विश्व धरोहर दिवस : सामूहिक परिवार की धरोहर संजोए बेलवाल परिवार, साथ रहती हैं चार पीढि़यां
आदर्श नगर में रहने वाले नैनीताल बैंक से रिटायर्ड प्रबंधक हरीश चंद्र बेलवाल का परिवार सामूहिक परिवार की धरोहर संजोए है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 18 Apr 2020 11:10 AM (IST)
हल्द्वानी, संदीप मेवाड़ी : इस छत के नींचे बच्चाें का शोर और बुजुर्गों का तुजुर्बा दिखाता है। इस बगिया में नौ दशक से अधिक समय की गर्मी, जाड़ा और बरसात देख चुके विशाल मानवीय पेड़ से लेकर नन्हे-नन्हे पौधे भी शानदार खिल रहे हैं। बढ़ती एकल प्रवृति के बीच परिवार की एकता समाज को आयना दिखा रही है। ये कहानी है आदर्श नगर में रहने वाले नैनीताल बैंक के रिटायर्ड प्रबंधक हरीश चंद्र बेलवाल की। बेलवाल परिवार में चार पीढ़ी के लोग साथ रहते हैं।
95 वर्षीय अम्मा हैं परिवार की मुखियाइस घर की सबसे उम्रदराज महिला हैं 95 वर्षीय जीवंती देवी। जीवंती देवी की इकलौती बेटी कमला बेलवाल थीं। सालों पहले कमला का निधन हो गया। मूल रूप से कोटाबाग की रहने वाली जीवंती ने दामाद रिटायर्ड प्रबंधक हरीश चंद्र बेलवाल के ही साथ रहना शुरू कर दिया। 76 वर्षीय हरीश चंद्र बेलवाल के तीन पुत्र व एक पुत्री हैं। सबसे बड़े बेटे शिक्षक कृष्ण चंद्र बेलवाल व सबसे छोटे इंश्योरेंस सर्वेयर संजय बेलवाल पिता के साथ ही आदर्श नगर में रहते हैं। मझले बेटे जगमोहन बेलवाल गुरुग्राम की एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत रहने की वजह से परिवार के साथ वहीं रहते हैं।
कोई सरकारी तो कोई करता है प्राइवेट नौकरीशिक्षक कृष्ण चंद्र बेलवाल की पत्नी रजनी बेलवाल, बेटी कनिका, बेटा आर्यन, सर्वेयर संजय की पत्नी गीता बेलवाल, बेटियां दिव्यांका उर्फ दिया व वैष्णवी उर्फ बाती भी साथ रहती हैं। परिवार में सबसे छोटी वैष्णवी मात्र आठ साल की है। जगमोहन बेलवाल भी गर्मियों व अन्य समय मिलने वाली छुट्टियां पत्नी निशा बेलवाल व बेटे प्रणय व नमन के साथ बीताने हल्द्वानी आ जाते हैं। ये परिवार संयुक्त डोर से बंधकर काफी मजबूत है। सुख के पल व दु:ख की घड़ी को सभी आपस में मिलकर बांटकर भविष्य की योजना बनाते हैं।
मिल बैठकर निपटाते समस्याएंबेलवाल परिवार की समस्याओं का समाधान साथ मिलकर करता है। जीवन-कारोबार व गृहस्थी से जुड़े हर छोटे-बढ़े मामले आपस में साझा हाेते हैं। इसमें कभी-कभी परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद भी सामने आता है, लेकिन सभी मिलकर अपने तुजुर्बों से इनका हल कर लेते हैं। इन्हीं से प्रेरणा लेकर चौथी पीढ़ी भी सांस्कारिक मूल्यों को समझते हुए आगे बढ़ रही है।
संस्कारों का देश है भारतपरिवार के सदस्य शिक्षक कृष्ण चंद्र बेलवाल कहते हैं भारत संस्कारों का देश है। यहां की संस्कृति, भाषा व रीति-रिवाजों को विदेश में रहने वाले लोग तक अपना रहे हैं। इसको आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त परिवार की परिकल्पना जारी रखना काफी जरूरी है। बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए सबसे उपयुक्त संयुक्त परिवार होता है। साथ ही विपरीत परिस्थिति आने पर संयुक्त परिवार भीतर से संघर्ष के लिए मजबूती देता है।
सामूहिकता का सुख अकल्पनीयबेलवाल परिवार के वरिष्ठ सदस्य हरीश चंद्र बेलवाल कहते हैं कि व्यक्ति अपने जीवन का महत्वूर्ण समय बच्चों को काबिल व संस्कारवान बनाने में बिताता है। वर्तमान में बच्चे काबिल तो बन रहे हैं, लेकिन संस्कारों की कमी दिखने लगी है। समाज में एकल प्रवृति बढ़ना खतरे के संकेत हैं। संयुक्त परिवार का सुख अकल्पनीय होता है। सुबह से रात तक बच्चों की शरारतें बुजुर्गों का भी मनोरंजन करती हैं। एकजुटता बुजुर्गों को भीतर से काफी मजबूत बनाती है।
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