हो जाएं सावधान : लालच के लिंक से चल रहा डाटा चोरी का खेल NAINITAL NEWS
सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने व मुफ्त का उपहार पाने जैसे लिंक वायरल कर साइबर कंपनियां मोबाइल यूजर का डाटा चोरी कर रही हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 07 Jul 2019 10:34 AM (IST)
गणेश पांडे, हल्द्वानी : सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने व मुफ्त का उपहार पाने जैसे लिंक वायरल कर साइबर कंपनियां मोबाइल यूजर का डाटा चोरी कर रही हैं। लालच दिखाकर लोगों की प्राइवेसी में सेंध लगाकर की जा रही डाटा चोरी में मोबाइल नंबर, ईमेल, पोस्टल एड्रेस समेत क्रेडिट व डेबिट कार्ड नंबर तक शामिल हैं।
कई स्मार्ट फोन यूजर इस फरेब से पूरी तरह अनजान हैं। नासमझी में न केवल लिंक ओपन कर रहे हैं, बल्कि दूसरों को भेजकर डाटा चोरी में साइबर अपराधियों की मदद तक कर रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फ्री में लैपटॉप, सोलर पैनल, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व तत्काल पेटीएम कैश दिलाने जैसे लिंक के जाल में फंसकर हजारों लोग प्राइवेसी खो रहे हैं। इस तरह के लिंक से यूजर की करेंट लोकेशन व आइपी एड्रेस ट्रेस हो रहा है।
इस तरह के फर्जी लिंक भेजकर की जा रही सेंधमारी
1. प्रधानमंत्री आवास योजना : सूची में अपने परिवार का नाम जोड़ें व पाएं दस हजार रुपए का चेक फ्री। कृपया यह मैसेज अपने दोस्तों व सारे ग्रुप में शेयर करें, ताकि अन्य लोग भी योजना से लाभांवित हो सकें।
2. लैपटॉप वितरण योजना : देश का हर व्यक्ति होगा डिजिटल, क्योंकि मोदी जी दे रहे हैं 15 अगस्त को फ्री लैपटॉप। 10 हजार लोगों को फ्री दिए जाएंगे लैपटॉप। आज ही अपना नाम रजिस्टर करवाएं।
3. हर घर होगा रोशन : सौर उर्जा विभाग, भारत सरकार। अपना रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें व नजदीकी तहसील से सौर पैनल बिल्कुल फ्री प्राप्त करें। सरकार द्वारा बांटे जा रहे हैं सोलर पैनल। जल्दी रजिस्टर करें।
इस तरह डाटा चुराते हैं जालसाजस्टेप-1 : लिंक खुलते ही नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, राज्य, पिनकोड व फुल एड्रेस पूछा जाता है। पिनकोड के बजाए सीधे शहर या गांव का नाम भी पूछा जाता है।
स्टेप-2 : अगले स्टेप में इसे वॉट्सएप पर 1 से 10 लोगों या किन्हीं 5 ग्रुप में शेयर करने को कहा जाता है, ताकि आप अपने दोस्त व रिश्तेदारों को भी इसका फायदा लेने के लिए ऐसा करने को कह सकें।स्टेप-3 : तीसरे स्टेप पर पहुंचते ही पूरी विंडो या तो सफेद हो जाती है या फिर कोई विज्ञापन स्क्रीन खुलता है। तब तक रजिस्ट्रेशन के लिए भरी गई जानकारी लिंक के सर्वर को जा चुकी होती है। इसके बाद व्यक्ति के पास कोई ऑप्शन नहीं बचता।
कई देशों में डाटा प्राइवेसी फंडामेंटल राइट
साइबर एक्सपर्ट प्रकाश बिष्ट के मुताबिक, कई देशों में डाटा प्राइवेसी एक्ट लागू है। इस कानून के जरिए डाटा प्राइवेसी को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया है, लेकिन भारत में डाटा की प्राइवेसी को लेकर न कोई कानून है और न ही कोई गाइडलाइन। इसलिए डाटा प्राइवेसी का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।इस तरह समझें कौन सी लिंक सेफ
1. अनसेफ यूआरएल : कोई लिंक खोलने से पहले चेक करें कि उसका हायपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (http) सिक्योर है या नहीं। यदि उसमें आगे 'एस नहीं जुड़ा है, यानी https नहीं है तो समझिए लिंक प्राइवेसी व मालवेयर को लेकर सेफ नहीं है। इसके बाद देखें कि लिंक के टेक्स्ट की स्पेलिंग ओरिजिनल साइट के सही यूआरएल के बजाए उससे मिलता-जुलता तो नहीं है। लिंक के टेक्स्ट में फर्क हो, ऊपर एक्स्ट्रा डॉट या डैस या ऐरो जुड़ा है तो यह सुरक्षित नहीं है। 2. एनीमेटेड वीडियो व फोटो : अक्सर मोबाइल पर त्योहार व राष्ट्रीय पर्व पर रंगबिरंगी लाइट में झिलमिलाते फोटो या एनीमेटेड वीडियो आते हैं, इनके पीछे अक्सर कोई लिंक छिपी होती है, जो दिखाई नहीं देती, लेकिन डाउनलोड करते ही वह एक्टिव हो जाती है और फोन का डाटा लिंक के होस्ट में पहुंच जाता है।यह भी पढ़ें : खंड शिक्षाधिकारी को सूचित कर अतिवृष्टि में स्कूल बंद कर सकेंगे शिक्षक
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