सूचना देने में लापरवाही पर बीईओ हल्द्वानी हरेंद्र मिश्र पर 25 हजार रुपये का जुर्माना
उत्तराखंड सूचना आयोग ने आरटीआइ में मांगी गई जानकारी देने में देरी व लापरवाही के लिए लोक सूचना अधिकारी/ बीईओ हल्द्वानी हरेंद्र कुमार मिश्र पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 04 Apr 2019 12:47 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के तहत सूचना मांगने में लोगों की चप्पलें घिस जाती हैं, लेकिन कई बार जिम्मेदार अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। ऐसे में जनहित की सूचना मांगने वाले हताश-निराश हो जाते हैं। ऐसे ही एक केस में उत्तराखंड सूचना आयोग ने ऐसा फैसला सुनाया है जिससे सूचना उपलब्ध कराने में लापरवाही बरतने से पहले जिम्मेदार अधिकारी एक बार जरूर सोचेंगे।
उत्तराखंड सूचना आयोग ने आरटीआइ में मांगी गई जानकारी देने में देरी व लापरवाही के लिए लोक सूचना अधिकारी/ बीईओ हल्द्वानी हरेंद्र कुमार मिश्र पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। राज्य सूचना आयुक्त सीएस नपलच्याल की अदालत ने एक अप्रैल को दिए फैसले में कहा है कि 115 दिन विलंब से सूचना उपलब्ध कराने के लिए 250 रुपये प्रतिदिन के अनुसार अधिकतम 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। यह धनराशि तीन माह में राजकोष में जमा करानी होगी। ऐसा न करने पर वेतन, देयकों से तीन किस्तों में रकम काटी जाएगी। आयोग ने जीआइसी बनभूलपुरा की प्रवक्ता किरन कुमारी की आरटीआइ के फैसले में यह अहम फैसला सुनाया है।
पिछली तारीख में जारी किया था नोटिस
आयोग ने चार फरवरी की पिछली सुनवाई में लोक सूचना अधिकारी हरेंद्र मिश्र को नोटिस जारी कर विभागीय अपीलीय अधिकारी के आदेश के बाद भी सूचना न देने का कारण बताने को कहा था। नोटिस के जवाब में हरेंद्र ने कहा था कि अपीलीय अधिकारी के आदेश के क्रम में 26 सिंतबर 2018 को अपील के प्रत्युत्तर की सूचना पंजीकृत डाक से प्रेसित करने के लिए पटल सहायक को आदेशित किया गया था।
ऊपर से नीचे तक एक दूसरे पर डाल दी जिम्मेदारी
लोक सूचना अधिकारी ने आयोग को बताया कि आयोग से शिकायती पत्र मिलने के बाद उन्होंने पटल प्रभारी दिनेश पाठक (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी) को जवाबदेह मानते हुए स्पष्टीकरण मांगा। पाठक ने उपार्जित अवकाश पर होने की बात कही और कहा कि उनका प्रभार वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रमा पांडे के पास था। रमा पांडे से भी स्पष्टीकरण मांगा गया, जिसके जवाब में रमा ने कार्यालय डिस्पैचर हिमांशु गोस्वामी कनिष्ठ सहायक को मौखिक से कई बार आरटीआई का जवाब देने को कहा। डिस्पैचर ने सूचना रजिस्ट्री कर देने की बात कही। दोबारा स्पष्टीकरण मांगने पर स्पष्ट जवाब नहीं मिला। हरेंद्र मिश्र ने कहा कि लापरवाही के लिए हिमांशु गोस्वामी के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि व रमा पांडे पर पत्रावली का स्वयं अवलोकन न करने के लिए चेतावनी जारी की गई।
नितांत लापरवाही व अधिनियम की अवहेलना : आयोग आयोग ने टिप्पणी में कहा है कि हरेंद्र मिश्र ने अपीलीय अधिकारी के आदेश के अनुपालन व शिकायतकर्ता को सूचना देने में नितांत लापरवाही बरतने के साथ ही अधिनियम की अवहेलना की है। हरेंद्र ने अधीनस्थ डिस्पैचर पर लापरवाही का भार डाल दिया और पटल प्रभारी दिनेश पाठक, रमा पांडे एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे। आयोग ने आगे कहा, 'ऐसे सभी अपने कर्तव्यों व उत्तरदायित्वों का निर्वहन में लापरवाही करते रहे तो आरटीआइ का प्रावधान ध्वस्त हो जाएगा। अधीनस्थों पर की गई लापरवाही से लोक सूचना अधिकारी दोष मुक्त नहीं हो सकते।'
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