून में प्रैक्टिस कर रहे हैं। यह भी पढ़ें : व्यापारियों ने दी कैलास मानसरोवर यात्रा रोकने की चेतावनी, जानिए आखिर क्या है नाराजगी
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